अपने जमाने के मशहूर खलनायक अभिनेता रंजीत अब फिल्मी प्रीमियर में जाना पसंद नहीं करते. वे बताते हैं कि इन दिनों फिल्मी प्रीमियर में वह बात नहीं रही. जो पहले हुआ करती थी. किसी दौर में फिल्मी प्रीमियर एक खास आयोजन होता था. फिल्मी प्रीमियर के कई कायदे कानून होते थे. उस वक्त प्रीमियर में जाना किसी खास कार्यक्रम में कम नहीं होता था. चमक धमक तो तब भी थी. लेकिन इस कदर नहीं. उस दौर में फिल्मी प्रीमियर में लगभग सभी कलाकार शामिल होते थे. पूरी फिल्म देखते थे. बाद में सभी स्टेज पर जाकर फिल्म की चर्चा करते थे. मिलना जुलना होता था. आज की तरह नहीं, कि फिल्म शुरू होने से पहले बार खुल जाते हैं और लोग केवल पीने पिलाने में रह जाते थे.यही कारण है कि रंजीत इन दिनों फिल्मी प्रीमियर से दूर रहते हैं. दरअसल, यही हकीकत भी है. हाल के दिनों में प्रीमियर की खास अहमियत नहीं रह गयी. आजकल हर फिल्म के प्रीमियर होते हैं और वे सिर्फ तसवीरों और पोशाकों तक सीमित रह जाते हैं, कुछ सालों पहले अमिताभ बच्चन ने अपनी फिल्म पा के दौरान अलग तरीके का प्रीमियर रखा था. इसके अलावा संजय लीला भंसाली ने देवदास के प्रीमियर पर खास आयोजन किया था. फिल्म देखने के बाद सभी लोगों को उन्होंने होटल ताज में दावत दी थी. लेकिन आमतौर पर अब फिल्मी प्रीमियर की चमक गायब हो चुकी है. अब यह सिर्फ दिखावे तक ही सीमित है. जबकि किसी दौर में खुद फिल्म के सितारे बाहर दरवाजे पर खड़े होकर आनेवाले मेहमानों का अभिवादन करते थे. फिर एक घोषणा के साथ फिल्म की शुरुआत होती है. वर्तमान में वह माहौल अब कहीं न तो देखा जाता है और न ही देखा जायेगा. चूंकि आज ग्लैमर हर तरफ हावी है. आज लोग केवल मीडिया कवरेज के लिए फिल्मी प्रीमियर पार्टी रखते हैं.
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20130629
खोई फिल्मी प्रीमियर की चमक
अपने जमाने के मशहूर खलनायक अभिनेता रंजीत अब फिल्मी प्रीमियर में जाना पसंद नहीं करते. वे बताते हैं कि इन दिनों फिल्मी प्रीमियर में वह बात नहीं रही. जो पहले हुआ करती थी. किसी दौर में फिल्मी प्रीमियर एक खास आयोजन होता था. फिल्मी प्रीमियर के कई कायदे कानून होते थे. उस वक्त प्रीमियर में जाना किसी खास कार्यक्रम में कम नहीं होता था. चमक धमक तो तब भी थी. लेकिन इस कदर नहीं. उस दौर में फिल्मी प्रीमियर में लगभग सभी कलाकार शामिल होते थे. पूरी फिल्म देखते थे. बाद में सभी स्टेज पर जाकर फिल्म की चर्चा करते थे. मिलना जुलना होता था. आज की तरह नहीं, कि फिल्म शुरू होने से पहले बार खुल जाते हैं और लोग केवल पीने पिलाने में रह जाते थे.यही कारण है कि रंजीत इन दिनों फिल्मी प्रीमियर से दूर रहते हैं. दरअसल, यही हकीकत भी है. हाल के दिनों में प्रीमियर की खास अहमियत नहीं रह गयी. आजकल हर फिल्म के प्रीमियर होते हैं और वे सिर्फ तसवीरों और पोशाकों तक सीमित रह जाते हैं, कुछ सालों पहले अमिताभ बच्चन ने अपनी फिल्म पा के दौरान अलग तरीके का प्रीमियर रखा था. इसके अलावा संजय लीला भंसाली ने देवदास के प्रीमियर पर खास आयोजन किया था. फिल्म देखने के बाद सभी लोगों को उन्होंने होटल ताज में दावत दी थी. लेकिन आमतौर पर अब फिल्मी प्रीमियर की चमक गायब हो चुकी है. अब यह सिर्फ दिखावे तक ही सीमित है. जबकि किसी दौर में खुद फिल्म के सितारे बाहर दरवाजे पर खड़े होकर आनेवाले मेहमानों का अभिवादन करते थे. फिर एक घोषणा के साथ फिल्म की शुरुआत होती है. वर्तमान में वह माहौल अब कहीं न तो देखा जाता है और न ही देखा जायेगा. चूंकि आज ग्लैमर हर तरफ हावी है. आज लोग केवल मीडिया कवरेज के लिए फिल्मी प्रीमियर पार्टी रखते हैं.
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