20121015

Amitabh special -(3)छोटे परदे पे अमिताभ बच्चन


  
मस्टर बच्चन होस्ट नहीं, मैजिशियन हैं : सिद्धार्थ बासु

कौन बनेगा करोड़पति की परिभाषा अमिताभ बच्चन से है. केबीसी और मिस्टर बच्चन का साथ अब एक दूसरे के बिना अधूरा है. इन 12 सालों में मैंने यही महसूस किया है कि किस तरह हर बार अमिताभ केबीसी को एक नया रूप देते हैं. किस तरह केबीसी की कहानी दिन ब दिन नयी होती जा रही है. इन 12 सालों में आज भी केबीसी में ताजगी नजर आती है तो वह मिस्टर बच्चन की वजह से ही. हिंदी सिनेमा के कई सितारें टीवी पर एंकरिंग कर चुके हैं. लेकिन यह जरूरी नहीं कि जो बेहतरीन कलाकार हों वह बेहतरीन एक्टर भी हों. लेकिन जिस शिद्दत से अमिताभ बच्चन ने छोटे परदे पर अपना नया अवतार लोगों के सामने प्रस्तुत किया. वह कमाल का था. केबीसी समीर नायर की सोच थी. जब वह यह आइडिया लेकर मेरे पास आये तो मुझे आइडिया बेहद पसंद आया था. फिर हमारी सोच इस पर शुरू हुई थी कि हम ऐसे किस व्यक्ति को केबीसी का चेहरा बनाये, जिसके पास स्टाइल भी हो. वह गंभीर भी हो. शो के फॉरमेट के अनुसार लोग उन्हें बौद्धिक भी मानें और जिसके पास मास अपील भी हो. हमारे सामने सिर्फ और सिर्फ एक ही नाम आया अमिताभ बच्चन. चूंकि मिस्टर बच्चन ही वह पर्सनैलिटी हैं. शख्सियत हैं. जो मास को तो अपील करते हैं. साथ ही उनका अपना स्टाइल भी है. जो लोगों को आकर्षित कर देता है. आज भी इन 12 सालों में मैं हर वक्त उन्हें सेट पर देखता हूं तो आश्चर्यचकित रहता हूं. वह हर बार नये जोश के साथ काम करते हैं. कुछ गलतियां हो तो वे खुद भी टीम से जाकर पर्सनली बात करते हैं. वहां आयी आॅडियंस सुबह से शाम तक सिर्फ इसलिए शांति से बैठती है क्योंकि अमिताभ उन्हें प्यार और स्रेह से आग्रह करते हैं कि आप कहीं न जायें. हमारा सहयोग करें. शाम में हम सब साथ में फोटो खिंचवायेंगे. किसी भी दूसरे व्यक्ति के लिए हर दिन एक तरह का काम लगातार करना बेहद बोरिंग होता . लेकिन मिस्टर बच्चन अपनी सूझबूझ से सबकुछ नया सा कर देते हैं. वे सेट पर सुबह 9 बजे तक आ जाते हैं. लेखक तेलांग के साथ बैठ कर प्रतिभागी की पूरी हिस्ट्री सुनते हैं और फिर बात करते हैं. मैं मानता हूं कि छोटे परदे पर भी अमिताभ आज भी कामयाब हैं. मैं सिर्फ केबीसी की ही नहीं, बल्कि बिग बॉस जैसे शो की बात करूंगा कि वहां भी अमिताभ काफी कामयाब रहे. विज्ञापनों में भी अमिताभ के उपस्थिति ही विज्ञापन का कद ऊंचा कर देती है. चूंकि मिस्टर बच्चन के पास जो सेंस आॅफ ड्रामा है, इलाहाबाद के होने की वजह से आज भी वे लोगों को वहां के ठेठ भाषा में बात करके जोड़ लेते हैं. दो भाषाओं का ज्ञान तो कई लोगों को होता है. लेकिन अमिताभ हिंदी, अंगरेजी व आम आदमी की भाषा के साथ इतनी मधुर भाषा बोलते हैं कि हर कोई उनका कायल हो जाता है. मैं विशेष  कर एक और बात यह भी कहना चाहूंगा कि मिस्टर बच्चन का अनुशासन भी उन्हें छोटे परदे का बादशाह बनाता है. वे बहुत धैर्य के साथ बातें करते हैं. काम के वक्त मैंने कभी उन्हें खींजते हुए नहीं देखा. कोई प्रतिभागी जब उनसे ज्यादा देर तक बातें करता रह जाता है. उस वक्त भी वे उन्हें निराश नहीं करते. चूंकि खुद अमिताभ की जानते हैं कि वे कहां हैं. किस मुकाम पर हैं. लेकिन इस मुकाम पर भी वे आम लोगों से उनकी तरह ही मिलते हैं. सेट पर ही कई बार मैंने देखा है. वे आॅडियंस में आये लोगों के बच्चों को गोद में उठा लेते हैं. कभी अगर किसी की घड़ी अच्छी लग रही है तो वह उनकी तारीफ कर देते हैं. अमिताभ के लि यह बड़ी बात नहीं. लेकिन आम लोगों के लिए यह खास बात हो जाती है कि यह अमिताभ उन्हें कह रहे हैं. शयद उनका यही अंदाज उन्हें लार्जर दैन लाइफ का अभिनेता होने के बावजूद छोटे परदे का जादूगर बनाने में कामयाब है. चूंकि मेरा मानना है कि छोटे परदे का फैन या दर्शक अधिक लॉयल होते हैं. लेकिन बहुत स्थिर नहीं होते. वे केवल उन्हीं लोगों के साथ लंबे समय तक जुड़े रह सकते हैं. जो उन्हें उनकी तरह से जोड़े रखने में कामयाब हो. अमिताभ में वह स्पार्क है. अमिताभ केबीसी या फिर मुझे लगता है कि किसी भी प्रोजेक्ट को 100 प्रतिशत से भी ज्यादा देते हैं. चूंकि आज तक इतने सालों में मैंने उन्हें कभी नहीं देखा कि वह बिना रिहर्सल किये या शूटिंग के दौरान सीन पढ़ते हों. वे पहले से ही सारी तैयारी करके रखते हैं. मिस्टर बच्चन प्राय: यह कहते हैं कि केबीसी का फॉरमेट ग्लोबल है. हिट है. और सिर्फ होस्ट के बदलने से भी शो हिट रहेगा. लेकिन मैं इस शो को अब उनके बिना सोच भी नहीं सकता. वे न तो बिना रिहर्सल के कभी शूटिंग शुरू करते हैं और न भी बिना रिव्यू देखे वाइंड अप करते हैं. चूंकि वे खुद मानते हैं कि उनकी कमियां शो के साथ साथ उनकी छवि को भी धूमिल करेगी. वे पूरे शो में खुद इंवॉल्व होते हैं. ये सब कोई क संवेदनशील अभिनेता, कलाकार और कल्पनाशील व्यक्ति ही कर सकता है. अमिताभ वर्कहोलिक हैं. और उनकी यही खूबी आज उन्हें 70 साल में भी ऊर्जा प्रदान कर रही है. मिस्टर बच्चन में मुझे आज भी हर दिन कुछ ना करने और अपना बेस्ट देने की भूख नजर आती है. यह भूख जिंदा  है. इसलिए वे भी एक्टिव हैं. वह शो के और छोटे परदे पर इंक्रेडिबल फोर्स हैं. मैं उनके लिए एक टर्म यूज करूंगा. कांन्समेट परफॉरमर. मतलब वह   परफॉरमर होने के साथ साथ इस बात को अच्छी तरह जानते हैं कि वह किसी प्रोडक्ट पर कैसे लोगों को यकीन दिलायें. प्रोफेशनली वह मेरे लिए अनुशासित टैलेंट हैं जो कमिटमेंट के साथ अपना काम उत्कृष्टता और जिम्मेदारी से करते हैं. और पर्सनली कहूं तो वे बेहतरीन हास्य अभिनेता भी हैं. उनके जोक्स केबीसी के सेट पर बेहद फेमस हैं. मैं मानता हूं कि मिस्टर अमिताभ की उपस्थिति छोटे परदे पर केवल पैसों का नाम नहीं है. यह क तरह का मैजिक है जो सिर्फ मिस्टर बच्चन ही क्रियेट कर सकते हैं. और यही वजह है कि उनके साथ जुड़ने के साथ सफलता की गारंटी 100 प्रतिशत से भी अधिक बढ़ जाती है.

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