20160223

हुनर, मेहनत और मुकाम

सलीम खान ने शत्रुघ्न सिन्हा की बायोग्राफी में फिल्म काला पत्थर के परदे के पीछे की कहानी का ब्योरा देते हुए बताया है कि फिल्म के निर्देशक और फिल्म के कलाकारों की बिल्कुल इच्छा नहीं थी कि वे शत्रुघ्न को फिल्म में कास्ट करें. लेकिन उस दौर में लेखकों की अपनी पहचान थी. अपना ओहदा था. वे अपना प्रस्ताव न सिर्फ रख सकते थे, बल्कि कलाकारों को कास्ट करने का अंतिम निर्णय भी उनका ही होता था. सलीम खान ने ही शत्रुघ्न सिन्हा को यह बात समझायी कि उन्हें इस फिल्म के लिए कोई फीस न भी मिले तो उन्हें यह फिल्म करनी चाहिए. चूंकि इस फिल्म में उनका किरदार दमदार है और उन्हें लोग इस किरदार की वजह से याद रखेंगे. सलीम खान यह भी स्वीकारते हैं कि बॉलीवुड में ऐसे कम कलाकार आये, जो अपने स्टाइल के साथ आये. वरना, हर कलाकार किसी न किसी से प्रभावित थे. लेकिन शत्रु उन कलाकारों में से एक थे, जिनका अपना स्टाइल था. और अगर शत्रु अपने काम पर औरों से अधिक मेहनत करते तो वे भी जिस मुकाम पर हैं, उससे बड़े कलाकार होते. दरअसल, सलीम खान ने यह बात सटीक कही है. अमूमन ऐसा होता है कि कई प्रतिभाशाली कलाकार, जो वाकई हुनरमंद होते हैं. वे खुद को लेकर बेपरवाह हो जाते हैं और नतीजन वे वह मुकाम हासिल नहीं कर पाते. लेकिन कुछ लोग अपनी मेहनत से हुनरमंद बनते हैं. आदित्य चोपड़ा ने कई बार अपने लांचिंग कलाकारों को यह बात समझायी है, जिनमें रणवीर सिंह और विवेक ओबरॉय प्रमुख हैं. रणवीर को आदित्य ने यह बात समझायी थी कि वह हीरो जैसे नहीं दिखते. लेकिन उनकी मेहनत उन्हें मुकाम दिला सकती है और इससे उलट विवेक को उन्होंने सीख दी थी कि तुम में बहुत प्रतिभा है. लेकिन इतराने की बजाय धैर्य से काम लेना. अब यह एक छात्र पर निर्भर करता है कि वह अपने गुरु की बात को किस हद तक अपने साथ रखता. यकीनन रणवीर ने इस गुरुमंत्र को अपना मंत्र बनाया है और आज वे सुपरस्टार बन चुके हैं.

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