20121015

Amitabh special-2 ( अमिताभ की जिंदगी में पांच अहम लोग)

उर्मिला कोरी- अनुप्रिया 


अजिताभ बच्चन ( छोटे भाई) : अमिताभ बच्चन कभी फिल्मों में नहीं आना चाहते थे और न ही उन्होंने कभी परिकल्पना की थी. लेकिन भाई अजिताभ को फोटोग्राफी का शौक था और उन्होंने ही भाई अमिताभ को एक दिन कोलकाता के विक्टोरिया मेमोरियल ले जाकर अमिताभ की कई तसवीरें लीं. अपनी तरह तरह की तसवीरें. अलग अलग अंदाज में तसवीरें देख कर अमिताभ दंग रह गये थे कि वे भी इतने हैंडसम नजर आ सकते हैं. वहीं से अमिताभ को भी तसवीरें खींचवाने का चस्का लगा. भाई अजिताभ ने अमिताभ की चुनिंदा तसवीरें फिल्मफेयर हंट शो में भेजी थी. लेकिन वहां उनकी तसवीरें चुनी नहीं गयी थी. लेकिन इसके बावजूद अजिताभ मुंबई आकर निर्देशक ख्वाजा अहमद अब्बास से मिले. और उन्हें भाई की तसवीरें दिखायी. अमिताभ व अजिताभ जब कोलकाता में रहने लगे थे. उस वक्त वे कई नाटक देखने जाते थे. वहीं से फिर अमिताभ को अभिनय का चस्का लगा. फिर लगातार अजिताभ मुंबई में कई निर्देशकों से मिलते रहे. कई निर्देशकों ने अजिताभ को यह कह दिया कि अमिताभ बहुत लंबे हैं और कई निर्देशकों ने यह कह कर अमिताभ की तसवीरें चयन नहीं की कि अमिताभ इतने लंबे हैं तो इतनी लंबी हीरोइन का मिलना मुश्किल है. लेकिन अजिताभ ने हिम्मत नहीं हारी और आखिरकार भाई की मेहनत भाई के लिए रंग लायी. ख्वाजा अहमद अब्बास ने फिल्म सात हिंदुस्तानी के लिए अमिताभ को चुना.  जलाल आगा की वर्ली स्थित रिकॉर्डिंग कंपनी में भी अमिताभ को उस वक्त भी अजिताभ के कहने पर ही काम पर रखा गया था जब अमिताभ की स्थिति मुंबई में बेहद अच्छी नहीं थी. अमिताभ को 50 रुपये मिलते थे.

सुनील दत्त-नरगिस : ख्वाजा अहमद अब्बास की फिल्म सात हिंदुस्तानी के बुरी तरह असफल होने के बाद अमिताभ बेहद हताश हो गये थे. हालांकि अमिताभ कोइसी फिल्म के लिए नेशनल अवार्ड से नवाजा गया था. लेकिन फिर भी अमिताभ का करियर पटरी पर नहीं आ पाया था. अमिताभ को लगा कि उन्हें अब कभी कोई मौका नहीं देगा. इस हताशा के दौर में उनकी मदद सुनील दत्त और नरगिस ने की. नरगिस ने ही सुनील दत्त से अमिताभ के बारे में कहा कि अमिताभ टैलेंटेड है. इस लड़के में बात है. इसे अगला मौका देना ही चाहिए. उ्यके कहने पर ही सुनील दत्त ने मिताभ को फिल्म रेश्मा शेरा में मौका दिलाया. फिल्म में अमिताभ को गंूगे का किरदार मिला. लेकिन उन्होंने इस किरदार को भी बखूबी निभाया.


अनवर अली- मेहमूद: हास्य अभिनेता महमूद के भाई अनवर अली ने अमिताभ की खास मदद की.सात हिंदुस्तानी में अनवर अली ने भी मुख्य किरदार निभाया था. यही से अनवर अली व अमिताभ के बीच दोस्ती हुई.अमिताभ के तंगी हालात में अनवर अली ने अपने भाई मेहमूद द्वारा अंधेरी में दिये गये फ्लैट में अमिताभ को भी रहने के लिए जगह देदी. यहां से दोनों की दोस्ती गहरी हुई. दोनों साथ साथ स्टूडियो देखने जाया करते थे. यहां तक कि मेहमूद ने भाई अनवर अली कार भी दे रखी थी. उस कार में अनवर अमिताभ के साथ जाया करते थे. दोनों उस दौर में संघर्ष कर रहे थे. उसी दौरान अनवर को पता चला कि भाई मेहमूद बांबे टू गोवा बना रहे हैं. तो अनवर ने भाई से अमिताभ के लिए सिफारिश की. मेहमूद ने अमिताभ का लुक टेस्ट लिया और फिर उन्हें अमिताभ पसंद आ गये. बांबे टू गोवा में उन्हें मौका मिल गया. फिल्म में गाने में बस कंडक्टर की भूमिका अनवर ने निभायी और लीड किरदार अमिताभ को दिया गया. इस फिल्म में पहली बार एक गाने की शूटिंग में अमिताभ रात भर सोये नहीं थे. वे अकेले ही गाने की रिहर्सल करते रह गये थे. अमिताभ का यह समर्पण देख कर मेहमूद अमिताभ के मुरीद हो गये थे. बाद के दौर में अनवर अली की फिल्म खुद्दार में दोस्ती निभाने के लिए अमिताभ ने इस फिल्म में काम किया था.

जया भादुड़ी : यहां जया भादुड़ी का जया भादुड़ी के रूप में परिचय इसलिए चूंकि जिस वक्त जया ने अमिताभ को अपनाया था. उस वक्त वह भादुड़ी ही थीं. जया ने अमिताभ का उस वक्त साथ दिया जब वह मिस्टर अमिताभ बच्चन नहीं थे. उस वक्त जया सुपरस्टार थी. क्योंकि उनकी फिल्में लगातार हिट हो रही थीं. लेकिन अमिताभ को खास पहचान नहीं मिली थी. जया ने ही ऋषिकेश दा से अमिताभ को मिलाया. ऋषिकेश दा से सिफारिश की कि वे उन्हें और अमिताभ को लेकर फिल्म बनाये. जया को अमिताभ पर पूरा भरोसा था कि अमिताभ एक दिन सितारा बनेंगे. लेकिन बावर्ची के सेट पर अमिताभ जब भी जया से मिलने आते. राजेश जया को समझाते कि क्यों वह अमिताभ जैसे आदमी में वक्त बर्बाद कर रही हैं. राजेश खन्ना ने उस वक्त कह दिया था कि अमिताभ स्टार बन ही नहीं सकते. लेकिन जया का विश्वास कायम रहा. ऋषिकेश ने उनके कहने पर ही फिल्म मिंली  में अमिताभ को लिया. फिर बाद में चुपके  चुपके, अभिमान में दोनों की जोड़ी हिट रही. हालांकि फिल्म गुड्डी में अमिताभ ने शूटिंग पूरी कर ली थी. लेकिन फिर भी ऋषिकेश दा ने उन्हें हटा कर किसी दूसरे हीरो को ले लिया . यह कह कर कि वे फिल्म में किसी नये चेहरे को लेना चाहते थे. उस वक्त भी जया ने ही अमिताभ का मनोबल बढ़ाया. जंजीर की सफलता ने दोनों को जीवनसाथी बनाया. लेकिन एक सच्चे दोस्त की तरह जया ने अमिताभ की शुरुआती दौर से ही बेहद मदद की थी. किसी लड़की के लिए उस वक्त किसी संघर्षशील व्यक्ति का साथ देना और साथ निभाना बेहद मुश्किल   निर्णय था. लेकिन जया ने उनका साथ दिया.

टीनू आनंद : अमिताभ और टीनू आनंद की दोस्ती भी सात हिंदुस्तानी से ही हो गयी थी. दरअसल, जो किरदार अमिताभ ने सात हिंदुस्तानी में निभाया था वह असल में टीनू को ध्यान में रख कर लिखी गयी थी. लेकिन जब ख्वाजा को अमिताभ की तसवीर देखी तो उन्होंने टीनू को हटा कर अमिताभ को ले लिया. लेकिन इस बात से टीनू को तकलीफ नहीं हुई और उन्होंने अमिताभ के साथ दोस्ती का हाथ आगे बढ़ा दिया. अमिताभ के शुरुआती दिनों में टीनू आनंद ने भी अमिताभ की काफी मदद की थी. आर्थिक रूप से भी अमिताभ को टीनू ने किसी दौर में मदद की. मनमोहन देसाई से अमिताभ को मिलवाने वाले टीनू आनंद ही थे. अमिताभ ने दोस्ती निभाते हुए टीनू आनंद की फिल्म शहंशाह में उस वक्त भी शूटिंग पूरी की. जब वह बेहद बीमार थे और डॉक्टर ने उन्हेंआराम लेने की सलाह दी थी. अमिताभ ने टीनू आनंद के साथ कालिया, शहंशाह, मैं आजाद हूं, मेजर साब जैसी फिल्मों में काम किया.

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