फिल्म शौकीन के रीमेक में अक्षय कुमार और नरगिस फाकड़ी साथ साथ नजर आयेंगे. खबर है कि करन जौहर अपनी नयी फिल्म जिसमें सिद्धार्थ मल्होत्रा और परिणीति मुख्य किरदार निभा रहे हैं. वह यशराज की किसी फिल्म की नकल है. दूसरी तरफ यह भी खबर है कि रानी मुखर्जी अभिनीत फिल्म मर्दानी भी किसी दौर में प्रदर्शित हुई फिल्म तेजीस्वनी की कॉपी है. फिल्म खूबसूरत का भी रीमेक बनाया जा रहा है. जंजीर व कई चर्चित फिल्में पहले से ही रीमेक की फेहरिस्त में शामिल हैं. हिंदी सिनेमा में क्या इसवक्त कहानियों का अकाल है. जो लगभग कहानियां या तो पुरानी फिल्मों का रीमेक पर आधारित हो रही हैं. या फिर फिल्मों का सीक्वल है. एक दौर में तो केवल लोकप्रिय फिल्मों का रीमेक बनने की होड़ लगी थी. लेकिन फिलवक्त वे फिल्में भी जो किसी दौर में असफल भी रही हैं. उन फिल्मों को भी ढूंढ कर उनके रीमेक बनाये जा रहे है. इससे स्पष्ट है कि एक तरफ जहां एक तरफ कई फ्रेश और ओरिनजल कहानियां दर्शकों तक पहुंचाई जा रही है. वही दूसरी तरफ कुछ निर्माता निर्देशक केवल सीक्वल, रीमेक और नकल की दौर में शामिल हैं. आप सिनेमा थियेटर में बैठते हैं. फिल्म शुरू होती है. आपको फिल्म अच्छी लगती है. लेकिन बाहर आने के बाद आपको जब यह जानकारी मिलती है कि आप जिस फिल्म को अच्छा कर रहे हैं, वह किसी फिल्म की कॉपी है तो न सिर्फ सिनेमा बल्कि निर्देशक से भी आपका विश्वास उठ जाता है. हाल ही में जोया की फिल्म बांबे टॉकीज में भी कुछ ऐसा ही हुआ. यह फिल्म द पिंक इन माइ लाइफ की कॉपी है. हमारे चारों तरफ इतनी सारी कहानियां हैं, जिनपर फिल्में बन सकती हैं. फिर रीमेक फिल्में या नकल फिल्मों की जरूरत ही क्या है. यह सिलसिला थम नहीं सकता. लेकिन चाहे तो इस पर पूर्णविराम तो नहीं, लेकिन अल्पविराम तो लगा ही सकते हैं.
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20130629
रीमेक, नकल का दौर
फिल्म शौकीन के रीमेक में अक्षय कुमार और नरगिस फाकड़ी साथ साथ नजर आयेंगे. खबर है कि करन जौहर अपनी नयी फिल्म जिसमें सिद्धार्थ मल्होत्रा और परिणीति मुख्य किरदार निभा रहे हैं. वह यशराज की किसी फिल्म की नकल है. दूसरी तरफ यह भी खबर है कि रानी मुखर्जी अभिनीत फिल्म मर्दानी भी किसी दौर में प्रदर्शित हुई फिल्म तेजीस्वनी की कॉपी है. फिल्म खूबसूरत का भी रीमेक बनाया जा रहा है. जंजीर व कई चर्चित फिल्में पहले से ही रीमेक की फेहरिस्त में शामिल हैं. हिंदी सिनेमा में क्या इसवक्त कहानियों का अकाल है. जो लगभग कहानियां या तो पुरानी फिल्मों का रीमेक पर आधारित हो रही हैं. या फिर फिल्मों का सीक्वल है. एक दौर में तो केवल लोकप्रिय फिल्मों का रीमेक बनने की होड़ लगी थी. लेकिन फिलवक्त वे फिल्में भी जो किसी दौर में असफल भी रही हैं. उन फिल्मों को भी ढूंढ कर उनके रीमेक बनाये जा रहे है. इससे स्पष्ट है कि एक तरफ जहां एक तरफ कई फ्रेश और ओरिनजल कहानियां दर्शकों तक पहुंचाई जा रही है. वही दूसरी तरफ कुछ निर्माता निर्देशक केवल सीक्वल, रीमेक और नकल की दौर में शामिल हैं. आप सिनेमा थियेटर में बैठते हैं. फिल्म शुरू होती है. आपको फिल्म अच्छी लगती है. लेकिन बाहर आने के बाद आपको जब यह जानकारी मिलती है कि आप जिस फिल्म को अच्छा कर रहे हैं, वह किसी फिल्म की कॉपी है तो न सिर्फ सिनेमा बल्कि निर्देशक से भी आपका विश्वास उठ जाता है. हाल ही में जोया की फिल्म बांबे टॉकीज में भी कुछ ऐसा ही हुआ. यह फिल्म द पिंक इन माइ लाइफ की कॉपी है. हमारे चारों तरफ इतनी सारी कहानियां हैं, जिनपर फिल्में बन सकती हैं. फिर रीमेक फिल्में या नकल फिल्मों की जरूरत ही क्या है. यह सिलसिला थम नहीं सकता. लेकिन चाहे तो इस पर पूर्णविराम तो नहीं, लेकिन अल्पविराम तो लगा ही सकते हैं.
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