छोटे परदे पर बहू की एक नयी परिभाषा लेकर आयी हैं निर्माता व लेखिका सोनाली जाफर. सोनाली का मानना है कि दर्शक हमेशा इस बात की शिकायत करते हैं कि उन्हें सिर्फ सास-बहू की ही कहानी परोसी जा रही है. सो, उन्होंने तय किया कि इस बार वे बहू की कहानी दिखायेंगी. लेकिन अलग अंदाज में. शो में लीड किरदार निभा रहे हैं करण ग्रोवर और ऋद्धिमा पंडित.
सटायर के माध्यम से बहू का नया रूप
सोनाली जाफर, निर्मात्री-लेखिका
मैं दरअसल, कई सालों से टेलीविजन से जुड़ी रही हूं और मैंने कई सारे शोज किये हैं. मेरा मानना है कि आज की औरतें बदली हैं. सो, मेरे शो की हीरोइन हटके है. आप देखें तो आज हर किसी की इच्छा है कि उनकी बहू वर्किंग भी हो और घर आकर घर की भी सारी जिम्मेदारी संभाले. मैं खुद भी सबकुछ मैनेज करती हूं. तो मुझे लगता है कि आज की महिलाएं बहुत मल्टी टास्किंग हैं. मुझे लगा कि यह एक ऐसा अध्याय है, जिसे दर्शाना चाहिए और क्या मर्द समझता है कि वाकई महिलाएं कितना काम करती हैं? मर्द को सबकुछ चाहिए एक महिला से, और जब वैसी मिलती भी है तब भी उसे कुछ और चाहिए होता है. मतलब उनकी इच्छाओं की अंत नहीं तो मैंने सटायर के रूप में शो का थीम रखा है. इसलिए शो में हमारी हीरोइन रोबोट है. मैं मानती हूं कि बतौर लेखक आप अपनी आस-पास की जिंदगी व अनुभव से बहुत कुछ ले पाते हैं. मैंने भी इस शो में अपने कई अनुभव के आधार पर चीजें फ्रेम की हैं और मैं मानती हंूं कि हर महिला उससे कनेक्ट करेंगी. मैंने काफी लंबे समय तक एकता कपूर के साथ काम किया है और वही मेरी गुरु रही हैं इस क्षेत्र में. 2004 से मैं जुड़ी हूं अबतक़. मैं बालाजी की ऊपज हूं. मैंने कसम से स्वतंत्र राइटर के रूप में लेखन शुरू किया. फिर बड़े अच्छे लगते हैं, ये हैं मोहब्बते जैसे शो में नयापन, ताजगी लाने की कोशिश की और अब इस शो में भी वही फ्रेशनेस लाने की कोशिश है. मैंने अपनी क्रियेटिविटी को मौका दिया और हर महिला को अपनी क्रियेटिविटी को मौका देना चाहिए. हमारे शो का भी यही संदेश है. मैंने राजन शाही, राजश्री प्रोडक् शन्स के साथ भी काम किया है और अब अपने इस शो के माध्यम से उन्हीं अनुभवों को मुक्कमल करने की कोशिश कर रही हूं. मेरा मानना है कि टेलीविजन में महिला राइटर्स या हर क्षेत्र में काफी विकल्प हैं. टैलेंट हैं तो यहां मौके मिलते हैं. हमारा शो वैसी ही महिलाओं को समर्पित हैं, जो जिंदगी में कुछ करना चाहती हैं. खास बात यह है कि हमने भाषणबाजी करने की कोशिश नहीं की है. हमने इसे हास्य अंदाज में प्रस्तुत करने की कोशिश की है.शो का नाम रजनीकांत इसलिए रखा है, कि अमूमन हम उन लोगों को रजनीकांत कह कर संबोधित करते हैं, जो काफी लार्जर देन लाइफ जैसे काम करने की कोशिश करते हैं, या जो सबकुछ कर ले. हमारी बहू भी वैसी है. एक महिला किस तरह रोबोट बन जाती है, फिर उसे सुकून नहीं. इस शो में वही दर्शाने की कोशिश है. शो में आपको और भी नये नजरिये मिलेंगे.
पहले ही शो में एक्सपेरिमेंटल किरदार मिल गया :ऋद्धिमा पंडित, अभिनेत्री
मैं बेहद खुश हूं कि मुझे मेरे पहले ही शो में एक्सपेरिमेंटल किरदार निभाने का मौका मिल गया है. हर कलाकार का यही सपना होता है कि मैं कोई ऐसा ही किरदार निभाऊं. मुझे इस बात की भी खुशी है कि मेरे शो का नाम भारतीय सिनेमा के आइकॉनिक कलाकार के नाम पर है और अगर सिर्फ इस नाम के बहाने भी उनसे राबता हो पाया है तो भी मैं खुद को खुशनसीब मानती हूं. मेरा मानना है कि मेरा किरदार आम बहुओं जैसा नहीं होगा. लेकिन फिर भी दर्शक मुझे पसंद करेंगे. खास कर घर की वे महिलाएं जिन्हें मेरी कहानी अपनी लगेगी. वह निश्चित तौर पर मुझे पसंद करेंगी. इस शो में मैं रोबोटिक किरदार में हूं तो मुझे एक रोबोट की पूरी चाल ढाल समझने में वक्त लगा. मैंने एक रोबोट को स्टडी करने की कोशिश की है. साथ ही हमारी लेखिका व प्रोडयूर सोनाली मैम ने काफी मदद की है. उन्होंने काफी इनपुट्स दिये हैं तो उनसे भी काफी मदद मिली है. मैं काफी सालों से मॉडलिंग से जुड़ी रही हूं. कई विज्ञापनों में काम किया है. लेकिन डेली सोप में काम करने का अनुभव अलग है और इससे काफी पहचान मिलती है. ऐसा महसूस कर रही
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