20121022

केकवॉक नहीं है बॉलीवुड : वरुण धवन


 
वरुण ने फिल्म माइ नेम इज खान में करन जौहर को अस्टिट करने का फैसला सिर्फ इसलिए लिया था क्योंकि वह देखना चाहते थे कि शाहरुख किस तरह काम करते हैं. वह क्या बातें हैं जो उन्हें सुपरस्टार बनाती है. पिता डेविड धवन और भाई रोहित धवन के निर्देशन में बन रही फिल्मों के बावजूद उन्होंने करन के साथ ही अस्टिट किया. ताकि वे अभिनय से पहले निर्देशन की बारीकियां भी सीख लें. स्टूडेंट आॅफ द ईयर में वे चार्मिंग स्कूल ब्वॉय का किरदार निभा रहे हैं. अभिनय के पहले अनुभव के बारे में बातचीत की.

पापा डेविड धवन भी निर्देशन के क्षेत्र में हैं. भाई रोहित धवन भी निर्देशन में हैं. लेकिन वरुण ने अलग राह चुनी है. करन जौहर के प्रोडक् शन से वे अपनी पहली शुरुआत कर रहे हैं.
बड़ी कठिन है बॉलीवुड की डगर
मुझसे अक्सर यह बात कही जाती है कि मुझे मौका मिला है क्योंकि मेरे पिता बड़े निर्देशक हैं. स्थापित हैं. लोग उन्हें जानते हैं. लेकिन सच्चाई यह बोलूं तो यह सच है कि पापा की वजह से मैं जिससे भी मिलने जाता था. वे मुझे बुला कर कॉफी पिलाते थे. प्यार से बात करते थे. लेकिन आॅडिशन के बाद कोई सरनेम काम नहीं आता, सिर्फ टैलेंट ही काम आता है. और मैं तो यह महसूस करता हूं कि न्यू कमर के लिए इंडस्ट्री अधिक सख्त है. हमारी एक भी गलती इंडस्ट्री में सहन नहीं की जाती. हमें बेहद अलर्ट रहना पड़ता है. दूसरी बात है. मैंने इस इंडस्ट्री को देखा है. करीब से. मुझे पता है कि कोई भी निर्माता अगर आपमें कुछ भी नहीं तो रिस्क नहीं लेना चाहता. ऐसे में हमें भी खुद को साबित करना पड़ता है.

पापा डेविड के मास्टर क्लासेज
मैं अपने पापा का शुक्रगुजार हूं कि मुझे एक अच्छा इंस्टीटयूशन मिला घर पर ही. मैंने निर्देशन और फिल्मों को घर पर बनते देखा है. सो, मैं खुद चाहता था कि मैं बाहर जाकर काम देखूं. नयी चीजें सीखूं और पापा ने मेरा बहुत सपोर्ट किया. मुझे याद है. जितने दिनों तक शूटिंग चली है. उतने दिनों तक रात में रे लगातार हर दिन मुझे एक एसएमएस करते थे. जिसमें वे मुझे बताते थे कि इंडस्ट्री में उन्हें किस तरह काम करना है. मेरे लिए वे पापा के मास्टर क्लासेज थे. पापा का एक मेसेज मेरे लिए काफी टची था, जिसमें उन्होंने कहा था कि अगर एक बार गलती कर दो तो बॉलीवुड उसे सुधारने का मौका नहीं देता. सो, सोच समझ कर हर कदम बढ़ाना. मेरे लिए यह एक पिता से अधिक इस इंडस्ट्री के सीनियर की तरफ से एक खास सीख थी.

शाहरुख सलमान हैं आदर्श
सलमान सर के साथ मैंने काम किया है. पापा की कई फिल्मों में सलमान सर ने काम किया है तो मैंने उनका वर्किंग स्टाइल देखा है. और यही वजह थी कि मैं एक बार शाहरुख सर का भी वर्किंग कल्चर देखना चाहता था. मैं देखना चाहता था कि वह कौन सा करिश्मा है उनमें जिससे वे लोगों को प्रभावित करते हैं. अब जब हमारी फिल्म पूरी हो गयी है और हम उनसे मिलते हैं तो वे बिल्कुल भाई की तरह बातें करते हैं. माइ नेम इज खान के सेट पर मुझे याद है. जिस दिन फिल्म का पैकअप था. आखिरी दिन था. वह बकायदा क्रू के हर मेंबर, हर स्पॉट ब्वॉय को गले लगा कर कहते थे कि इंशा अल्लाह आप सभी अच्छे से काम करें. खूब तरक्की करें. शाहरुख अपने स्पॉट ब्वॉय के साथ भी दोस्ताना व्यवहार रखते हैं. यह देख कर मैं समझ पाया कि वे कैसे आम दर्शकों से कनेक्ट कर पाते हैं और उनसे मंै यही कला सीखने की कोशिश कर रहा हूं. शाहरुख सर के अलावा काजोल के साथ काम करके भी बहुत मजा आया. अब जब काजोल से हमारी मुलाकात होती है तो कहती हैं कि तुम सेट पर अस्टिेंट थे. और अब हीरो बन गये. लंबी रेस के घोड़े हो तुम सब. तो सीनियर से इस तरह के कमेंटस मिलते हैं तो खुशी मिलती है. साथ ही मुझे उस वक्त भी बेहद खुशी हुई जब सलमान भाई ने मेरी फिल्म का ट्रेलर देख कर कहा कि गुड वर्क अच्छे से काम करो और बिल्कुल न बुरा करो और न सोचो. मुझे इससे एनर्जी मिल रही है कि इंडस्ट्री के अच्छे लोग हमें सपोर्ट कर रहे हैं.

सेल्फ क्रिटिक
चूंकि मैं निर्देशकों के परिवार से हूं तो मैं अपने अभिनय को भी टेक्नीकल प्वाइंट आॅफ व्यू से देखता रहता हूं. मेरे लिए अभिनय से अधिक फिल्ममेकर किस तरह शॉट को कनसिव कर रहा है और उसका थॉट प्रोसेस क्या है. यह जानने की भी कोशिश रहती है.

पापा ने कभी किसी को लांच नहीं किया
पापा ने कभी किसी भी सितारों को लांच नहीं किया. ये उनका वर्किंग स्टाइल है. वे लांच करने में खुद को कंफर्टेबल नहीं समझते.हां, लेकिन जब मैंने पापा से कहा कि मैं एक्टर बनना चाहता हूं तो उन्होंने बस यही कहा कि जब खुद पर भरोसा हो तभी इस फील्ड में आना क्योंकि एक्टिंग डायरेक् शन से भी टफ काम है. क्योंकि आप ही चेहरा होते हैं फिल्म के. सो, सारी जिम्मेदारी आपकी. हिट हुई तो प्रशंसा भी आपकी. फ्लॉप हुई तो आलोचना भी आपकी.

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