kaka ka unke chahne walon ke liye messege.
source : db and ndtv
http://www.youtube.com/watch?v=t7xwuAVDbH0
मेरे प्यारे दोस्तों, भाइयों और बहनों। नोस्टैल्जिया में रहने की आदत नहीं है मुझे। हमेशा भविष्य के बारे में ही सोचना पड़ता है। जो दिन गुजर गया है, बीत गया है, उसका क्या सोचना, लेकिन जब जाने पहचाने चेहरे अनजान से एक महफिल में मिलते हैं तो यादें वापस ताजा हो जाती हैं
मेरा जन्म थियेटर से हुआ। मैं आज जो कुछ भी हूं ये स्टेज, ये थियेटर की बदौलत हूं। मैं जब फिल्मों में आया तो मेरा कोई गॉडफादर नहीं था। कोई रिश्तेदार नहीं थे। कोई सिर पर हाथ रखने वाला नहीं था। मैं यूनाइटेड प्रोड्यूसर्स फिल्मफेयर टैलेंट कॉन्टेस्ट के जरिये आया। हमको टाइम्स ऑफ इंडिया में बुलाया गया था। वहां पर बड़े बड़े प्रोड्यूसर्स थे। चाहे वो चोपड़ा साहब थे, बिमल रॉय थे, शक्ति सामंत थे, बहुत सारे थे। उन्होंने कहा कि हमने आपको डायलॉग भेजा है, वो याद किया आपने? मैं सामने बैठा था और वो एक बड़ी सी टेबल में लाइन में बैठै थे.मुझे ऐसा लग रहा था कि कोर्ट मार्शल हो रहा है। जैसे ये बंदूक निकालेंगे और मुझे मार देंगे। मैंने कहा कि डायलॉग तो याद है लेकिन ये जो डायलॉग है, ये आपने नहीं बताया कि इसका कैरेक्टराइजेशन क्या है कि ये हीरो जो है वो अपनी मां को बताता है कि मैं एक नाचनेवाली से शादी करना चाहता हूं और उसको तेरी घर की बहू बनाना चाहता हूं। मैंने कहा, आपने ना कैरेक्टर बताया मां का, ना हीरो का कि भई अमीर है, गरीब है, मां गरीब है, मां सख्त, कड़क है, नरम है, मिडिल क्लास है, आदमी पढ़ा लिखा या अनपढ़ है? तो चोपड़ा साहब ने झट से कहा कि आप थियेटर से हो
हां जी. मैंने कहा, डायलॉग तो आपने भेज दिया किस तरह मां को कन्विंस करना है, डायलॉग बोलना है, आपने कैरेक्टराइजेशन नहीं बताया। ये तो कोई स्टेज का एक्टर ही बोल सकता है। तो बोले ठीक है, अच्छा है, तुम कोई अपना ही डायलॉग सुनाओ। अब काटो तो खून नहीं, पसीना छूट रहा था। मैंने कहा, क्या डायलॉग बोलूं, मेरे सामने बड़े बड़े लोग, इनकी सब पिक्चर 10-10 बार देखी है, प्रोड्यूस-डायरेक्ट की हुई। जो डायलॉग, जिसकी वजह से मैं फिल्मों में आया, मुझे जीपी सिप्पी ने चांस दिया 40 साल पहले, 'हां मैं कलाकार हूं, हां मैं कलाकार हूं, क्या करोगे मेरी कहानी सुनकर'
दोस्तों आपका एक हिस्सेदार मैं भी हूं और जैसे मैंने पहले भी कहा कि आप अपना कीमती वक्त निकालकर, आपका ये प्यार था कि आप मौजूद हुए और इतनी भारी संख्या में... मैं यहीं कहूंगा कि बहुत-बहुत शुक्रिया, थैंक यू और मेरा बहुत बहुत सलाम।
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http://www.youtube.com/watch?v=t7xwuAVDbH0
मेरे प्यारे दोस्तों, भाइयों और बहनों। नोस्टैल्जिया में रहने की आदत नहीं है मुझे। हमेशा भविष्य के बारे में ही सोचना पड़ता है। जो दिन गुजर गया है, बीत गया है, उसका क्या सोचना, लेकिन जब जाने पहचाने चेहरे अनजान से एक महफिल में मिलते हैं तो यादें वापस ताजा हो जाती हैं
मेरा जन्म थियेटर से हुआ। मैं आज जो कुछ भी हूं ये स्टेज, ये थियेटर की बदौलत हूं। मैं जब फिल्मों में आया तो मेरा कोई गॉडफादर नहीं था। कोई रिश्तेदार नहीं थे। कोई सिर पर हाथ रखने वाला नहीं था। मैं यूनाइटेड प्रोड्यूसर्स फिल्मफेयर टैलेंट कॉन्टेस्ट के जरिये आया। हमको टाइम्स ऑफ इंडिया में बुलाया गया था। वहां पर बड़े बड़े प्रोड्यूसर्स थे। चाहे वो चोपड़ा साहब थे, बिमल रॉय थे, शक्ति सामंत थे, बहुत सारे थे। उन्होंने कहा कि हमने आपको डायलॉग भेजा है, वो याद किया आपने? मैं सामने बैठा था और वो एक बड़ी सी टेबल में लाइन में बैठै थे.मुझे ऐसा लग रहा था कि कोर्ट मार्शल हो रहा है। जैसे ये बंदूक निकालेंगे और मुझे मार देंगे। मैंने कहा कि डायलॉग तो याद है लेकिन ये जो डायलॉग है, ये आपने नहीं बताया कि इसका कैरेक्टराइजेशन क्या है कि ये हीरो जो है वो अपनी मां को बताता है कि मैं एक नाचनेवाली से शादी करना चाहता हूं और उसको तेरी घर की बहू बनाना चाहता हूं। मैंने कहा, आपने ना कैरेक्टर बताया मां का, ना हीरो का कि भई अमीर है, गरीब है, मां गरीब है, मां सख्त, कड़क है, नरम है, मिडिल क्लास है, आदमी पढ़ा लिखा या अनपढ़ है? तो चोपड़ा साहब ने झट से कहा कि आप थियेटर से हो
हां जी. मैंने कहा, डायलॉग तो आपने भेज दिया किस तरह मां को कन्विंस करना है, डायलॉग बोलना है, आपने कैरेक्टराइजेशन नहीं बताया। ये तो कोई स्टेज का एक्टर ही बोल सकता है। तो बोले ठीक है, अच्छा है, तुम कोई अपना ही डायलॉग सुनाओ। अब काटो तो खून नहीं, पसीना छूट रहा था। मैंने कहा, क्या डायलॉग बोलूं, मेरे सामने बड़े बड़े लोग, इनकी सब पिक्चर 10-10 बार देखी है, प्रोड्यूस-डायरेक्ट की हुई। जो डायलॉग, जिसकी वजह से मैं फिल्मों में आया, मुझे जीपी सिप्पी ने चांस दिया 40 साल पहले, 'हां मैं कलाकार हूं, हां मैं कलाकार हूं, क्या करोगे मेरी कहानी सुनकर'
दोस्तों आपका एक हिस्सेदार मैं भी हूं और जैसे मैंने पहले भी कहा कि आप अपना कीमती वक्त निकालकर, आपका ये प्यार था कि आप मौजूद हुए और इतनी भारी संख्या में... मैं यहीं कहूंगा कि बहुत-बहुत शुक्रिया, थैंक यू और मेरा बहुत बहुत सलाम।
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