भाग मिल्खा भाग के लिए फरहान अख्तर ने खुद को पूरी तरह से मिल्खा सिंह के किरदार में ढालने की कोशिश की है. वे फिल्म में वाकई मिल्खा सिंह के हूबहू रूप नजर आ रहे हैं. प्रियंका चोपड़ा मैरी कॉम का किरदार निभा रही हैं. लेकिन हाल ही उन्हें इस बात से काफी दुख हुआ था कि उनका लुक पहले ही जगजाहिर हो गया और फिर लुक बदला गया. हालांकि प्रियंका चोपड़ा का दुखी होना लाजिमी नहीं. चूंकि किसी भी फिल्म को जब निर्देशक बायोपिक रूप देते हैं तो वे इन बातों का खास ख्याल रखते हैं कि न सिर्फ रूप में बल्कि फिल्म में वह कलाकार उसे किस तरह बखूबी परदे पर उतार पा रहा है या नहीं. सो, जरूरत किरदार को उस रूप में ढालने की है. प्रियंका के लिए यह सुनहरा मौका है, जब वह खुद को बर्फी की झिलमिल किरदार के बाद खुद को साबित कर सकती हैं. सो, बेहतर है कि उन्हें अपने किरदार पर ध्यान देना चाहिए. जिस तरह विद्या बालन ने सिल्क स्मिथा का किरदार फिल्म द डर्टी पिक्चर्स में निभाया है. वह अदभुत था. लोग विद्या को देख कर यह कल्पना कर सकते हैं कि सिल्क ऐसा ही सोचती होगी. फरहान अख्तर के लिए भी यह सुनहरा अवसर है जब वह अपने जीवन की सबसे खास फिल्म में खुद को साबित करें. इरफान खान के लिए पान सिंह तोमर माइलस्टोन फिल्म साबित हुई. सिर्फ इसलिए नहीं कि फिल्म में उनका लुक पान सिंह से मिलता था. बल्कि इसलिए क्योंकि उन्होंने उस किरदार को जीवटता से जिया. स्पष्ट है कि हिंदी सिनेमा के कलाकार इन बातों को बखूबी समझे कि बायोपिक फिल्म में लुक से कहीं बढ़ कर यह जरूरी है कि आप अपने अभिनय में उस शख्सियत की जिंदगी को कितना ऊभार कर सामने लाते हैं. हिंदी सिनेमा में तभी बायोपिक फिल्मों में मौलिकता नजर आयेगी. प्रियंका की मैरी कॉम पर आधारित फिल्म का इंतजार रहेगा.
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20130629
बायोपिक फिल्मों की जरूरत
भाग मिल्खा भाग के लिए फरहान अख्तर ने खुद को पूरी तरह से मिल्खा सिंह के किरदार में ढालने की कोशिश की है. वे फिल्म में वाकई मिल्खा सिंह के हूबहू रूप नजर आ रहे हैं. प्रियंका चोपड़ा मैरी कॉम का किरदार निभा रही हैं. लेकिन हाल ही उन्हें इस बात से काफी दुख हुआ था कि उनका लुक पहले ही जगजाहिर हो गया और फिर लुक बदला गया. हालांकि प्रियंका चोपड़ा का दुखी होना लाजिमी नहीं. चूंकि किसी भी फिल्म को जब निर्देशक बायोपिक रूप देते हैं तो वे इन बातों का खास ख्याल रखते हैं कि न सिर्फ रूप में बल्कि फिल्म में वह कलाकार उसे किस तरह बखूबी परदे पर उतार पा रहा है या नहीं. सो, जरूरत किरदार को उस रूप में ढालने की है. प्रियंका के लिए यह सुनहरा मौका है, जब वह खुद को बर्फी की झिलमिल किरदार के बाद खुद को साबित कर सकती हैं. सो, बेहतर है कि उन्हें अपने किरदार पर ध्यान देना चाहिए. जिस तरह विद्या बालन ने सिल्क स्मिथा का किरदार फिल्म द डर्टी पिक्चर्स में निभाया है. वह अदभुत था. लोग विद्या को देख कर यह कल्पना कर सकते हैं कि सिल्क ऐसा ही सोचती होगी. फरहान अख्तर के लिए भी यह सुनहरा अवसर है जब वह अपने जीवन की सबसे खास फिल्म में खुद को साबित करें. इरफान खान के लिए पान सिंह तोमर माइलस्टोन फिल्म साबित हुई. सिर्फ इसलिए नहीं कि फिल्म में उनका लुक पान सिंह से मिलता था. बल्कि इसलिए क्योंकि उन्होंने उस किरदार को जीवटता से जिया. स्पष्ट है कि हिंदी सिनेमा के कलाकार इन बातों को बखूबी समझे कि बायोपिक फिल्म में लुक से कहीं बढ़ कर यह जरूरी है कि आप अपने अभिनय में उस शख्सियत की जिंदगी को कितना ऊभार कर सामने लाते हैं. हिंदी सिनेमा में तभी बायोपिक फिल्मों में मौलिकता नजर आयेगी. प्रियंका की मैरी कॉम पर आधारित फिल्म का इंतजार रहेगा.
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