20130118

प्रासंगिक है स्क्रीन अवार्डस



हिंदी सिने जगत में स्क्रीन अवार्डस की प्रासंगिकता हमेशा बनी रही है. इसकी खास वजह यह है कि स्क्रीन अवार्ड क्रिटिक को ध्यान में रख कर दिये जानेवाले फिल्मी पुरस्कारों में से एक है. इस पुरस्कार समारोह में आज भी फिल्मों को मनोरंजन के दृष्टिकोण से कहीं ऊपर देखा जाता है. शायद यही वजह है कि न सिर्फ फिल्मों के नॉमिनेशन के चयन में बल्कि विजेताओं के रूप में भी लगभग उन सभी फिल्मों को सम्मान मिला, जो इसके हकदार थे. विशेष कर रणबीर कपूर और इरफान खान को साथ साथ बेस्ट अभिनेता के पुरस्कार से नवाजा गया. रणबीर को फिल्म बर्फी के लिए तो पान सिंह तोमर के लिए इरफान खान सराहे गये. यही नहीं नवाजुद्दीन सिद्दकी को भी बेस्ट सर्पोटिंग किरदार के लिए सम्मान मिला. इस बार स्क्रीन अवार्ड की यह खासियत रही कि इस बार पुरस्कारों के विजेताओं में कई नये चेहरे थे. सुपरसितारा कलाकार केवल पुरस्कार वितरण का हिस्सा बनते नजर आये. नये चेहरों में डॉली आहुवालिया, नवाजुद्दीन सिद्दकी, भावेश मंडालिया, उमेश शुक्ला समेत कई नये नामों की फेहरिस्त शामिल हुई. पान सिंह तोमर, विकी डोनर, बर्फी, ओह माइ गॉड और कहानी इन फिल्मों को सर्वाधिक पुरस्कार मिले. इन फिल्मों की सफलता दर्शाती है कि हिंदी सिनेमा जगत में भी अब नये विषयों को महत्व देने का सिलसिला शुरू हो चुका है. वे सारी फिल्में जो अलग कांसेप्ट और सोच के साथ दर्शकों के सामने आयीं विजयी रहीं. विद्या बालन ने एक बार फिर साबित कर दिया कि वह सर्वश्रेष्ठ हैं. पिछले साल कई अभिनेत्री प्रधान फिल्में आयीं. लेकिन विद्या सब पर हावी रहीं. गैंग्स आॅफ वासेपुर को भी सम्मान दिया गया. स्क्रीन अवार्ड के लगातार एसे चेहरे और नामों को सम्मानित किये जाने से यह स्पष्ट होता है कि यह पुरस्कार अब भी पारदर्शी पुरस्कार समारोह के रूप में लोगों के सामने आता है.

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