My Blog List
20120119
नाम देकर गुमनाम करता बॉलीवुड
हाल ही में खबर आयी कि फ़िल्म प्रोफ़ेसर की नायिका कल्पना मोहन का निधन हो चुका है. इस बात से हिंदी सिनेमा जगत पूरी तरह से बेखबर है. कल्पना ने कम लेकिन चर्चित फ़िल्मों में अभिनय किया था. शादी के बाद उन्होंने फ़िल्मों से दूरी बना ली. अपनी रीत के अनुसार हिंदी सिनेमा ने उनकी सूध नहीं ली.
ऐसा पहली बार नहीं हो रहा. पहले भी ऐसा कई बार हो चुका है. मशहूर अभिनेत्री ललीता पवार की मौत भी कुछ ऐसी ही गुमनामी के साथ हुई थी. परवीन बॉबी ने भी कुछ इसी तरह खामोशी की चादर ओढ़ ली थी. हाल ही में खबर मिली थी कि किसी जमाने के मशहूर अभिनेता राज किरण के बारे में जानकारी मिली कि वह अंटालंटा के किसी मेनटल इंस्टीटयूशन में अकेले जिंदगी जी रहे हैं. राज की पिछले कई सालों से कोई खोज खबर नहीं थी.
लोगों ने भी तलाशने की कोशिश भी नहीं कि वह कहां हैं. हालांकि, राज को उनके कुछ दोस्तों ऋषि कपूर, दीप्ति नवल जैसे कलाकारों ने ढूंढने का प्रयास किया, लेकिन कभी कोई ठोस कदम नहीं उठाये गये. कुछ ऐसी ही हालत अपने दौर में महत्वपूर्ण भूमिकाएं निभा चुके एके हंगल की भी थी.
वे पिछले कई सालों से बीमारी से जूझ रहे थे, लेकिन बॉलीवुड के कलाकारों ने उनकी खोज खबर लेने की जरूरत महसूस नहीं की. बाद में जब मीडिया में यह खबर आने लगी, तो कुछ लोगों ने हाथ आगे बढ़ाया. फ़िल्म वक्त की मशहूर अदाकारा अचला सचदेव किसी जमाने में कलाकारों की मां की सशक्त भूमिका में नजर आती थीं. वे करन जोहर की फ़िल्म कभी खुशी कभी गम में आखिरी बार नजर आयीं. आज वह पुणे के अस्पताल में बुरी हालत में हैं.
जिस दौर में वह सक्रिय थीं. उनके बेटे व परिवार ने भी उनका साथ दिया, लेकिन आज उन लोगों ने भी उनका साथ छोड़ दिया. उनके बेटे यूएस में हैं और बेटी मुंबई में, लेकिन उन्होंने कभी अपनी मां की सूध लेने की कोशिश नहीं की. जिस अभिनेत्री ने ताउम्र बॉलीवुड कलाकारों के लिए मां की भूमिका निभायी. उसी मां को न तो आज अपने बच्चों का साथ मिल रहा है और न ही सिनेमाई बेटों का. आज वह पुणे के रिसर्च सेंटर में जिंदगी और मौत के बीच जूझ रही हैं.
बॉलीवुड का मुखौटा उस दिन नजर आयेगा जब अचला हमारे बीच नहीं होंगी और बॉलीवुड की हस्तियों द्वारा उन्हें ट्विटर, अखबारों व चैनलों द्वारा उन्हें श्रद्धांजलि देने का तांता लगेगा. वर्तमान में भी ऐसे कई मशहूर नाम हैं, जो बदहाली की जिंदगी गुजार रहे हैं, लेकिन उनकी सूध लेनेवाला कोई नहीं.
दरअसल, विदेशों की तरह भारत में कलाकारों के जुड़ी ऐसी कोई नीति नहीं है, जिसमें बुजुर्ग कलाकारों को सेवा प्रदान की जाये. विदेशों में सेवानिवृत कलाकारों के लिए पेंशन की योजना है, लेकिन अब तक भारत में ऐसी कोई व्यवस्था नहीं. इसलिए, अपने परिवार का गुजारा करने के लिए आज भी कई कलाकार बुढ़े हो जाने के बावजूद काम करने के लिए बाध्य हैं, वरना, कभी करोड़ों लोगों का प्यार पानेवाला शख्स अचानक अकेला हो जाता है
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment