दबंग के ब्रांड बनने या उसकी अपार सफलता का गुरुर नहीं है उन्हें. वे इस बात पर भी गुमान नहीं करते कि वे इंडस्ट्री में वर्तमान में सबसे शक्तिशाली अभिनेता हैं. वे आज भी मानते हैं कि यही वह सलमान है जिसने फ्लॉप पर फ्लॉप भी दी है. और यही है जिसे आज सभी पसंद भी कर रहे हैं. फैन,फैमिली और फ्रेंड्स इन तीन एफ पर विश्वास करनेवाले बॉलीवुड के बिग बॉस सलमान खान का कहना है कि दबंग की कुंडली का क्या होना है यह तो 21 दिसंबर ही तय करेगा.
सलमान और चुलबुल पांडे अब ब्रांड बन चुके हैं. इस पर आपका नजरिया?आप भी ऐसा मानते हैं.
कोई एक्सप्लानेशन नहीं है इसका है. ब्रांड बन चुका है नहीं बन चुका है. नहीं कह सकता. जब फिल्म फ्लॉप होती तो लोग कुछ और कहते. अब जबकि फिल्म चल चुकी है तो लोगों को इसको ब्रांड का नाम दे दिया है. एक फिल्म चल चुकी है. दूसरी रिलीज होनेवाली है.देखें क्या होता है.
क्या आपने कभी सोचा था कि दबंग को इतनी बड़ी कामयाबी मिलेगी.
जिस वक्त पहली दबंग बनाने चले थे हम. उस वक्त भी नेगेटिव पब्लिसिटी हुई थी. और आज भी हो रही है. इंडस्ट्री में इस बात को लेकर शोर शराबा था कि एक फिल्म बना रहे हैं दबंग जिसका मतलब कोई नहीं समझेगा. अनोखा और वियर्ड सा टाइटिल है. सब कह रहे थे कि रस्टीक रुरल बैकग्राउंड पर है. ग्रॉस है. एक पुलिस वाला है. मर जायेंगे. चुलबुल पांडे हैं. डूब जायेंगे. इंडस्ट्री के डूब जायेंगे. मेरे दोस्त यार कह रहे थे कि बर्बाद हो जाओगे.दबंग की स्क्रिप्ट घूम फिर चुकी थी. मुझे पता है कि तीन चार बड़े बड़े आॅफिस में घूम चुकी थी ये. लेकिन कोई बनाने को तैयार नहीं था. जब हमने बनानी शुरू की. तो सबने सोचा अरे ये क्या बनाने लग गये. लेकिन जब बनते बनते बन गयी. प्रोमोज आये. आॅडियंस को अच्छी लगी. दबंग अपनी एक कुंडली. अपनी एक किस्मत लेकर आयी थी. उस फिल्म के बाद जब ऐसी फिल्म जिसकी उम्मीद नहीं थी किसी को.इतनी बड़ी हिट हो गयी. पहला सीक्वल होगा. जिसमें मैं काम कर रहा हूं.
दबंग का सीक्वल बनना चाहिए. ऐसा क्यों लगा आपको? पहली फिल्म में हैप्पी एंडिंग तो हो चुकी थी.
(हंसते हुए)वो नो एंट्री के सीक्वल में वक्त लग रहा था तो सोचा दबंग की ही कर लूं. यह सच है कि वह दबंग कंप्लीट फिल्म थी. लेकिन इस फिल्म में भी आपको दबंग 2 पूरी कंप्लीट फिल्म नजर आयेगी. इसमें भी हमने कई बदलाव किये हैं. कई चीजें नयी सोची हैं. जैसे सोनाक्षी का जो किरदार है वह तो शादीशुदा है. अब इस फिल्म में क्या तो हमने दिखाया है कि फिल्म में वह प्रेगनेंट हैं और फिर उनसे चुलबुल पांडे का कैसा प्रेम है. वह भी बेहद प्यारा प्लॉट है. फिर विलेन को लेकर हमने खासतौर से सोचा है. चुलबुल पांडे का इसमें भी निराला अंदाज रहेगा तो झलकिया तो मिलेगी पहलेवाली की, लेकिन यह खुद में भी कंप्लीट फिल्म होगी. और यहां साथ ही मैं यह भी कहना चाहंूगा कि 21 दिसंबर को ही तय होगा कि हम अपने काम में कामयाब हुए कि नहीं. अगर यह दबंग बनी तो हम दबंग सीरिज की एक और फिल्म बनायेंगे और वह प्रीक्वल होगा दरअसल. उस फिल्म के लिए हमने पहले ही सोच रखा है कि हम दिखायेंगे कि ये चुलबुल पांडे जिसे लोग रॉबिनहुड मानते हैं. आया कैसे अस्तित्व में. उसके इतिहास पर जायेंगे. वह भी अपने आप में अनोखी कहानी होगी और मुझे लगता है कि दर्शकों को पसंद आयेगी ऐसी फिल्म. विदेशों में तो ऐसी खूब फिल्में बनती हैं न.और पसंद भी करते हैं इसको. सीक्वल भी कई तरह के होते हैं. एक होती है जेम्ड बांड सीरिज की फिल्म. मुन्ना भाई सीरिज जिसमें दोनों फिल्में अलग अलग है. लेकिन हमारे दबंग में हमने दिखाया है कि चुलबुल पांडे का ही किरदार में और क्या क्या हो सकता है. अब शादीशुदा चुलबुल पांडे कैसा है. पापा बनने की खुशी कैसी मिलती है. ये सब देखना पड़ा. इमोशनल कंटेंट पर काम किया. वरना, लोग सोचेंगे कि फिल्म में हीरोइन का क्या काम? हमने लेकिन हीरोइन को भी बोरिंग नहीं होने दिया है. एक रोमांटिक एंगल रखा है. गाने रखे हैं इससे चुलबुल पांडे का ही एक स्वभाव सामने आयेगा न कि अब वह पारिवारिक व्यक्ति के रूप में भी कैसा है. कैसे पत् नी से प्यार करता है. वगैरह वगैरह. लेकिन एक बात तय है कि इसमें भी चुलबुल की शरारत, उसकी चुलबुलाहट जारी रहेगी.
दबंग ने हिंदी फिल्मों को देसी अवतार में बदल दिया बना दिया?दबंग के बाद ही लगातार ऐसी ही कई फिल्में बन रही हैं और ये सिलसिला अब भी जारी है.
मैं मानता हूं कि हर दौर में सिनेमा बदलता है. अभी ये जॉनर चल रहा है तो कुछ और दिन चलेगा. फिर खुद बदल जायेगा. बहुत सारे लोगों ने दबंग के बारे में कहा था कि दबंग 70-80 दशक वाला जॉनर है. लेकिन यह वह जॉनर नहीं था. उस दौर में कोई करप्ट कॉप नहीं हुआ करता था कि वह कब हंस दे कैसे रियेक्ट करे, पता ही न चले. दरअसल, एक दौर में तो सूरज बड़ाजात्या ने ही पारिवारिक फिल्मों को नया आयाम दिया फिर करन की फिल्में आयीं, फिर इसी तरह की कई फिल्में आयी. एक दौर था.जब दो पॉवरफुल फादर होते थे. उनके बच्चे होते थे. उनकी प्रेम कहानी होती थी. फिर फिर उसके पहले एंग्रीमैन वाला दौर था जो मेरे फादर ने शुरू की... तो सिनेमा बार बार बदलता रहा है. इस किस्म की कई फिल्में बनी हैं. ये जॉनर भी जल्दी खत्म हो जायेगा, क्योंकि बार बार आप एक चीज नहीं दिखा सकते और सिनेमा का तो काम ही है बदलना. आपने बेल्ट पकड़ कर डांस कर लिया, जेब में हाथ डाल कर डांस कर लिया. ये सबका भी एक दौर है. और अब ये भी खत्म हो जायेगा. एक् शन हो गया. किक मरवा लिया. टप्पा मरवा लिया. बाइशेप्स खेल लिये.ये सब हो चुका है. तो देखिए अब और कौन सा नया दौर आता है.
लेकिन दबंग को इतनी चौंकानेवाली सफलता मिलने का राज़?
पहली बार कोई ऐसा कैरेक्टर आया .आफ्टर लांग टाइम करप्पट कॉप आया.जो हंसेगा भी और लोगों को रुलायेगा भी. उस पर गांव का आदमी. आम लोगों ने तुरंत कनेक्ट कर लिया इससे. लोगों को अच्छा लगा. अपना सा. मैं हमेशा कहता हूं कि अगर दर्शक को कुछ भी पसंद आया तो समझिए आप हिट हैं. वरना, यही सलमान जिसके फ्लॉप्स की गिनती नहीं हो पा रही थी. इतने फ्लॉप दिये थे. सबका टाइम होता है. अभी दबंग हिट है. 21 दिसंबर के बाद इसकी डेस्टनी में क्या लिखा है. अरबाज ने कितना बखूबी काम किया है. सब पता चल जायेगा.
अरबाज पहली बार निर्देशन की पारी संभाल रहे हैं. कैसा रहा आपका अनुभव उनके साथ काम करने का?
अरबाज के साथ कई फिल्मों में काम भी किया है और मैं उससे बस एक ही साल बड़ा हूं तो हम दोनों साथ साथ ही ग्रो अप हुए हैं. सो, हम दोनों में कंफर्ट जोन रहा. भाई है तो कोई भी सलाह देने में यह सोचने की जरूरत नहीं पड़ती कि अरे कहीं उसको कुछ बुरा तो नहीं लग जायेगा. इगो तो हर्ट नहीं हो जायेगा. भाई अगर रिजेक्ट कर दे आइडिया तो बुरा नहीं लगता कि अरे रिजेक्ट कर दिया. लेकिन दूसरे निर्देशक के साथ काम करो तो उनका ध्यान रखना पड़ता है कि वह बुरा न मान जाये. सामनेवाले के चेहरे पर सिकन न पड़े इसका भी ख्याल रखना पड़ता है. लेकिन भाई है अगर किसी सलाह पर मजाक भी कर दिया तो बुरा नहीं लगता. और भाई है तो भाई के झगड़े भी क्रियेटिव लेवल पर फिल्म को अलग ही एंगल देते हैं. लेकिन अगर किसी और निर्देशक के साथ झगड़ा हो जाता है तो मीडिया में तो इश्यू बनता ही है. उनसे रिश्ते भी खराब हो जाते हैं. शराफत के दायरे में रहना पड़ता है. यहां लेकिन काफी कपड़े फटे हैं...( हंसते हुए)लेकिन दिस इज बेटरमेंट आॅफ द फिल्म. वैसे अरबाज ने भले ही दबंग निर्देशित नहीं की थी. लेकिन वह पूरी तरह से होल सोल था फिल्म का.उस वक्त भी. वह जानता है एटूजेड कि क्या चाहिए उसे इस फिल्म में. उसका टारगेट कौन है. क्या कमी है. क्या दोहराना है और क्या नहीं. वैसे एक बात यह भी कहना चाहूंगा कि अरबाज के लिए मैं भी प्रेशर में हूं क्योंकि उसे लग रहा है कि एक फिल्म बना दी हो गया काम. लेकिन उसे पता ही नहीं कि उसकी अग्निपरीक्षा तो अब शुरू हुई है. अब उसका काम निश्चित तौर पर पहले दबंग और अभिनव के काम से जोड़ा जायेगा. तूलना की जायेगी. तो अब उसकी नयी जर्नी की शुरुआत हुई है.
आप दोनों की लड़ाई में अमूमन जीत किसकी होती है?
यह तो तय नहीं रहता. लेकिन जब ज्यादा लड़ाई बढ़ जाती है तो बात डैड तक पहुंचती है कि आप बताइए सही कौन है. किसका आइडिया अच्छा है तो फिर कभी डैड हम दोनों की बात मानते हैं तो कभी हम में से किसी एक की और कभी कभी वह अपनी एक अलग ही राय दे देते हैं कि ये करो ये अच्छा है. फिर हम दोनों भाई सोचने लग जाते हैं कि लड़ाई हम दोनों की थी. दो मत पर सहमत नहीं थे अब तीसरा मत भी आ गया. लेकिन इस पूरे प्रोसेस में मुझे मजा आता है कि हमारा परिवार किसी फिल्म में एक साथ इन्वॉल्व हुआ है.
और अगर व्यक्तिगत अनुभव की बात करें तो
भाई के रूप में तो उसे बचपन से देखा है. जानता हूं कि हममें से सबसे काबिल वही है. वह हमेशा अच्छे मार्क्स लाता था और हमें डांट मिलती थी. अब्बू को लगता था कि वह मुझे कहेंगे कि देखो अरबाज के कितने नंबर आते हैं और एक तुम हो तो मैं जलन से पढ़ने लगूंगा. लेकिन मैं इन बातों को कभी सीरियसली लेता ही नही था. मुझे कभी इस बात का कोई शिकवा नहीं रहा. अरबाज से कभी कंपीट करने की कोशिश ही नहीं की. भाई है वो मेरा. आगे बढ़ेगा तो मुझे तो खुशी ही होगी न. मुझे याद है. जब मेरी पहली फिल्म रिलीज होनेवाली थी वह कैसे सब दोस्तों को बताता कि जल्द ही सलमान की फिल्म रिलीज होनेवाली है. देखना. वह अब हीरो बन जायेगा. वैसे हमारे बड़े बड़े झगड़े भी हुए हैं. लेकिन वही सॉल्व भी हो गये हैं. सो, दोस्त जैसे हैं हम.
सलीम खान ने फिल्म की स्क्रिप्ट में कितनी मदद की?
जैसा कि मैंने आपको बताया कि डैड मदद तो करते ही हैं. अपनी बात रखते हैं. कई जगह हमने उनसे कहा कि ये अब नहीं होता तो वे आज की तरह सोच कर बताते. लेकिन घर में जब इतने बड़े लेखक हैं जिनसे सब सीखते हैं तो हम तो मदद लेंगे ही न. मदद क्या. यह उनका हक भी है और फर्ज भी कि वे हमें गाइड करते रहें. दबंग के स्क्रिप्ट में उतार चढ़ाव जिस हद तक हुए हैं. लेयर्स आये हैं. उसमें डैड ने काफी मदद की है.
सलमान, आज सिनेमा में आप सबसे पॉवरफुल माने जाते हैं. फैन्स के लिहाज से भी. बॉक्स आॅफिस के लिहाज से भी. इसके बावजूद क्या अब भी फिल्म की कामयाबी नाकामयाबी से फर्क पड़ता है.
बिल्कुल पड़ता है. दूर से देखने पर सबको सब कुछ अच्छा ही लगता है. लेकिन ऐसा होता नहीं है. लोगों को लगता है 100 करोड़ कमाया.200 करोड़ कमाया. लेकिन मैंने तो कभी एक साथ 200 करोड़ नहीं देखा. फिल्म बनाने में कितना खर्च होता है. प्रोडक् शन कॉस्ट के अलावा भी कितनी सारी चीजें होती हैं.लेकिन ये चीजें मैं न एक्सप्लेन कर सकता हूं और न ही पब्लिक समझेगी. लेकिन फिल्म नहीं चले तो दुख क्यों नहीं होगा. मेहनत करते हम. वक्त देते हैं. पैसे लगाते हैं उसमें. दुख होना तो बिल्कुल स्वभाविक है.
लेकिन सलमान मेनिया तो आपकी फिल्मों पर हावी है. आप जिस फिल्म में हैं. वहां हिट की गारंटी है.
मैं जब भी किसी की फिल्म के लिए हां बोलता हूं तो बस स्क्रिप्ट सुनते वक्त इसी बात का ख्याल रखता हूं कि जो पैसे लगा रहा है उसके पैसे वापस आ जायें और पब्लिक सिर पीट कर वापस न जाये. वह भी खुशी खुशी जाये. बाकी बॉक्स आॅफिस का कोई गणित मुझे समझ नहीं आता. हां, ये जरूर है कि मेरे फैन्स लॉयल हैं क्योंकि मैं भी लॉयल हूं उनके लिए. इस बात की गारंटी दे सकता हूं.
आप अपनी फिल्मों में संगीत को खास महत्व देते हैं?
हां, मेरा लगाव रहता है संगीत से मैं शॉकीन हूं. आप देखेंगे इस फिल्म में भी फेविकॉल बिल्कुल पहले दबंग से अलग है. वहां मुन्नी थी. यहां बेबो है. मेरे खास लगाव गाना तेरे मस्त दो नैन से है. लेकिन इस फिल्म का भी एक खास गाना है...नैनों से वह भी बेहतरीन रोमांटिक सांग है. मुझे रोमांटिक गानों में फिल्माना और सुनना दोनों अच्छा लगता है. इसलिए फिल्म के गानों पर भी खास काम करता हूं और ध्यान देता हूं.
आपकी आनेवाली फिल्में?
किक, नो एंट्री, शेर खान.
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