सलमान खान ने हाल ही में अपने एक इंटरव्यू में इच्छा जाहिर की, कई बार वे आम आदमी की तरह जीना चाहते हैं. सड़कों पर वॉक करना चाहते हैं.बाइक चलाना चाहते हैं. दीपिका पादुकोण ने भी अपना अनुभव बताया कि कैसे जब वह सेलिब्रिटी नहीं थी तो अपनी सहेलियों के साथ सड़कों पर खड़ी होकर चाट और गोल गप्पे खाया करती थी. लेकिन फिल्म आरक्षण के दौरान भोपाल में जब अपनी वही पुरानी यादों को ताजा करने गयीं. एक चाट के स्टॉल पर. लोगों ने उन्हें घेर लिया और उनका वह सपना अधूरा रह गया. हाल ही में मुंबई में एकदिन जब अमिताभ ने अपने कार का शीशा नीचे गिराया. किसी ने उन्हें देख लिया और हड़कंप मच गयी. दरअसल, हकीकत यह है कि ये सुपरसितारा हैसियत रखनेवाले कलाकार भी आखिर होते आम इंसान ही हैं. जाहिर है इनके मन में भी कई बार आम लोगों की तरह जिंदगी जीने की इच्छा होती ही होगी.किसी दौर में माधुरी नामक सिनेमा पर आधारित लोकप्रिय पत्रिका में बबीता ने अपनी सुपरसितारा जिंदगी की दुविधाओं का वर्णन बेहद खूबसूरती से किया है. बबीता की यह पूरी चिट्ठी उनकी एक महिला प्रशंसक को लिखी गयी है. बबीता लिखती हैं कि एक सेलिब्रिटी की हस्ती वैसी ही है, जैसी किसी आर्क लैंप, कैमरा सोलर या दूसरी किसी प्रोपर्टी की होती है. जिस तरह इन सारी चीजों की देख रेख और साज-संभाल किया जाता है. फिल्मी हस्तियोंका भी किया जाता है. आगे वह लिखती हैं कि कीमती पोशाकों का क्या लालच? वे स्टूडियो पहुंच कर पहनी जाती हैं. वही उतार कर रख दी जाती है. उन्हें बबीता नहीं. कहानी का चरित्र पहनता है. बबीता का यह पूरा लेख दरअसल,फिल्मी हस्तियों की उस दिल के दर्द को दर्शाता है जो सोने के पिंजड़े में नजरबंद होकर भी बाहर की दुनिया में फर फराने के लिए बेताब होता है.
My Blog List
20121015
सोने के पिंजड़े में नजरबंद अरमान
सलमान खान ने हाल ही में अपने एक इंटरव्यू में इच्छा जाहिर की, कई बार वे आम आदमी की तरह जीना चाहते हैं. सड़कों पर वॉक करना चाहते हैं.बाइक चलाना चाहते हैं. दीपिका पादुकोण ने भी अपना अनुभव बताया कि कैसे जब वह सेलिब्रिटी नहीं थी तो अपनी सहेलियों के साथ सड़कों पर खड़ी होकर चाट और गोल गप्पे खाया करती थी. लेकिन फिल्म आरक्षण के दौरान भोपाल में जब अपनी वही पुरानी यादों को ताजा करने गयीं. एक चाट के स्टॉल पर. लोगों ने उन्हें घेर लिया और उनका वह सपना अधूरा रह गया. हाल ही में मुंबई में एकदिन जब अमिताभ ने अपने कार का शीशा नीचे गिराया. किसी ने उन्हें देख लिया और हड़कंप मच गयी. दरअसल, हकीकत यह है कि ये सुपरसितारा हैसियत रखनेवाले कलाकार भी आखिर होते आम इंसान ही हैं. जाहिर है इनके मन में भी कई बार आम लोगों की तरह जिंदगी जीने की इच्छा होती ही होगी.किसी दौर में माधुरी नामक सिनेमा पर आधारित लोकप्रिय पत्रिका में बबीता ने अपनी सुपरसितारा जिंदगी की दुविधाओं का वर्णन बेहद खूबसूरती से किया है. बबीता की यह पूरी चिट्ठी उनकी एक महिला प्रशंसक को लिखी गयी है. बबीता लिखती हैं कि एक सेलिब्रिटी की हस्ती वैसी ही है, जैसी किसी आर्क लैंप, कैमरा सोलर या दूसरी किसी प्रोपर्टी की होती है. जिस तरह इन सारी चीजों की देख रेख और साज-संभाल किया जाता है. फिल्मी हस्तियोंका भी किया जाता है. आगे वह लिखती हैं कि कीमती पोशाकों का क्या लालच? वे स्टूडियो पहुंच कर पहनी जाती हैं. वही उतार कर रख दी जाती है. उन्हें बबीता नहीं. कहानी का चरित्र पहनता है. बबीता का यह पूरा लेख दरअसल,फिल्मी हस्तियों की उस दिल के दर्द को दर्शाता है जो सोने के पिंजड़े में नजरबंद होकर भी बाहर की दुनिया में फर फराने के लिए बेताब होता है.
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment