वक्त रात के 1 बज रहे. टीवी का रिमोट हाथ में. अचानक हाथ एक चैनल पर ठहरता है. वजह 10 मिनट में ही उस चैनल में नयेपन का एहसास होता है. कोई शोर शराबा नहीं. कोई चकाचौंध नहीं. जबरन तड़का परोसने की भी कोशिश नहीं और उन्हीं चंद लम्हों में दिल जीत लिया. जीटीवी की नयी पेशकश जिंदगी वाकई छोटे परदे के नियमित दर्शकों को जिंदगी प्रदान कर रही. सच है कि आंखों को वीजा नहीं लगता. सरहद पार की कहानियों को जो रास्ता जीटीवी और जिंदगी चैनल की सोच रखने वाली शैलजा केजरीवाल ने की है. दरअसल, कई सालों के बाद वास्तविकता में यह नयी क्रांति आयी है. इसे क्रांति कहते हैं. शैलजा ने उन तमाम लोगों के चेहरे पर तमाचा लगाया जो कहते फिरते हैं कि दर्शक यही देखना चाहते. पिछले कई सालों से छोटे परदे पर ग्लैमर के नाम पर केवल भव्य सेट का दर्शन करानेवाले मेकर्स को अब सतर्क होना चाहिए. जिंदगी ने दस्तक दे दी है. जिंदगी चैनल के पास तहजीब है, सोच है. टीवी के लिए एक नयी जुबान है. शैलजा के इस सोच की तारीफ होनी चाहिए कि उन्होंने पाकिस्तान और भारत के बीच की खाई को मिटाने के लिए इतनी बेहतरीन नींव रखी. गौर करें तो पाकिस्तान के धारावाहिकों में या तो प्रेम कहानी, परिवार की कहानी या फिर समाज की कहानी दिखा रहे. इससे प्रतीत होता है कि वहां के मेकर्स की सोच इस बात को कितनी अच्छी तरह व्यक्त करते हैं कि हां, सिनेमा और टीवी का एक फर्ज समाज के लिए सोचना और समाज की कहानियों को दिखाना भी है. वहां के शोज देखें. वहां के शोज के सेट, कलाकारों की अदाकारी. उनके पहनावे. कोई दिखावा नहीं. सिर्फ ज्यों का त्यो हम तक एक सच्चाई पहुंच रही. और हमें इसे जरूर स्वीकारना चाहिए. वर्षों बाद एक नयी कली और उम्मीद की किरण लेकर आयी है ये जिंदगी. तहे दिल से स्वागत करें.
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20140802
जिंदगी गुलजार है
वक्त रात के 1 बज रहे. टीवी का रिमोट हाथ में. अचानक हाथ एक चैनल पर ठहरता है. वजह 10 मिनट में ही उस चैनल में नयेपन का एहसास होता है. कोई शोर शराबा नहीं. कोई चकाचौंध नहीं. जबरन तड़का परोसने की भी कोशिश नहीं और उन्हीं चंद लम्हों में दिल जीत लिया. जीटीवी की नयी पेशकश जिंदगी वाकई छोटे परदे के नियमित दर्शकों को जिंदगी प्रदान कर रही. सच है कि आंखों को वीजा नहीं लगता. सरहद पार की कहानियों को जो रास्ता जीटीवी और जिंदगी चैनल की सोच रखने वाली शैलजा केजरीवाल ने की है. दरअसल, कई सालों के बाद वास्तविकता में यह नयी क्रांति आयी है. इसे क्रांति कहते हैं. शैलजा ने उन तमाम लोगों के चेहरे पर तमाचा लगाया जो कहते फिरते हैं कि दर्शक यही देखना चाहते. पिछले कई सालों से छोटे परदे पर ग्लैमर के नाम पर केवल भव्य सेट का दर्शन करानेवाले मेकर्स को अब सतर्क होना चाहिए. जिंदगी ने दस्तक दे दी है. जिंदगी चैनल के पास तहजीब है, सोच है. टीवी के लिए एक नयी जुबान है. शैलजा के इस सोच की तारीफ होनी चाहिए कि उन्होंने पाकिस्तान और भारत के बीच की खाई को मिटाने के लिए इतनी बेहतरीन नींव रखी. गौर करें तो पाकिस्तान के धारावाहिकों में या तो प्रेम कहानी, परिवार की कहानी या फिर समाज की कहानी दिखा रहे. इससे प्रतीत होता है कि वहां के मेकर्स की सोच इस बात को कितनी अच्छी तरह व्यक्त करते हैं कि हां, सिनेमा और टीवी का एक फर्ज समाज के लिए सोचना और समाज की कहानियों को दिखाना भी है. वहां के शोज देखें. वहां के शोज के सेट, कलाकारों की अदाकारी. उनके पहनावे. कोई दिखावा नहीं. सिर्फ ज्यों का त्यो हम तक एक सच्चाई पहुंच रही. और हमें इसे जरूर स्वीकारना चाहिए. वर्षों बाद एक नयी कली और उम्मीद की किरण लेकर आयी है ये जिंदगी. तहे दिल से स्वागत करें.
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