हाल ही में फिल्मफेयर अवार्ड की समाप्ति हुई. हर वर्ष की तरह इस वर्ष फिल्मफेयर में रौनक नजर नहीं आयी. यहां तक कि शाहरुख खान भी बहुत अधिक ऊर्जावान नजर नहीं आये. जबकि यह शाहरुख की खासियत रही है कि उन्होंने जब जब किसी अवार्ड शो की एंकरिंग की है. जान डाली है. शो को जीवंत बनाया है. लेकिन इस बार कुछ ऐसे वाक्ये भी हुए, जिससे यह अहसास हुआ कि धीरे धीरे ही सही इरफान खान सरीके कलाकारों को अपनी मौजूदगी दर्शाने के मौके मिल गये हैं. शायद फिल्मफेयर के इतिहास में यह पहली बार होगा, जब इरफान खान को शाहरुख खान के साथ न सिर्फ स्टेज शेयर करने का मौका मिला, बल्कि उन्हें तवज्जो भी दी गयी. इससे स्पष्ट होता है कि वाकई सुपरस्टार्स की लीग में इरफान जैसे दक्ष अभिनेता भी अब शामिल होने लगे हैं. अब उन्हें भी ग्लैमर की दुनिया में जगह मिल रही है. संजय मिश्रा को भी एक्ट करने के मौके मिले और बाद में उनके लिए जम कर तालियां बजीं. यह बदलाव यों ही नहीं है. यह हकीकत है कि देर से ही सही इरफान, संजय मिश्रा जैसे कलाकारों ने साबित किया है, कि उन्हें नजरअंदाज नहीं किया जा सकता. इरफान ने हॉलीवुड में अपनी खास जगह बनाई है. और संजय मिश्रा ने आंखों देखी जैसी फिल्मों से चौंकाया है.और खास बात यह है कि उन्हें नोटिस किया जा रहा है. तवज्जो दी जा रही है. यह बदलाव के ही संकेत हैं. इसी दौरान आलिया-शाहरुख ने जो जुगलबंदी प्रस्तुत की. वह काफी बोरिंग थी. आलिया जिस गर्व के साथ शाहरुख को कहती हैं कि अपनी पैंट उतारो...यह न सिर्फ शाहरुख की, बल्कि उस फर्टिनिटी का अपमान है, जो आलिया से वरिष्ठ हैं. आलिया के ये शब्द दर्शाते हैं कि वाकई उनका जेनरेशन वरिष्ठों की पैंट उतरवाने को ही कूल होना मानते हैं. लेकिन यह कतई शोभनीय नहीं था.
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20160217
कलाकारों को तवज्जो
हाल ही में फिल्मफेयर अवार्ड की समाप्ति हुई. हर वर्ष की तरह इस वर्ष फिल्मफेयर में रौनक नजर नहीं आयी. यहां तक कि शाहरुख खान भी बहुत अधिक ऊर्जावान नजर नहीं आये. जबकि यह शाहरुख की खासियत रही है कि उन्होंने जब जब किसी अवार्ड शो की एंकरिंग की है. जान डाली है. शो को जीवंत बनाया है. लेकिन इस बार कुछ ऐसे वाक्ये भी हुए, जिससे यह अहसास हुआ कि धीरे धीरे ही सही इरफान खान सरीके कलाकारों को अपनी मौजूदगी दर्शाने के मौके मिल गये हैं. शायद फिल्मफेयर के इतिहास में यह पहली बार होगा, जब इरफान खान को शाहरुख खान के साथ न सिर्फ स्टेज शेयर करने का मौका मिला, बल्कि उन्हें तवज्जो भी दी गयी. इससे स्पष्ट होता है कि वाकई सुपरस्टार्स की लीग में इरफान जैसे दक्ष अभिनेता भी अब शामिल होने लगे हैं. अब उन्हें भी ग्लैमर की दुनिया में जगह मिल रही है. संजय मिश्रा को भी एक्ट करने के मौके मिले और बाद में उनके लिए जम कर तालियां बजीं. यह बदलाव यों ही नहीं है. यह हकीकत है कि देर से ही सही इरफान, संजय मिश्रा जैसे कलाकारों ने साबित किया है, कि उन्हें नजरअंदाज नहीं किया जा सकता. इरफान ने हॉलीवुड में अपनी खास जगह बनाई है. और संजय मिश्रा ने आंखों देखी जैसी फिल्मों से चौंकाया है.और खास बात यह है कि उन्हें नोटिस किया जा रहा है. तवज्जो दी जा रही है. यह बदलाव के ही संकेत हैं. इसी दौरान आलिया-शाहरुख ने जो जुगलबंदी प्रस्तुत की. वह काफी बोरिंग थी. आलिया जिस गर्व के साथ शाहरुख को कहती हैं कि अपनी पैंट उतारो...यह न सिर्फ शाहरुख की, बल्कि उस फर्टिनिटी का अपमान है, जो आलिया से वरिष्ठ हैं. आलिया के ये शब्द दर्शाते हैं कि वाकई उनका जेनरेशन वरिष्ठों की पैंट उतरवाने को ही कूल होना मानते हैं. लेकिन यह कतई शोभनीय नहीं था.
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