20120113

हिंदी सिनेमा के अलीबाबा और चोर




हिंदी सिनेमा में किसी खजाने की चोरी की प्लानिंग के इर्द-गिर्द घूमती कई कहानियों पर फ़िल्में बनती रही हैं. इस हफ्ते रिलीज हुई फ़िल्म प्लेयर्स की तरह ही ऐसी कई फ़िल्में हैं, जिनमें पूरी कहानी किसी खजाने की खोज या उसे लूटने की तरकीब पर आधारित रही है. ऐसी ही कुछ फ़िल्मों पर अनुप्रिया अनंत की रिपोर्ट..
हिंदी सिनेमा में जब भी क्राइम, थ्रिल या रोमांच दिखाने का अवसर मिला है, निर्देशकों ने किसी न किसी तरह से जरूर दिखाया है. कभी किसी खजाने की चोरी या उसकी प्लानिंग व उसकी गुत्थी सुलझाती हुई पुलिस पर आधारित कहानी कही तो कभी जासूसी कहानियों का सहारा लिया गया. गैंगों पर आधारित अब तक कई फ़िल्मों का निर्माण किया जा चुका है. हां इतना जरूर रहा है कि तकनीकी दौर में हो रहे बदलावों का सहारे हमेंशा फ़िल्म को मनोरंजक और आकर्षक बनाने की कोशिश की गयी. जाहिर है तकनीकी बदलाव से फ़िल्मों का फ़ॉरमेट भी बदल जाता है, कहानी बदल जाती है और अपराध एवं कानून के तौर-तरीके बदलजाते हैं.
प्लेयर्स

इटैलियन जॉब के इस हिंदी रीमेक में अभिषेक बच्चन व उसके समूह द्वारा सोने की चोरी दिखायी गयी है. अब्बास मस्तान को तकनीकी फ़िल्मकार के तौर पर जाना जाता है. इस फ़िल्म में भी उन्होंने चोरी के दृश्यों को फ़िल्माने के लिए कई अतिआधुनिक तकनीकों का इस्तेमाल किया है.
डॉन 2
हाल ही में रिलीज हुई फ़िल्म डॉन2 में एक बैंक की सिक्योरिटी प्लेट्स को डॉन व उसके लोग मिल कर चुराने की साजिश रचते हैं. उनके पीछे पुलिस फ़ोर्स लगी होती है.
डॉन
अमिताभ बच्चन अभिनीत फ़िल्म डॉन में भी डॉन एक खास योजना के तहत लोगों को बेवकूफ़ बनाता है और फ़िर पुलिस को चकमा देकर भाग जाता है.
धूम2
धूम 2 में रितिक रोशन चोर बने हैं. वे ऐश के साथ मिल कर कई खजाने, हीरे लूट लेते हैं. हालांकि अभिषेक बच्चन उन्हें पकड़ने में कामयाब हो जाते हैं, लेकिन रितिक की चोरी का अंदाज बहुत निराला है.
कांटे
फ़िल्म कांटे में भी पूरा गैंग मिल कर लोगों को चकमे देकर खजाना लूट लेता है. इसमें गैंग के रूप में चोरों का एक ऐसा समूह है जो छोटी चोरियों से होते हुए बड़ी चोरी तक पहुंचजाता है.
आंखें
अमिताभ बच्चन, सुष्मिता सेन, अक्षय कुमार, परेश रावल, अभिनीत फ़िल्म आंखें में भी अमिताभ अपने शातिर दिमाग का इस्तेमाल कर अंधों से बैंक की रॉबरी करवाते हैं.
जॉनी मेरा नाम
फ़िल्म जॉनी मेरा नाम भी कुछ ऐसी ही कहानी पर आधारित फ़िल्म थी. जिसमें दर्शक अनुमान नहीं लगा पाते कि ओखरकार मुलजिम है कौन.
ज्वेल थीफ़
ज्वेल थीफ़ की कहानी भी एक चोर की कहानी के इर्द-गिर्द घूमती है, जिसमें देव आनंद लोगों को चकमे देकर अपनी चोरी की योजना को कामयाब बना देते हैं. इसके अलावा किसी दौर में शत्रुघ्न सिन्हा व विनोद खन्ना अभिनीत कई फ़िल्मों में ऐसे ही विषय पर आधारित कहानी का निर्माण किया गया था. इस सिलसिले में फ़िल्म शोले को भी रख सकते हैं, लेकिन गब्बर सिंह की इमेज एक साधारण डाकू के बजाय बहुत बड़े डाकू की है, इसलिए अली बाबा और चोर के खाके में गब्बर कहीं फ़िट नहीं बैठता

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