20130629

रितुपर्णो का जाना


भारतीय सिनेमा ने एक महत्वपूर्ण निर्देशक रितुपर्णो घोष को खो दिया. रितुपर्णो महज 49 वर्ष के थे. रितुपर्णो की फिल्मों की यह खासियत रही कि उनकी फिल्में आम तौर पर बननेवाली फिल्मों से हमेशा अलग थी. वे कई बार विवादों से घिरे रहे. लेकिन उन्होंने इस परवाह नहीं की. उन्होंने बांग्ला फिल्मों को नया आयाम दिया. उन्होंने कभी इस बात की फिक्र नहीं की कि उनके बारे में या उनकी फिल्मों के बारे में लोग क्या सोचेंगे. उनके फिल्मों के विषय आमतौर पर ऐसे विषय रहे, जिनके बारे में लोगों ने कभी खुलेतौर पर बात नहीं की. वे बोल्ड विषयों को चुनते. उनकी फिल्मों की अभिनेत्रियां हमेशा सशक्त भूमिकाओं वाली रही है. उनकी फिल्में चोखेरबाली, रेनकोट, सन ग्लास, नौकाडूबी, अंतरमहल, दोसर, द लास्ट लीयर, शुभो महरुत , तितली, उत्सव कुछ वैसी फिल्मों में से एक रहीं, जो हमेशा यादगार रहेंगी. उन्होंने निर्देशन के साथ साथ कई फिल्मों में अभिनय भी किया. रितुपर्णो की महत्वपूर्ण फिल्मों में से नौकाडूबी एक सार्थक फिल्म है. इस फिल्म को हिंदी में भी कशमकश नाम से रिलीज किया गया था. यह फिल्म रवींद्रनाथ टैगोर की रचना पर आधारित थी. इससे पहले भी कई बार इस रचना पर आधारित फिल्म का निर्माण किया जाता रहा है. रितुपर्णो की फिल्म उन सभी फिल्मों में से महत्वपूर्ण फिल्म रही. राइमा सेन जैसी अदाकारा ने अपनी सबसे अधिक फिल्में रितुपर्णो के साथ ही मनायी. राइमा मानती हैं कि उनको पहचान दिलाने में रितुपर्णो की अहम भूमिका रही. रितुपर्णो ने हिंदी में मात्र दो ही फिल्में बनायी. लेकिन दोनों ही फिल्में उल्लेखनीय रहीं. हिंदी सिनेमा की लोकप्रिय अभिनेत्री ऐश्वर्य राय ने रितु की दो मुख्य फिल्में रेनकोट और चोखेरबाली में साथ साथ काम किया है, वे भी रितुपर्णो को महत्वपूर्ण निर्देशक मानती हैं.

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