दारा सिंह का जाना एक लीजेंड, एक युग का जाना है. उनसे जु.डे जुमले हमेशा बोले जायेंगे. उन्होंने अभिनय के क्षेत्र में अहम योगदान दिया. इससे पहले कुश्ती, पहलवानी के आदर्श बने.
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रामानंद सागर के पुत्र और सागर फिल्म्स के निर्मातापापाजी (रामानंद सागर) हमेशा से दारा सिंह जी के बहुत अच्छे दोस्त थे. दोनों में शुरुआती दौर में ही दोस्ती हो गयी थी. यही वजह रही कि दोनों ने जब साथ काम करना शुरू किया, तो उनमें अच्छी ट्यूनिंग हो गयी थी. रामायण में जब हनुमान के किरदार की परिकल्पना हमने की थी, तो इसके लिए हमें दारा सिंह की कद-काठी जैसे कलाकार की जरूरत थी. दारा सिंह उस दौर के मशहूर अभिनेताओं में से एक थे. इसके लिए पिताजी ने उनसे बात की. वह फौरन तैयार हो गये. इस धारावाहिक की पूरी शूटिंग गुजरात के उमरगांव में हुई थी. उस दौर का यह लोकप्रिय धारावाहिक था. इसलिए लंबे अरसे तक इसकी शूटिंग चलती रही थी और कलाकारों के बीच परिवार जैसा माहौल बन गया था. सभी आर्टिस्ट वहीं रहा करते थे. शूटिंग से इतर जब भी सबको फुरसत मिलती थी तो सभी गप्पे लड़ाते थे.
दारा सिंह साहब की सबसे खास बात यह थी कि वह श्रद्धा से हनुमान के अपने किरदार को जीते थे. कई फिल्मों में अभिनय करने और लोकप्रियता हासिल करने के बावजूद उनमें जरा सा भी घमंड नहीं था. स्टार जैसा एटीट्यूड तो बिल्कुल भी नहीं था. वे उन कलाकारों में शुमार थे जो निर्माताओं को परेशान नहीं करते थे. उन्होंने रामायण के निर्माण के दौरान कभी किसी चीज के लिए शिकायत नहीं की. वे जानते थे कि हनुमान के किरदार के लिए जो मास्क वे लगाते हैं उसे गोंद से चिपकाया जाता है और बार-बार उसे चिपकाने में परेशानी होती थी. उनके मेकअप में लगभग एक घंटा लग जाया करता था. वह मास्क रबर का बना होता था. उसे लगा कर वे खाना नहीं खा सकते थे. आपको शायद विश्वास नहीं होगा, वे कभी खाने के लिए अपना मास्क नहीं हटाते थे. पाइप के सहारे पानी पीते थे या फिर जूस. फिर पूरा पैकअप हो जाने के बाद ही वे मास्क उतारकर खाना खाते थे. उनको पापाजी ( रामानंद जी) कहते थे कि वे खा लें, फिर मेकअप हो जायेगा. लेकिन वे कभी शूटिंग में डिले नहीं करवाना चाहते थे. दारा सिंह के बारे में उस वक्त सभी जानते थे कि उनका डायट अलग है. लेकिन वे कभी भी सेट पर डायट को लेकर कोई शिकायत नहीं करते थे. जो सभी खाते थे, वे भी वही खाते थे. लेकिन अपने शरीर को लेकर बेहद अनुशासित थे. रोजाना दो घंटे तो वे सिर्फ व्यायाम ही करते थे. यही नहीं उनके शरीर के कई अंगों में चोट थी, जिसकी वजह से शूटिंग के दौरान उन्हें परेशानी होती थी. फिर भी वह भक्त हनुमान की तरह पूरी श्रद्धा से काम करते थे.
मुझे एक वाकया याद आ रहा है. रामायण में सुग्रीव का किरदार निभाने वाले श्याम सुंदर कालानी भी पहलवान थे और उन्होंने भी अपनी बॉडी वेटलिफ्टिंग से ही बनायी थी. वे हमेशा दारा सिंह को चिढ.ाते रहते थे कि कभी मुझसे लड़ के दिखाओ. पंजा लड़ाओ. कुश्ती करो. मेरी बॉडी देखो कितनी ताकत है मुझमें. और दारा सिंह केवल हंस कर रह जाते थे. उन्होंने कभी किसी से ऊंची आवाज में बात नहीं की थी. उनकी आवाज बुलंद थी. इसके बावजूद वे कभी जोर से नहीं बोलते थे. न ही उन्हें किसी को नीचा दिखाना पसंद था. श्याम सुंदर कालानी को मालूम ही नहीं था कि वह एक वर्ल्ड चैंपियन को ललकार रहे हैं. एक दिन उन्होंने कहा कि आज कुश्ती हो ही जाये. दारा सिंह भी उस दिन मूड में आ गये. शुरुआत हुई. दारा सिंह के एक ही मुक्के में वह चित हो कर ऐसे गिरे कि लगभग चार दिन तक बिस्तर पर ही रहे. उस दिन से उन्होंने दारा सिंह जी को चिढ.ाना छोड़ दिया.
दारा सिंह की एक खासियत यह भी थी कि वे सुबह जल्दी उठते थे और बहुत नियमित ढंग से काम किया करते थे. शायद यही वजह थी कि रामायण की जो श्रद्धा टीवी पर दिखायी देती थी वह परदे के पीछे भी वैसी ही थी. सभी बेहद सौम्य थे. दारा सिंह अपने गांव को लेकर भावुक रहते थे. उन्होंने अपने गांव और कुश्ती के लिए बहुत कुछ किया है. मैंने सुना था कि जब सुशील कुमार ओलिंपिक में जीते थे तो उन्होंने उन्हें भी इस खेल को आगे ले जाने को कहा था.
किसी अभिनेता के रूप में जिस तरह अमिताभ बच्चन का नाम बच्चा-बच्चा जानता था, उसी तरह दारा सिंह और उनकी पहलवानी के किस्से भी मशहूर थे. दारा सिंह ने उस दौर में यह लोकप्रियता हासिल की जब आज की तरह टेलीविजन हर घर का हिस्सा नहीं था. किसी कलाकार के लिए बिना किसी ब.डे प्रचार माध्यम के इस तरह लोकप्रियता हासिल करना और उसे बरकरार रखना बड़ी उपलब्धि है. मुझे अच्छी तरह याद है जब रामायण परदे से विदा ले रहा था तो इससे जु.डे सभी लोग बेहद भावुक हो गये थे. उस वक्त भी दारा सिंह ने सभी को एक पिता की तरह शांत कराया था. सबको हंसाया था और वादा किया था कि बाद में भी सभी एक-दूसरे से जु.डे रहेंगे. और वे इस बात पर आखिर तक अमल भी करते रहे. मेरी बेटी की शादी में वे आये और दिनभर साथ में रहे. एक परिवार के सदस्य की तरह हमारा हाथ बटाया. बाद के दौर में दारा सिंह जी के साथ हमने राम भरोसे फिल्म भी बनायी. उसमें उन्होंने सरदार विक्रम सिंह का किरदार निभाया था. इस किरदार में उन्होंने हास्य पुट डाल कर इसे बेहद खास बना दिया था.
फिल्मों में उनका किरदार इसलिए बेहद अलग सा होता था, क्योंकि उनकी संवाद अदायगी अलग तरह की होती थी. वे बेहद बुलंद आवाज में संवाद बोलते थे. उनके ‘पीठ पे वार किया..अब सीने पर खंजर खा’ जैसे संवाद बेहद लोकप्रिय हुए थे.
मैंने दारा सिंह जी में एक सच्चे देश भक्त की भी छवि देखी है. वे भारत की हमेशा तारीफ करते थे और लोकप्रियता हासिल करने के बावजूद जमीन से जु.डे रहे. गांव के लोगों से वे बेहद प्यार करते थे. उन्हें जब भी मौका मिला, गांव के लोगों को बढ.ावा दिया. वहां की फिल्मों को बढ.ावा दिया. दारा सिंह जी एक नेक व्यक्तित्व के रूप में याद किये जायेंगे. उन्होंने न सिर्फ कुश्ती के अखा.डे में बल्कि लोगों से प्यार पाने में कभी कोई जंग नहीं हारी, क्योंकि वे बेहतरीन दिल वाले एक खुश मिजाज व्यक्ति थे. उनका जाना एक लीजेंड का जाना है. एक युग का जाना है. उनसे जु.डे जुमले हमेशा बोले जायेंगे. उन्होंने अभिनय के क्षेत्र में अहम योगदान दिया. इससे पहले वे कुश्ती, पहलवानी के आदर्श बने. मेरा मानना है कि वे पहले एक्शन हीरो थे. अपने पीछे वे एक शून्य छोड़ गये हैं, जिसकी भरपाई कभी नहीं हो पायेगी. दारा सिंह आज हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन उनकी लोकप्रियता इसी तरह बनी रहेगी.
दारा सिंह का जाना एक लीजेंड, एक युग का जाना है. उनसे जु.डे जुमले हमेशा बोले जायेंगे. उन्होंने अभिनय के क्षेत्र में अहम योगदान दिया. इससे पहले कुश्ती, पहलवानी के आदर्श बने
घूटनों में चोट के बावजूद हनुमान के वास्तविक किरदार में ढल गये थे दारा सिंह : अरुण गोविल विशालकाय कटकाठी के बावजूद दारा सिंह मृदुभाषी थे. उन्होंने हमेशा अपने सह कलाकारों का मान बढ़ाया.उन्हें परिवार की तरह प्यार दिया और जरूरत पड़ने पर सलाह भी दी. रामानंद सागर के जय हनुमान नामक धारावाहिक में हनुमान के किरदार को निभाना आसान नहीं था. चूंकि दारा सिंह उस वक्त चोटिल थे. लेकिन इसके बावजूद उन्होंने लंबे अरसे तक यह लोकप्रिय किरदार निभाया. रामायण में उनके सह कलाकार रह चुके राम की भूमिका अदा करनेवाले अरुण गोविल ने उनसे जुड़ी कुछ बातें शेयर की. रामानंद सागर साहब ने मुङो बताया था कि हनुमान के किरदार के लिए दारा सिंह का चयन हुआ है. दारा सिंह को इससे पहले मैंने फिल्मों में देखा था और लगभग उनकी सारी ही फिल्में देखी थी. दारा सिंह के बारे में सभी जानते थे. बच्चा बच्चा जानता था. मां लोगों की हमेशा यही इच्छा होती थी कि उनके बच्चे दारा सिंह की तरह पहलवान बने. एक तरह से वह पर्याय बन चुके थे शक्तिशाली व्यक्तित्व के. ऐसे में जब मुङो उनके साथ काम करने का मौका मिला तो मैं पहले यही सोचता था कि दारा सिंह कड़क मिजाज के होंगे. उनकी कद काठी से ऐसा ही लगता था. लेकिन पहले दिन से ही हमने यह भांप लिया था कि वह सबसे बेहतरीन इंसान और शांत स्वभाव के व्यक्ति थे. दारा सिंह साहब के व्यक्तित्व की जो सबसे खास बात थी वह यह थी कि वह बेहद अनुशासित थे. वे अपने अभिनय को लेकर बहुत गंभीर थे. मुङो याद है कई दृश्यों में तो वे स्वयं घुटनों पर बैठ जाया करते थे. चूंकि हनुमान राम के भक्त थे और कथा के अनुसार हमेशा हनुमान राम की चरणों में घुटने के बल ही बैठते थे. हमें बाद में यह बात पता चली कि उनके घूटनों में गहरी चोट है. हड्डियों में. उन्हें यूं घूटने मोड़ कर बैठने में मनाही थी. कुश्ती के दौरान उन्हें चोट लग गयी थी. तो रामानंद जी उनसे कहते कि हम कुछ ऐसे दृश्य कर देते हैं. जिससे आपको आसानी हो. लेकिन किरदार को लेकर उनकी इतनी श्रद्धा थी कि वे बिल्कुल तैयार नहीं होते थे. वे कहते कि नहीं कथा के अनुसार राम के भक्त है हनुमान तो वह बात आनी चाहिए. सो, मैं कर लूंगा. यह काम के प्रति प्रतिबद्धता थी उनकी. धीरे धीरे हम सभी उनके करीबी दोस्त बन गये थे. अच्छा लगता था हमें जब भी हमें फुर्सत मिलती. हम उनके किस्से सुनने बैठ जाया करते थे. आखिर मल्टी टास्कर थे वे. उन्होंने कितनी फिल्मों में काम किया था. कुश्ती में वर्ल्ड चैंपियन थे. एक दिन उन्होंने पूरी यूनिट को किस्सा सुनाया कि कैसे वह अपने गांव से सिंगापुर गये पहली बार. और वहां जाकर उन्होंने प्रोफेशनल के रूप में पहली बार कुश्ती खेली. उन्होंने बताया था कि उनके एक चाचा जी रहते थे सिंगापुर में. वे गांव आते जाते थे. सो, एक बार दारा सिंह ने उनसे कहा कि वह सिंगापुर जाना चाहते हैं. पैसे कमाने के लिए. उस वक्त था शौकिया रूप से कुश्ती किया करते थे दारा सिंह. तो उनके चाचाजी ने कहा कि अरे सिंगापुर में कुछ नहीं रखा. यही मेहनत करो. लेकिन एक दिन वे अपने दादाजी के साथ खाद के बोरे रेल में चढ़ा रहे थे. तो उन्होंने देखा कि इसमें दारा सिंह जी कितनी मेहनत करते हैं. लेकिन उन्हें पैसे मिलते नहीं थे उतने. तो, कहा चलो सिंगापुर. वहां गये तो वहां के कुश्ती के प्रोफेशनल से यूं ही मिलने चले गये. थोड़ा नमूना दिखाया तो वहां के अधिकारियों ने कहा कुश्ती ही करो. दारा सिंह ने कहा अरे कुश्ती करूंगा तो खाऊंगा पिऊंगा क्या. मैं तो पैसे कमाने आया हूं. वहां के अधिकारियों ने कहा. हम आपके खाने रहने का इंतजाम कर देंगे. आप बस पहलवानी पर ध्यान दीजिए और इस तरह उनकी जर्नी शुरू हुई थी. मुङो याद है सेट पर पूरा माहौल ऐसा हो जाता था. जैसे कोई बड़े दिलचस्प कहानियां सुना रहे हैं और हम सभी सुन रहे हैं. दारा सिंह हमेशा हमारी यादों में रहेंगे और बलवान व्यक्तित्व के वे व्यक्ति अपने अंतिम दिनों में भी अनुशासन को अहमियत देते रहे. वे महान अभिनेता के रूप में हमेशा याद किये जायेंगे. उन्होंने फिल्म में टीवी में, हर तरह के अभिनय किये. यहां तक कि जब वह विज्ञापन में भी आते थे तो उनकी संवाद अदायगी और उनकी उपस्थिति ही खास होती थी. वे वाकई हमारे अभिभावक के रूप में थे. |
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20120713
चार दिनों तक उठ नहीं पाए थे सुग्रीव
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Please share recent pics of shyam sundar kalani JI.
ReplyDeleteNo word
ReplyDeleteKiya Ramanand Sagar ki kahani ko Dikhaya jayege
ReplyDeleteFir Ek Bar Dikhaya Jana Chahiye GA, shir krisana, Ramayana, sai baba, etc
ReplyDeleteDara singh is best actor and hanuman roll mind-blowing
ReplyDeleteKaran ji mp me kaha ke hai
ReplyDeletePlease lateset pic of (sugriv) shyam sunder kalani.
ReplyDeleteसुग्रीव का जीवन परिचय हिन्दी मे | Sugriva Biography in Hindi
ReplyDeletehttps://biographyinhindi.com/view_post.php?%E0%A4%B8%E0%A5%81%E0%A4%97%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A5%80%E0%A4%B5+%E0%A4%95%E0%A4%BE+%E0%A4%9C%E0%A5%80%E0%A4%B5%E0%A4%A8+%E0%A4%AA%E0%A4%B0%E0%A4%BF%E0%A4%9A%E0%A4%AF+%E0%A4%B9%E0%A4%BF%E0%A4%A8%E0%A5%8D%E0%A4%A6%E0%A5%80+%E0%A4%AE%E0%A5%87+%7C+Sugriva+Biography+in+Hindi
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Where is Shyam sundar kalaaani hi now
ReplyDelete2 din pehle unka nidhan ho gaya
DeleteBhagwan Shri Ram, Diwangat Shri Shyam Sunder Kalani ji ko apne param dham mein jagah de. Om Shanti Jai Shree Ram. Shyam Sunder ji amar rahe.
ReplyDeleteRest in peace the departed soul... Unki aatma ko hari charanon mai sthaan mile aurr ve baikunth dhaam mai sthaapit ho hon. Jai shree ram
ReplyDeleteदारा सिंह जी के साथ एक युग का अंत हुआ सा लगता है, काश कि कुश्ती मे फिर कोई ऐसा वीर योद्धा जन्म लेकर देश और कुश्ती का नाम रौशन करे!
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