सुभाष घई चार सालों के बाद निर्देशन की कुर्सी संभालने जा रहे हैं. वे ऋषि कपूर के साथ 32 साल के बाद फिर से फिल्म बनाने की तैयारी कर रहे हैं. इससे कर्ज सुपरहिट रही थी. सुभाष घई ने वर्ष 1976 में पहली बार फिल्म कालीचरण का निर्देशन किया और पहली बार ही उन्होंने कामयाबी का स्वाद चख लिया. इसके बाद लगातार 2005 तक उन्होंने 15 फिल्मों का निर्देशन दिया जिसमें उनकी 13 फिल्में सुपरहिट हिट रहीं. शायद यही वजह थी कि वे राजकपूर के बाद शोमैन की उपाधि हासिल करने में कामयाब रहे. सौदागर, राम लखन,कर्ज जैसी तमाम फिल्मों में उन्होंने एक अलग तरह की प्रेम कहानी दर्शाने की कोशिश की और दर्शकों से जुड़े रहे. लेकिन ताल के बाद इस शोमैन से वह एकाधिकार राज छीना. दरअसल, प्राय: जब किसी बड़ी हस्ती का पतन होता है तो लोग उनके पतन के कई कयास लगाने लगते हैं. लेकिन सच्चाई यह है कि घई ने ताल के बाद भी किशना, युपराज में भी खूबसूरत प्रेम कहानी प्रस्तुत की. लेकिन दर्शक उससे कनेक्ट नहीं कर पाये. चूंकि वक्त के साथ प्रेम कहानियों के संदर्भ में भी बदलाव आया. किसी दौर में सुभाष नये चेहरों के लांचिंग पैड थे. उन्होंने माधुरी को बेहतरीन फिल्में दीं. मीनाक्षी को हीरो से चमकाया. रूपा चौधरी को महिमा चौधरी के रूप में स्वदेस दी. ऐश की डमाडोल करियर को सहारा भी ताल ने ही दिया था.एक दौर में शाहरुख खान जैसे सुपरसितारा घई के साथ काम करना चाहते थे. सुभाष के हाथ नाकामायबी लगी और लोगों ने साथ छोड़ा.ऐसे दौर में केवल सलमान ने उनका साथ दिया. कभी अपनी शर्तों पर कलाकारों से अभिनय करानेवाले सुभाष ने नाकामयाबी का लंबा सफर तय किया है. निश्चित तौर पर वे अपने खट्टे अनुभव से सीख लेकर कुछ अलग रचने की कोशिश करेंगे. उम्मीदन सुभाष फिर से वह जादू कायम करें.
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20121003
शोमैन का शो शुरू होता है अब
सुभाष घई चार सालों के बाद निर्देशन की कुर्सी संभालने जा रहे हैं. वे ऋषि कपूर के साथ 32 साल के बाद फिर से फिल्म बनाने की तैयारी कर रहे हैं. इससे कर्ज सुपरहिट रही थी. सुभाष घई ने वर्ष 1976 में पहली बार फिल्म कालीचरण का निर्देशन किया और पहली बार ही उन्होंने कामयाबी का स्वाद चख लिया. इसके बाद लगातार 2005 तक उन्होंने 15 फिल्मों का निर्देशन दिया जिसमें उनकी 13 फिल्में सुपरहिट हिट रहीं. शायद यही वजह थी कि वे राजकपूर के बाद शोमैन की उपाधि हासिल करने में कामयाब रहे. सौदागर, राम लखन,कर्ज जैसी तमाम फिल्मों में उन्होंने एक अलग तरह की प्रेम कहानी दर्शाने की कोशिश की और दर्शकों से जुड़े रहे. लेकिन ताल के बाद इस शोमैन से वह एकाधिकार राज छीना. दरअसल, प्राय: जब किसी बड़ी हस्ती का पतन होता है तो लोग उनके पतन के कई कयास लगाने लगते हैं. लेकिन सच्चाई यह है कि घई ने ताल के बाद भी किशना, युपराज में भी खूबसूरत प्रेम कहानी प्रस्तुत की. लेकिन दर्शक उससे कनेक्ट नहीं कर पाये. चूंकि वक्त के साथ प्रेम कहानियों के संदर्भ में भी बदलाव आया. किसी दौर में सुभाष नये चेहरों के लांचिंग पैड थे. उन्होंने माधुरी को बेहतरीन फिल्में दीं. मीनाक्षी को हीरो से चमकाया. रूपा चौधरी को महिमा चौधरी के रूप में स्वदेस दी. ऐश की डमाडोल करियर को सहारा भी ताल ने ही दिया था.एक दौर में शाहरुख खान जैसे सुपरसितारा घई के साथ काम करना चाहते थे. सुभाष के हाथ नाकामायबी लगी और लोगों ने साथ छोड़ा.ऐसे दौर में केवल सलमान ने उनका साथ दिया. कभी अपनी शर्तों पर कलाकारों से अभिनय करानेवाले सुभाष ने नाकामयाबी का लंबा सफर तय किया है. निश्चित तौर पर वे अपने खट्टे अनुभव से सीख लेकर कुछ अलग रचने की कोशिश करेंगे. उम्मीदन सुभाष फिर से वह जादू कायम करें.
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