सैफ अली खान ने हाल ही में एक अख़बार को दिए इंटरव्यू में स्वीकारा है कि हम्सकलस करना उनकी गलती थी। उन्होंने इस फिल्म के बारे में कहा कि फिल्म में जिस तरह की कॉमेडी दिखाई गई है। वह वैसी कॉमेडी में विश्वास नहीं करते। जबकि इसी फिल्म के प्रोमोशन के दौरान वे बार बार कह रहे थे कि उन्हें साजिद के साथ काम करके और उनके अंदाज़ की कॉमेडी करने में काफी मजा आया। चूँकि फिल्म की भद हर जगह उड़ चुकी है. सो, सैफ इससे पलड़ा झाड़ रहे हैं। बॉलीवुड में ये पहली बार नहीं हो रहा। वर्षों से फिल्मों के सफलता का श्रेय खुद लेना और असफलता का श्रेय दूसरों पर मढ़ने का दौर जारी रहा है. पाकीज़ा जब रिलीज हुई थी। रिलीज़ वाले हफ्ते में कमाई नहीं कर पाई थी। लेकिन मीणा कुमारी की मौत के बाद अचानक फिल्म कामयाब हुई। दर्शक बढ़ने लगे। चूँकि सभी इस बेहतरीन अदाकारा को आखिरी बार बड़े परदे चाहते थे। कमाल को इस बात से तकलीफ हुई थी। उन्होंने इस बात की घोषणा करवाई कि उनकी फिल्म फिल्म के कंटेंट की वजह से चली है। न कि किसी और वजह से. मीना कुमारी जो यह मानती थी कि कमाल ने पाकीज़ा फिल्म बनाकर उन्हें ताजमहल की तरह तोहफा दिया है। शायद यह सुनकर उनका सारा प्यार बेईमानी लगता। अक्षय कुमार ने फिल्म जोकर का प्रोमोशन नहीं किया। चूँकि फिल्म के निर्माण के कुछ दिनों बाद ही अक्षय समझ चुके थे कि फिल्म में जान नहीं है। यही वजह रही कि उनकी दूरी फराह और साजिद से बढ़ी। दरअसल हकीकत यही है कि हिंदी सिनेमा की दुनिया में हर शुक्रवार केवल फिल्मों का नहीं फ़िल्मी रिश्तों का पैरामीटर भी आँका जाता है। अजय देवगन को इस बात से तकलीफ जरूर हुई थी कि हिम्मतवाला उनकी सबसे असफल फिल्म रही। लेकिन उन्होंने सार्वजनिक रूप से इसे कभी उजागर नहीं किया। चूँकि साजिद अजय के स्कूल के दोस्त रह चुके हैं। वरना उन्हें भी तकलीफ थी। दरअसल फिल्म का सृजन का दोष वाकई केवल निर्देशक पे नहीं मढ़ा जाना चाहिए। चूँकि अगर आपने फिल्म साइन की है। इसका मतलब है कि आप उस विषय में यकीं करते हो। हलाकि कई बार कछ स्टार्स मज़बूरी में भी फिल्में करते हैं। अमिताभ बच्चन ने लाल बादशाह और सूर्यवंशम जिस वक़्त की उनकी अलग मजबूरियां थी और यही वजह है कि अमिताभ उसे मिस्टेक नहीं मानते।
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