लाल बालों की लाली
फिल्म फितूर में कट्रीना कैफ के बालों में ५५ लाख रूपये खर्च किये गए हैं. इस बात पर काफी शोर हो रहा। वजह यह है कि कट्रीना के बालों को संवारने के लिए विदेशी हेयर स्टाइलिस्ट को बुलाया गया था. इस वजह से हिंदी फिल्म इंडस्ट्री में काम कर रहीं कई हेयर स्टाइलिस्ट को ऐतराज है. उनका मानना है कि भारत में काफी काम पैसे में यह स्टाइलिंग हो सकती थी. लेकिन यहां ट्रेंड हैरस्टीलिस्ट होने के बावजूद विदेशी लोगों को अधिक मौके दिए जाते हैं। लंबे अरसे से यह लड़ाई चल रही है. यहाँ काम करने वाले कई हैरस्टीलिस्ट, मेकअप आर्टिस्ट ने अपनी परेशानी सामने जाहिर की है. दरअसल हकीकत यह है कि हमें हमेशा ही विदेशी चावल अधिक पसंद आते हैं.. यह हकीकत है कि गांव वालों को हमेशा शहर आकर्षित करता है। प्रियंका चोपड़ा ने लगातार कई सालों तक खुद की क्षमता साबित की है। लेकिन उनकी जय जय कार अभी अधिक हो रही चूँकि इसके लिए उन्हें भी विदेशी जमीन तलाशनी पड़ी है. वे खुद कई बार ये बातें स्वीकार चुकी हैं कि उन्हें इस बात की तकलीफ रही है कि उन्हें फिल्म बर्फी के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार क्यों नहीं मिला. सनी देओल भी स्वीकारते हैं कि उन्हें बॉलीवुड स्टंट मैन पर खास भरोसा नहीं है। इसलिए उनकी यही कोशिश होती है कि वे अपनी फिल्मों के लिए बाहर से स्टंट मास्टर को बुलायें। फिल्म घायल वन्स अगेन के लिए भी उन्होंने बाहरी स्टंट मैन का ही सहारा लिया है। फिल्म पा के लिए भी विदेशी मेकअप विशेषज्ञ को मौके दिए गए थे। शाहरुख़ खान की फिल्म फैन के लिए भी विदेशी मेकअप मैन आमंत्रित किया गया है। इस बारे में भी गंभीरता से सोचनी जरुरी है कि भारत में अब भी क्या दक्ष और नयी तकनिकी और वक़्त के साथ चलने वाले प्रयोग नहीं हो रहे हैरस्टीलिंग की दुनिया में , या मेकअप की दुनिया में। या स्टंट की दुनिया में। तो इसके भी कारण क्या हैं ? और अगर कमियां हैं तो क्यों हैं , और इसके उपाय क्या हो सकते। या फिर वाकई सिर्फ यह मानसिकता भर ही हैं की दूर के ढोल ही हमेशा सुहावने लगते हैं।
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