20120719

राजेश खन्ना जैसे सुपरस्टार का सीक्वल नहीं हो सकता :आशा पारेख , सह अभिनेत्री



राजेश खन्ना साहब का जाना एक बड़ी त्रसदी है. मुङो अच्छी तरह याद है. जब राजेश खन्ना साहब से मेरी पहली मुलाकात हुई थी. उन्होंने मेरी स्माइल की बेहद तारीफ की थी. और कहा था कि मैं अपनी मुस्कान को बरकरार रखूं. यही मेरी सबसे बड़ी खासियत होगी. सो, इसका हमेशा ख्याल रखूं. राजेश साहब को हम सभी काका के नाम से ही जानते थे और मैं भी उन्हें काका ही बुलाती थीं. मैं मानती हूं कि उनके जैसा सुपरस्टार कभी नहीं हुआ था न होगा. आज जो हम सीक्वल की बात करते हैं. मैं मानती हूं कि उनका कोई सीक्वल नहीं हो सकता. वे इकलौते सुपरस्टार थे, जिन्होंने लंबे अरसे तक लोगों के दिलों पर राज किया. सभी जानते हैं और यह झूठ नहीं है कि लड़कियां उन पर इस कदर फिदा थी कि सफेद रंग की गाड़ी थी और वह अगर सिगAल पर रुका करती थी तो लड़कियां आकर उसे चूम लिया करती थीं. कई सेट पर राजेश से मिलने के लिए ऐसी भीड़ लगा करती थी कि फिल्म की शूटिंग रोकनी पड़ती थी. कई लड़कियों ने तो राजेश खन्ना की तसवीरों से शादी कर ली थी. मुङो अच्छी तरह याद है. एक बार शिमला में हम किसी फिल्म के सिलसिले में. मुङो याद है. वहां कितनी लड़कियों की भीड़ लग गयी थी. जबकि पहाड़ी इलाकों में तो हिंदी फिल्मों की पहुंच कम थी. फिर भी वहां राजेश खन्ना इतने लोकप्रिय थे कि लेगों की भीड़ लग जाया करती थी. कोलकाता में भी उनके प्रशंसकों की भीड़ लगी रहती थी. मैं राजेश साहब के बारे में एक बात और कहना चाहूंगी कि उनकी जितनी भी फिल्में रही हैं वे जिंदगी के मायने सिखाती हुई थीं. उनके गानों में दर्द था, फलसफा था. मैं तो कहूंगी जिंदगी के विभिन्न रंग थे. वे जिंदगी की हकीकत से सामना कराते थे. बाद के दौर में भले ही राजेश साहब थोड़े एकांत हो गये थे. लेकिन वे हमेशा से खुशमिजाज रहे. वे वास्तविकता में भी फिल्मों की तरह दार्शनिक बातें किया करते थे. ऋषिकेश दा के पसंदीदा कलाकारों में से एक थे वे. मैंने कहीं किसी मैगजीन में पढ़ा था कि फिल्म बावर्ची के दौरान राजेश साहब वाकई सेट पर सबके लिए तरह तरह के व्यंजन बनाने लग जाते थे. यह सच है कि उनके दौर में स्टारडम की शुरुआत हुई. उन्होंने ही स्टारडम की शुरुआत की.दरअसल, मैं मानती हूं कि राजेश खन्ना उन कलाकारों में से एक थे, जो न सिर्फ दिखने में हैंडसम थे. बल्कि वे बिल्कुल अलग तरह की अदाकारी भी करते थे. वे हास्य फिल्मों में भी लाजवाब थे और गंभीर भूमिकाओं में तो उनका कोई सानी नहीं था.  राजेश खन्ना फिल्मों में आंखें मटकाते तो उधर तालियां बजती. हम सभी सहेलियां खुद उनकी फिल्में देखने के लिए फस्र्ट डे फस्र्ट शो जाया करते थे. वहां जो नजारा होता था. लड़कियां भीड़ लगा कर उनकी एक झलक पाने को बेकरार रहती थीं.किशोर दा राजेश खन्ना के अच्छे दोस्तों में से एक थे. विशेष कर एक दौर में जब वह उनकी आवाज बन गये थे. किशोर साहब ने एक दौर में सिर्फ राजेश साहब को ही आवाज देने की बात कही थी कि वे उन्हें छोड़ कर और किसी को आवाज नहीं देना चाहते. प्यारेलाल जी तो उन्हें अपने लिए सबसे लकी मानते थे. चूंकि जितने भी गीत उन पर फिल्माये गये थे. सभी हिट हुए थे. यही कारण था कि प्यारेलाल के दिल में राजेश खन्ना के लिए खास जगह थी. उन्होंने बताया था कि कैसे किसी भी कांसर्ट में उन्हें जब कहा जाता कि वे आकर किसी एक गाने पर भी परफॉर्म कर दें तो वे तैयार हो जाते थे. और उन्होंने कई बार कांसर्ट में अपने पसंदीदा गायकों के लिए परफॉर्म किया है. वे जैसे ही स्टेज पर आते थे. तालियों की गूंज से थियेटर गूंजने लगता था. वे अपने गानों के चयन में भी बेहद पार्टिकुलर थे. और उनकी पसंद को ध्यान में रखते हुए ही आरडी बर्मन साहब जैसे संगीतकारों ने भी कई बार गीत तैयार किये. राजेश साहब खुद घर ले जाकर तैयार गानों को भी सुना करते थे. मैं यही कहूंगी कि उनकी फिल्में भले ही बाद के दौर में न चली हों. लेकिन उन्होंने जो एक मिसाल तय कर दी थी. उसके आगे जो भी आये. उनके बाद आये. वे हमेशा अग्रणीय रहेंगे और हमारी यादों में हमेशा उनकी बातें. उनका खास अंदाज,उनकी फिल्में रहेंगी.

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