बिपाशा बसु को इस बात से तकलीफ हुई है कि उन्हें फिल्म हमशकल्स में खास भूमिका नहीं मिली. उन्होंने अपने गुस्से का इजहार टिष्ट्वटर पर किया तो फिल्म के निर्माता वासु भगनानी ने घोषणा कर दी कि वे भविष्य में कभी बिपाशा के साथ काम नहीं करेंगे. हालांकि बिपाशा को फिल्म में उतने ही दृश्य मिले हैं, जितने बाकी दो अन्य अभिनेत्रियों को. चूंकि सच्चाई यह है कि हिंदी फिल्मों में अभी भी महिला प्रधान फिल्म न हो तो सारे दृश्य अभिनेताओं के खाते में ही जाते हैं. फिल्म धूम 3 में गौर करें तो कट्रीना को कितने दृश्य मिले हैं. उन्हें फिल्म के गानों में प्राथमिकता से दिखाया गया है. लेकिन फिल्म में नहीं. पूरी फिल्म में आमिर ही आमिर नजर आये हैं. फिल्म हॉलीडे में भी सोनाक्षी सिन्हा केवल नाच गाने के लिए ही नजर आती हैं. फिल्म बुलेट राजा में भी उनका काम बस गानों तक ही सीमित था. हिंदी फिल्मों में आप एक सुपरस्टार अभिनेता के साथ एक सुपरस्टार अभिनेत्री को चंद दृश्यों में देख सकते हैं. लेकिन किसी भी महिला प्रधान फिल्म में अब तक किसी सुपरस्टार ने काम नहीं किया है और आगे भी वे नहीं करेंगे. बिपाशा बसु ही नहीं, बल्कि हर अभिनेत्री को वाकई बराबरी का दर्जा मांगना ही चाहिए. ऐसे में अगर परिणीति चोपड़ा और विद्या बालन जैसी अभिनेत्रियों ने ठान लिया है कि वे बड़े स्टार्स के साथ काम नहीं करेंगी तो उनका निर्णय बिल्कुल सही है. कट्रीना कैफ और खासतौर से सोनाक्षी सिन्हा को जरूर सीख लेनी चाहिए. चूंकि एक के बाद एक सोनाक्षी फिल्मों में केवल कठपुतलियों की तरह ही नजर आ रही हैं. अभिनेत्रियों को स्थान मिलेगा. जब सारी अभिनेत्रियां स्टार्स को अहमियत देना छोड़ेंगी. वरना, स्थिति कुछेक दृश्यों तक ही सिमट जायेगी. जो काम बिपाशा ने किया है. वही बात अगर कोई सुपरस्टार कहता तो क्या वासु की यही प्रतिक्रिया होती. शायद नहीं.
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20140802
अभिनेत्री का हक
बिपाशा बसु को इस बात से तकलीफ हुई है कि उन्हें फिल्म हमशकल्स में खास भूमिका नहीं मिली. उन्होंने अपने गुस्से का इजहार टिष्ट्वटर पर किया तो फिल्म के निर्माता वासु भगनानी ने घोषणा कर दी कि वे भविष्य में कभी बिपाशा के साथ काम नहीं करेंगे. हालांकि बिपाशा को फिल्म में उतने ही दृश्य मिले हैं, जितने बाकी दो अन्य अभिनेत्रियों को. चूंकि सच्चाई यह है कि हिंदी फिल्मों में अभी भी महिला प्रधान फिल्म न हो तो सारे दृश्य अभिनेताओं के खाते में ही जाते हैं. फिल्म धूम 3 में गौर करें तो कट्रीना को कितने दृश्य मिले हैं. उन्हें फिल्म के गानों में प्राथमिकता से दिखाया गया है. लेकिन फिल्म में नहीं. पूरी फिल्म में आमिर ही आमिर नजर आये हैं. फिल्म हॉलीडे में भी सोनाक्षी सिन्हा केवल नाच गाने के लिए ही नजर आती हैं. फिल्म बुलेट राजा में भी उनका काम बस गानों तक ही सीमित था. हिंदी फिल्मों में आप एक सुपरस्टार अभिनेता के साथ एक सुपरस्टार अभिनेत्री को चंद दृश्यों में देख सकते हैं. लेकिन किसी भी महिला प्रधान फिल्म में अब तक किसी सुपरस्टार ने काम नहीं किया है और आगे भी वे नहीं करेंगे. बिपाशा बसु ही नहीं, बल्कि हर अभिनेत्री को वाकई बराबरी का दर्जा मांगना ही चाहिए. ऐसे में अगर परिणीति चोपड़ा और विद्या बालन जैसी अभिनेत्रियों ने ठान लिया है कि वे बड़े स्टार्स के साथ काम नहीं करेंगी तो उनका निर्णय बिल्कुल सही है. कट्रीना कैफ और खासतौर से सोनाक्षी सिन्हा को जरूर सीख लेनी चाहिए. चूंकि एक के बाद एक सोनाक्षी फिल्मों में केवल कठपुतलियों की तरह ही नजर आ रही हैं. अभिनेत्रियों को स्थान मिलेगा. जब सारी अभिनेत्रियां स्टार्स को अहमियत देना छोड़ेंगी. वरना, स्थिति कुछेक दृश्यों तक ही सिमट जायेगी. जो काम बिपाशा ने किया है. वही बात अगर कोई सुपरस्टार कहता तो क्या वासु की यही प्रतिक्रिया होती. शायद नहीं.
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