20121015

Amitabh special (5) : परिवार का मुखिया


उर्मिला कोरी- अनुप्रिया 

केबीसी की शूटिंग में अमिताभ व्यस्त थे. लेकिन इसके बावजूद वे वक्त निकाल कर अपनी पोती आराध्या व बहू को लेने खुद एयरपोर्ट पहुंच गये. खुद ड्राइव करके. जबकि पूरी की पूरी ड्राइवरों की पलटन है उनके पास. लेकिन वे अपनी पोती के लिए खुद ड्राइवर बन कर खुश हैं. बेटी श्वेता के बच्चों के घर पर आने पर वे वक्त निकाल कर सबके साथ वक्त बिताते हैं. चूंकि उन्हें पसंद है कि उनका परिवार उनके साथ रहे. कभी कभी जब वह अकेला महसूस करते हैं. वे बेटे अभिषेक के साथ शांति से केवल एक कमरे में बैठना पसंद करते हैं. बहू ऐश्वर्य राय को बेटी की तरह प्यार और सम्मान देने में वे कोई कसर नहीं छोड़ते. पत् नी जया को शादी के बाद भी राजनीति में जाने से नहीं रोका. उनका साथ देते रहे. वे एक साथ निरंतर एक पति, पिता, ससुर व अब दादा की जिम्मेदारी निभा रहे हैं. घर में वे ही बिग बॉस हैं. सारे महत्वपूर्ण निर्णयों पर उनका ही आखिरी फैसला माना जाता है. लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि उन्होंने कभी किसी पर कोई पाबंदी लगा रखी है. दरअसल, अपने पिता हरिवंशराय बच्चन के दिये गये आदर्श व पारिवारिक मूल्यों की उन्हें आज भी कद्र है. वे परिवार को अपने 70वें साल का सबसे अनमोल तोहफा मानते हैं. वे आज सफल हैं. इसका श्रेय भी वे परिवार को ही देते हैं. क्योंकि वे परिवार के भी महानायक हैं. इसलिए बहू ऐश के भी चहेते हैं तो अभिषेक के लिए उनके बेस्ट बडी हैं. पत् नी के लिए वे हिमालयपुत्र हैं. अमिताभ यह बखूबी जानते हैं कि परिवार का हर सदस्य एक सा नहीं होता. लेकिन एक दूसरे को समझ कर, एक दूसरे की कद्र करके ही और सामांजस्य बिठा कर ही वे परिवार को खुशहाल रख सकते हैं. शायद यही वजह है कि वे अभिषेक-ऐश की जिंदगी में बहुत दखल नहीं देते. परिवार में सबको आजादी है. वे छोटों का सम्मान करते हैं. इसलिए आज उन्हें भी सम्मान प्राप्त है. वरना, हिंदी फिल्म इंडस्ट्री में कई सुपरस्टार बने. लेकिन वे सुपरस्टार परिवार के लिए भी सुपरस्टार बन पाये. इसका विलक्षण उदाहरण अमिताभ हैं. बकौल जया अक्सर यह बात सुनने को मिलती है कि एक सुपरस्टार की पत्नी होने के नाते जिंदगी कितनी अलग है. सच कहूं तो बिल्कुल भी नहीं, क्योंकि अमित ने जिंदगी को हमेशा ही आम लोगों की तरह ही जिया है. एक सुपरस्टार किस तरह का बर्ताव करता है. मैं नहीं जानती हूं क्योंकि अमित एक आम आदमी की तरह हमेशा ही अपने परिवार को ढेर सारा प्यारा और महत्व देते रहे हैं.  वे फैमिली मैन  हैं. वे हमेशा से ही बहुत जिम्मेदार रहे हैं. बाबूजी बताते थे कि अमित की उम्र मुश्किल से १० की रही होगी. बाबूजी इंग्लैंड गये थे.  अजिताभ भी उस वक्त बहुत छोटा थे.मां की तबीयत अचानक बहुत खराब हो गयी. वे बेहोश हो गयी थीं. उस परिस्थति में भी अमित घबराये नहीं उन्होंने मां को न सिर्फ संभाला बल्कि एक चिट्ठी लिखकर नौकर को दी कि वे डॉक्टर के पास यह चिट्ठी लेकर जाये. अपने जिम्मेदार अप्रोच से उन्होंने उस दिन बड़ी घटना को होने से टाल दिया. परिवार के प्रति उनका जिम्मेदाराना अप्रोच हमेशा ही रहा है. हमारे परिवार में सभी को अपनी जिंदगी अपने तरीके से जीने की छूट है लेकिन जब कभी भी कोई परेशानी आती है. हम सब मिलकर फैसला लेते हैं. गुस्सा तो वह बमुश्किल होते हैं. लापरवाही, गंदगी से उन्हें सख्त ऐतराज है. कमरे की गंदी बेडशीट और परदे से उन्हें चिढ़ है. एक फिक्रमंद दादाजी की तरह वे शाम के  वक्त खिड़कियां बंद रखते हैं. ताकि घर में मच्छर न आ जाये और अराध्या को परेशानी न हो. अमित की धैर्यता भी उन्हें परिवार का मुखिया बनाती है. बेटियों को खास मानने वाले बिग बी की बिटिया श्वेता नंदा अपने पिता पर बातचीत करती हुई कहती हैं कि  मैं इस बात को शब्दों में नहीं बता सकती कि मेरे पापा मेरे लिए कितने स्पेशल हैं. हमारी जिंदगी, हमारा बचपन सबकुछ बेहतरीन रहा है तो इसकी सबसे बड़ी वजह यह थी कि वे इन सबका आधार थे. वे हमेशा मेरे साथ रहे हैं. फिर चाहे वह अपनी फिल्मों की शूटिंग में कितना भी व्यस्त रहे हो. मुझे कौन सी ड्रेस पहननी है, कैसा मेकअप करना है. मां से ज्यादा पापा इन सब में मेरी मदद करते थे. उन्होंने हर कदम पर मेरा साथ दिया है. फिर चाहे वह मेरी डिलीवरी का ही वक्त क्यों न हो. वे पापा ही नहीं बेहतरीन नाना भी हैं. अगस्थ्य हो या नव्या नवेली उनसे उनका रिश्ता अनूठा है. मुझे याद है एक बार जब वे तिरूपति जा रहे थे.किसी कारणवश मैं नहीं जा पायी थी. लेकिन उन्होंने मुझसे कहा कि बच्चों को मेरे साथ भेज दो. उस वक्त अगस्थ्य दो साल का होगा और नव्या नवेली ४ साल की. इतने छोटे बच्चों का खास ख्याल रखा. उसके बाद तो बच्चों को उनका साथ बहुत ज्यादा भाता है.अमिताभ बच्चन की बेटी होना बहुत ही खुशी के साथ-साथ गौरव की बात भी है. मैं उनकी परदे की इमेज और उससे जुड़े स्टारडम को नहीं बल्कि निजी जिंदगी में जिस तरह के वे इंसान हैं. मेरे लिए तो वह रियल हीरो हैं. महानायक अमिताभ बच्चन को अभिषेक अपना भगवान मानते हैं. बकौल अभिषेक सच कहूं तो मुझे घर पर कभी भी नहीं लगा कि पापा एक सुपरस्टार हैं. एक पल को भी उन्होंने कभी ऐसा महसूस नहीं होने दिया. वे घर पर एक आम पिता की तरह ही होते थे. बचपन में पा शूटिंग के बाद जैसे ही घर लौटते थे.  चाहे कितना भी थके   क्यों न हो. वे हर दिन दौड़कर मुझे गले लगाते थे और मेरे साथ जरूर खेलते थे.  पापा एक घरेलू आदमी हैं. उन्हें खुश करने के लिए ज्यादा कुछ करने की जरूरत नहीं है. बस उनका परिवार उनके पास हो. मुझे याद है जब पढ़ने के लिए विदेश गया था और छुट्टियों में वापस लौटा तो पापा मुझे लेकर आॅफिस आये और अपने केबिन में सारा दिन अपने पास बिठाये रखा. वे अपना काम करते और मुझे देखते मुस्कुराते. ज्यादा बात भी नहीं की लेकिन जब शाम को वापस लौटे तो उन्होंने कहा कि आज तुम्हारी मौजूदगी ने मेरा पूरा दिन बना दिया. यही वजह है कि जब भी समय मिलता है. मैं और पा लॉग ड्राइव्व पर या मूवी देखने चले जाते हैं. मेरी फिल्मी कैरियर में उन्होंने दखलअंदाजी कभी नहीं की लेकिन मुझे बेहतरीन बनाने के लिए वे हमेशा अपने टिप्स देते रहे हैं. मेरी शूटिंग के पहले दिन उन्होंने मुझसे कहा था कि अपना काम पूरी मेहनत, लगन और ईमानदारी से करना. स्वभाव में विनम्रता हमेशा बनाए रखना क्योंकि तुम्हारे नाम के साथ तुम्हारे दादाजी का नाम भी जुड़ा है. जब मेरी एक्टिंग की सभी जगह आलोचना हो रही थी तब पा ने ही कहा कि तुम्हारे अभिनय के बारे में जो कुछ भी अखबारों में लिखा जा रहा है. उसे अंडरलाइन कर अपने रुम में लगा लो और रोज सोने से पहले और उठने के बाद पढ़ो और सुधार करो और अपनी दूसरी फिल्म की रिलीज के बाद देखों की तुम्हारी आलोचना मे लिखी गयी लाइनें कितनी कम हुई है.वाकई उनका फार्मूला कारगर साबित हुआ है. पा ने न सिर्फ मुझे जिंदगी दी है बल्कि उसे संवारा भी है इसलिए मेरे लिए पा मेरे भगवान है. अभिषेक की तरह ऐश्वर्य राय की राय यही है बकौल ऐश पा जिस तरह से घर और अपने काम को मैनेज करते हैं. बहुत हद तक वह उनको भी प्रभावित करता है. आराध्या के साथ ज्यादा से ज्यादा समय बिताने के लिए वे अराध्या के सोने और उठने का समय सबकुछ याद रखते हैं. सिर्फ यही नहीं अराध्या के खातिर उन्हें ड्राइवर बनने से भी कोई ऐतराज नहीं है. आराध्या जब कभी भी बाहर जाती है. पापा उसके साथ हमेशा ही होते हैं ताकि वो इस बहाने ही सही आराध्या के साथ उन्हें समय बिताने का मौका तो मिल जाए. पा बेस्ट हैं. मुझे उन्होंने कभी ऐहसास नहीं कराया कि मैं घर की बहू हूं.

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