कुछ दिनों पहले एक सोशल नेटवर्किग साइट पर किसी ने दूरदर्शन पर प्रसारित होनेवाले एक टॉक शो का वीडियो अपलोड किया था. इस वीडियो में दिलीप कुमार नूरजहां से बातचीत करते नजर आ रहे थे. नूरजहां किसी दौर की सुप्रसिद्ध पाकिस्तानी गायिका और अभिनेत्री रह चुकी थीं. और खुद दिलीप कुमार उर्फ यूसुफ साहब भी पाकिस्तान से ही संबंध रखते थे. दोनों एक ही इंडस्ट्री से हैं. शायद यही वजह थी कि उस वीडियो में नूरजहां बेफिक्र होकर अपनी जिंदगी के कई राज, कई अनछुई बातें बताती जा रही थीं. उनकी बातों में कोई बनावटीपन नहीं, बल्कि तहजीब झलक रही थी. युसूफ साहब भी अपनी मर्यादा को ध्यान में रखते हुए बातें कर रहे थे और पूरी बातचीत में एक आत्मीयता नजर आ रही थी. यह वीडियो 1983 का था. यानी आज से 29-30 साल पहले की बात रही होगी. उस दौर में दरअसल, इंडस्ट्री में एक परिवार बसता था. नूरजहां और दिलीप कुमार की आत्मीयता इसलिए साफ झलक रही थी उस वीडियो में,चूंकि उस दौर में लोग डर कर बातें नहीं करते थे. वे मीडिया से खौफ नहीं खाते थे. ऐसा नहीं था कि उस दौर में खबरें नहीं बनती थी.सुपरसितारों के अफेयर के चर्चे उस वक्त भी होते थे. रंजिश के भी चर्चे होते थे. लेकिन इसके बावजूद लोगों को एक दूसरे पर विश्वास था. अपने अंतिम दिनों में जय मुखर्जी ने बताया था कि कैसे फिल्म की शूटिंग खत्म होने के बाद वे आशा पारिख उनकी माताजी मुंबई की सैर पर जाते थे. अमिताभ बच्चन ने चर्चा की थी कि पहले फिल्म के प्रीमियर के बाद कलाकार, निर्देशक, मीडिया वाले सभी एक साथ बैठ कर फिल्म पर बात करते थे. लेकिन आज यह सब कुछ बदल सका है. आज भी करन जाैहर के टॉक शो होते हैं. लेकिन वह आत्मीयता नहीं होती. जो कभी तब्बसुम के शो में हुआ करती थी. चूंकि अब प्रोफेशनलीज्म बुरी तरह हावी है.
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20120719
आत्मीयता-अपनत्व का वह दौर
कुछ दिनों पहले एक सोशल नेटवर्किग साइट पर किसी ने दूरदर्शन पर प्रसारित होनेवाले एक टॉक शो का वीडियो अपलोड किया था. इस वीडियो में दिलीप कुमार नूरजहां से बातचीत करते नजर आ रहे थे. नूरजहां किसी दौर की सुप्रसिद्ध पाकिस्तानी गायिका और अभिनेत्री रह चुकी थीं. और खुद दिलीप कुमार उर्फ यूसुफ साहब भी पाकिस्तान से ही संबंध रखते थे. दोनों एक ही इंडस्ट्री से हैं. शायद यही वजह थी कि उस वीडियो में नूरजहां बेफिक्र होकर अपनी जिंदगी के कई राज, कई अनछुई बातें बताती जा रही थीं. उनकी बातों में कोई बनावटीपन नहीं, बल्कि तहजीब झलक रही थी. युसूफ साहब भी अपनी मर्यादा को ध्यान में रखते हुए बातें कर रहे थे और पूरी बातचीत में एक आत्मीयता नजर आ रही थी. यह वीडियो 1983 का था. यानी आज से 29-30 साल पहले की बात रही होगी. उस दौर में दरअसल, इंडस्ट्री में एक परिवार बसता था. नूरजहां और दिलीप कुमार की आत्मीयता इसलिए साफ झलक रही थी उस वीडियो में,चूंकि उस दौर में लोग डर कर बातें नहीं करते थे. वे मीडिया से खौफ नहीं खाते थे. ऐसा नहीं था कि उस दौर में खबरें नहीं बनती थी.सुपरसितारों के अफेयर के चर्चे उस वक्त भी होते थे. रंजिश के भी चर्चे होते थे. लेकिन इसके बावजूद लोगों को एक दूसरे पर विश्वास था. अपने अंतिम दिनों में जय मुखर्जी ने बताया था कि कैसे फिल्म की शूटिंग खत्म होने के बाद वे आशा पारिख उनकी माताजी मुंबई की सैर पर जाते थे. अमिताभ बच्चन ने चर्चा की थी कि पहले फिल्म के प्रीमियर के बाद कलाकार, निर्देशक, मीडिया वाले सभी एक साथ बैठ कर फिल्म पर बात करते थे. लेकिन आज यह सब कुछ बदल सका है. आज भी करन जाैहर के टॉक शो होते हैं. लेकिन वह आत्मीयता नहीं होती. जो कभी तब्बसुम के शो में हुआ करती थी. चूंकि अब प्रोफेशनलीज्म बुरी तरह हावी है.
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