फिल्म हैदर में हम एक ही वक्त पर गजाला की नजाकत देखते हैं तो अगले ही पल वह हमें इंटेंस किरदार से चौंकाती हैं. फिल्म तलवार में वे चंद दृश्यों में नजर आयी हैं. लेकिन थियेटर में बैठे दर्शक उन्हें देख चहक उठते हैं. दृश्यम की पुलिस अफसर के तेवर देख दर्शक भी चौंकते हैं.फिल्म फितूर में बेगम हजरात की भूमिका में भी उनका अलग ही आकर्षण हैं. बात हो रही है तब्बू की, जिन्हें जब भी अपने किरदारों को जीने के मौके मिलें. वे खुल कर जीती हैं. छैई छप्पा छई करती हुई यह लड़की कब कौन सा करिश्मा कर दें, किसी को नहीं पता. शायद यही वजह है कि आज भी तब्बू निर्देशकों की पहली पसंद हैं.
आप अपनी फिल्मों को लेकर काफी सजग रही हैं. फिर फितूर को तीन दिनों में हां कैसे कह दिया?
दरअसल, जब आपके सामने अच्छे प्रोजेक्ट्स होते हैं. तो आपको चूजी होने की जरूरत नहीं पड़ती. इस फिल्म में मुझे बहुत अच्छा किरदार मिला है. अच्छे निर्देशक का साथ मिला है.इतने अच्छे को-स्टार्स मिले हैं. मेरा मानना है कि इन सब चीजों से ही आपकी फिल्में अच्छी बनती हैं.
आप जब किसी फिल्म से जुड़ती हैं, तो इसे दर्शक भी गारंटी मान लेते हैं कि फिल्म में कुछ तो अच्छा जरूर होगा. आप फिल्मों की ब्रांड हैं अब. आप इस प्रतिक्रिया को किस तरह लेती हैं?
मैं वाकई में इस बारे में काफी सोचती हूं, क्योंकि मेरे लिए फैन मायने रखते हैं. हां, यह सच है कि कई बार आपको पता नहीं चल रहा होता है कि लोग किस तरह से आपके काम पर रियेक्ट कर रहे हैं. लेकिन जब पता चलता है तो यह भी महसूस होता है कि यह मेरी भी जिम्मेदारी है कि मैं अपना काम अच्छे तरीके से करूं, क्योंकि जब कोई किसी चीज का इंतजार करता है.तो उसे निराश नहीं होना चाहिए. मैं इस बात का खास ख्याल रखती हूं. और मैं हमेशा यही कोशिश करती हूं. लेकिन होता यह है कि फिल्म मैंने नहीं बनाई होती है. सो, मैं सिर्फ अपने परफॉरमेंस की जिम्मेदारी ले सकती हूं कि मैं संतुष्ट करूं.
आप सोशल नेटवर्किंग साइट्स पर अब भी नहीं हो. लेकिन आप फैन्स को महत्व देती हैं. फिर फैन्स को इस बारे में कैसे जानकारी मिलेगी कि आप उनकी कद्र करती हैं. इस दौर में किस तरह कनेक्ट कर पाती हैं?
मैं मुझे लगता है कि हमेशा से ही अपने काम के जरिये ही लोगों से जुड़ना चाहती हूं. पहले तो सोशल नेटवर्किंग नहीं था. फिर भी हमारे फैन्स थे ही. आॅडियंस और एक्टर का रिलेशनशीप तो था ही. मेरे ख्याल से मेरे दर्शक मेरा काम देखने जाते हैं.चाहे मैं उनसे मिलूं या न मिलूं. वो प्यार उनका मेरे काम के लिए है.
आपने अपनी निजी जिंदगी में एक मिस्ट्री गढ़ रखी है.इसकी कोई खास वजह है?
नहीं, मुझे नहीं मालूम कि मैंने जानबूझ के क्रियेट किया है. या फिर ऐसा हो गया है.लेकिन मुझे ऐसा लगता है कि यह मेरे स्वभाव की वजह से भी है. मुझे ऐसा लगता है कि मैंने अपनी जिंदगी जिस तरह से जी है. लोगों के जेहन में यह बात आ गयी है कि मैं मिस्टीरियस हूं. हम दरअसल, एक किस्म से लोगों को सोचना चाहते हैं, जो हमको अच्छा लगता है. तो शायद उनके दिमाग में कहीं फिट होती है मेरी मिस्टीरियस दुनिया और इमेज़. लेकिन इस इमेज में कितनी सच्चाई है. वह मिस्ट्री है भी कि नहीं. अगर है ही तो ठीक ही है. मैं ऐसा मानती हूं.मैंने हमेशा से ही खुद से अधिक अहमियत काम को दिया है. मैं काम के सामने और किसी चीज के बारे में नहीं सोचती. और काम के वक्त काम ही मेरी दुनिया है. फिर अगर वह मिस्टीरियस भी है तो मुझे कोई दिक्कत नहीं.
फिल्मों से आप जब खुद को अलग करती हैं तो क्या कर रही होती हैं?
मुझे ट्रेवलिंग बहुत अधिक पसंद है. म्यूजिक सुनना और गाना सुनना मुझे बेहद पसंद है. ट्रैवल डेस्टिनेशन में फोटोग्राफी करना पसंद है मुझे. लिखना भी अच्छा लगता है. हां, मगर इसका यह कतई मतलब नहीं कि मुझे स्क्रिप्ट लिखने में कोई दिलचस्पी है या मुझमें स्क्रिप्ट लिखने की क्षमता है. मैं बकवास थॉट्स लिख लेती हूं.
हर फिल्म एक कलाकार को निखरने में कितना सहयोग करती है?
मुझे लगता है कि हर कलाकार के लिए उसकी फिल्म का अहम योगदान होता है. उसे निखारने और संवारने में. मुझे अब यह समझ आया है, क्योंकि एक तो आप वह किरदार जी रहे होते हैं, फिर इतने सारे इमोशन्स को निभा रहे हैं. इतने सारे लोगों से इंटरैक्ट कर रहे होते हैं. नये लोगों के साथ, पुराने लोगों के साथ. अनजान लोगों के साथ, नये माहौल के साथ, या फिर आप फिल्म के बहाने नयी जगह देखते हैं. हर चीज आपकी पर्सनैलिटी में एक-एक परत जोड़ती जाती है.और मेरी हमेशा ही यही कोशिश होती है कि इससे मेरी पर्सनल ग्रोथ कितनी होगी. तो मैं हर चीज के सक्सेस से मैं अपने आप को डिफाइन करती हूं कि इस एक्सपीरियंस से मैंने कितना सीखा. इस अनुभव ने मेरी पर्सनैलिटी में क्या चीजें नयी जोड़ीं. तो वह मेरे लिए सक्सेस है. फितूर से भी मैंने काफी कुछ सीखा है. खूबसूरत-सा अनुभव रहा. मैंने फिल्म के दौरान कोई बैगेज या प्रेशर महसूस नहीं किया.
आप होमवर्क करती हैं?
इस फिल्म में लुक पर काफी काम किया गया है. फिल्म में जो बेगम है. वह रॉयल है. उसका अपीयरेंस ही अलग सा है. तो उस जमाने में रहती हैं. 30 साल पहले के दौर की है वह दिमागी तौर पर. तो उसकी जिंदगी थम गयी है. हेरिटेज की तरह. तो लुक काफी अहम था. बालों का रंग भी काफी अलग है. तो इसके लिए तैयारी की. वरना, आमतौर पर मुझे किसी ने यह बोल कर सिखाया तो नहीं कि होम वर्क क्या होता. किस तरह होता है.
कोई ऐसा किरदार, जिससे बाहर आने में आपको वक्त लगा हो?
मकबूल का किरदार मेरे लिए काफी खास था और उस फिल्म से निकलने में मुझे वक्त लगा, क्योंकि वह किरदार ही बिल्कुल अलग सा था. डार्क था. माहौल ही अलग था उस फिल्म का. वह फिल्म इनकंप्लीट लव स्टोरी थी. शायद यह भी वजह रही है.
आपकी बहन से आप काफी करीबी हैं?
हां, बिल्कुल वही तो एक मेरी दोस्त है. मेरी बेस्ट फ्रेंड. मुझे तो अब भी उससे खूब डांट पड़ती है. वह मुझे लेकर काफी फिक्रमंद रहती हैं. उसे मेरे काम और मेरी पर्सनल दोनों ही जिंदगी के बारे में जितने अच्छे से पता है, शायद मुझे भी नहीं पता है. मैं उसके लिए अब भी छोटी बेबी ही हूं और मुझे खुशी है कि मेरे साथ कोई ऐसा है, जो मेरा इतना ख्याल रखता है. वह मेरी दूसरी मां हैं. मां के बाद .
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