करीना कपूर ने फिल्म ‘हीरोइन’ के एक दृश्य में स्मोकिंग करती नजर आयेंगी. मीडिया में इस बात को लेकर बहुत चरचा हो रही है. फिल्म ‘हीरोइन’ एक अभिनेत्री की जिंदगी की कहानी है. करीना इस फिल्म के माध्यम से यह दिखाना चाहती हैं कि एक अभिनेत्री की जिंदगी का यह भी हिस्सा होता है, लेकिन वास्तविक जिंदगी में अब तक जितनी भी हिंदी फिल्मों की अभिनेत्रियों से मुलाकात हुई है. उन सबका यही कहना होता है कि वे स्मोकिंग नहीं करतीं. देर रात पार्टी नहीं करतीं. काम के बाद उन्हें घर से देर रात तक बाहर रहने की इजाजत नहीं. जब भी उनकी खूबसूरती व फिटनेस का राज पूछा जाये. वह यही बताती हैं कि वे जल्दी रात को सो जाती हैं और धूम्रपान या शराब से बिल्कुल दूर रहती हैं. लेकिन उन्हीं अभिनेत्रियों को जब कभी मौका मिलता है तो वे विदेशों में मस्ती करती हैं. डिस्को थेक जाती हैं. पार्टियां करती हैं. उन्हें हक है कि वे अपनी जिंदगी अपने तरीके से जियें, लेकिन मन में प्राय: यह प्रश्न जरूर उठता है कि बॉलीवुड की अभिनेत्रियां जितना बोल्ड किरदार ऑफ स्क्रीन निभा रही हैं. वास्तविक जिंदगी में वे बोल्ड और बिंदास क्यों नहीं. क्यों वे हमेशा एक सती सावित्री की छवि प्रस्तुत करना चाहती हैं. वे अपनी तुलना हॉलीवुड की अभिनेत्रियों से करती हैं, लेकिन रीयल लाइफ में वे हमेशा एक सुशील लड़की की ही छवि प्रस्तुत करना चाहती हैं. दरअसल, सच्चाई यह है कि अभिनेत्रियां भी जानती है कि उनकी ऑफ स्क्रीन छवि तभी तक बरकरार है, जब तक उन्होंने सती सावित्री का मुखौटा पहन रखा है.चूंकि भारत में आज भी वही औरतें पसंद की जाती हैं, जो संस्कारी हो. वरना, अपनी मनमर्जी और बिंदास तरीके से जीनेवाली औरतों को आज भी बदचलन की उपाधि मिलती है. सो, जिंदगी भर झूठा नकाब ओढ. कर रहना उनकी मजबूरी बन जाती है.
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20120702
सती सावित्री का आर्टिफिशियल मुखौटा
करीना कपूर ने फिल्म ‘हीरोइन’ के एक दृश्य में स्मोकिंग करती नजर आयेंगी. मीडिया में इस बात को लेकर बहुत चरचा हो रही है. फिल्म ‘हीरोइन’ एक अभिनेत्री की जिंदगी की कहानी है. करीना इस फिल्म के माध्यम से यह दिखाना चाहती हैं कि एक अभिनेत्री की जिंदगी का यह भी हिस्सा होता है, लेकिन वास्तविक जिंदगी में अब तक जितनी भी हिंदी फिल्मों की अभिनेत्रियों से मुलाकात हुई है. उन सबका यही कहना होता है कि वे स्मोकिंग नहीं करतीं. देर रात पार्टी नहीं करतीं. काम के बाद उन्हें घर से देर रात तक बाहर रहने की इजाजत नहीं. जब भी उनकी खूबसूरती व फिटनेस का राज पूछा जाये. वह यही बताती हैं कि वे जल्दी रात को सो जाती हैं और धूम्रपान या शराब से बिल्कुल दूर रहती हैं. लेकिन उन्हीं अभिनेत्रियों को जब कभी मौका मिलता है तो वे विदेशों में मस्ती करती हैं. डिस्को थेक जाती हैं. पार्टियां करती हैं. उन्हें हक है कि वे अपनी जिंदगी अपने तरीके से जियें, लेकिन मन में प्राय: यह प्रश्न जरूर उठता है कि बॉलीवुड की अभिनेत्रियां जितना बोल्ड किरदार ऑफ स्क्रीन निभा रही हैं. वास्तविक जिंदगी में वे बोल्ड और बिंदास क्यों नहीं. क्यों वे हमेशा एक सती सावित्री की छवि प्रस्तुत करना चाहती हैं. वे अपनी तुलना हॉलीवुड की अभिनेत्रियों से करती हैं, लेकिन रीयल लाइफ में वे हमेशा एक सुशील लड़की की ही छवि प्रस्तुत करना चाहती हैं. दरअसल, सच्चाई यह है कि अभिनेत्रियां भी जानती है कि उनकी ऑफ स्क्रीन छवि तभी तक बरकरार है, जब तक उन्होंने सती सावित्री का मुखौटा पहन रखा है.चूंकि भारत में आज भी वही औरतें पसंद की जाती हैं, जो संस्कारी हो. वरना, अपनी मनमर्जी और बिंदास तरीके से जीनेवाली औरतों को आज भी बदचलन की उपाधि मिलती है. सो, जिंदगी भर झूठा नकाब ओढ. कर रहना उनकी मजबूरी बन जाती है.
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हाथी के दिखाने के दांत अलग होते हैं और खाने के अलग इसका वृहद अर्थ समझें .........
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