20120113

मैडम तुसाद : मोम की अजीबोगरीब दुनिया




भारतीय अभिनेत्री माधुरी दीक्षित की भी मोम की मूर्ति अब प्रतिष्ठित मैडम तुसाद में स्थापित होगी. मार्च में माधुरी लंदन जाकर खुद इसका अनावरण करेंगी. अभी हाल ही में करीना कपूर की मोम की मूर्ति स्थापित हुई है. ऐश्वर्या राय, करीना कपूर के बाद माधुरी तीसरी भारतीय अभिनेत्री हैं, जिन्हें यह सम्मान हासिल हो रहा है. इससे पहले बॉलीवुड से अमिताभ बच्चन, शाहरुख खान, ऋतिक रोशन, सलमान खान, ऐश्वर्या राय, करीना कपूर की मूर्ति वहां स्थापित हो चुकी है.
इसके अलावा खेल शख्सियत में सचिन तेंदुलकर की मूर्ति भी वहां स्थापित है. भारतीयों में महात्मा गांधी जैसे शख्सियत की मूर्ति भी लंदन के इस म्यूजियम में स्थापित है. इस म्यूजियम में स्थापित मूर्तियां भले ही मोम की हों, लेकिन उनकी वहां उपस्थिति इस बात का मानक हैं कि वह केवल अपने देश में ही नहीं, बल्कि पूरे विश्व में वे लोकप्रिय है. इस म्यूजियम का हिस्सा वही हस्तियां बन पाती हैं, जो अपने देशों के साथ-साथ विश्व में भी लोकप्रिय हों.
अब तक पूरे विश्व के हर देश से लगभग वे सभी हस्तियों की मूर्ति यहां स्थापित है, जो लोकप्रिय हैं या उनका अपने देश में या विश्व स्तर पर योगदान रहा हो. इस म्यूजियम में सबसे पहले भारतीय शख्सियत में अमिताभ बच्चन की प्रतिमा वहां स्थापित हुई थी. फ़िर एक लंबे अंतराल के बाद ऐश्वर्या व शेष कलाकारों की प्रतिमा स्थापित हुई. बीच में फ़िर यह लंबा अंतराल आया था. फ़िर से लगातार भारतीय शख्सियत इस म्यूजियम का हिस्सा बन रहे हैं.
इसकी एक बड़ी वजह यह भी इन दिनों भारतीय फ़िल्में ओवरसीज मार्केट को ध्यान में रख कर बन रही हैं. साथ ही हिंदी फ़िल्मों के कई कलाकारों को विदेशी प्रोडक्ट्स की कंपनियां कम कीमत में अपना ब्रांड एंबैस्डर चुनती हैं. इसलिए, विदेशों में हिंदी फ़िल्मों के कलाकार अपनी फ़िल्मों की वजह से नहीं, बल्कि उनके प्रोडक्ट्स के विज्ञापनों की वजह से भी जाने जाते हैं. इनके अलावा इन दिनों हिंदी फ़िल्मों में विदेशों के लोकेशन खूब शूट किये जा रहे हैं.
हाल की फ़िल्म ‘देसी ब्वॉयज’, ‘रा.वन’, ‘हाउसफ़ुल2’ सहित अन्य कई फ़िल्मों की यहां शूटिंग होती है, जिससे लंदन के टूरिज्म को ब़ढ़ावा मिल रहा है. दूसरी वजह यह भी है कि लंदन में यह म्यूजियम टूरिस्ट प्लेस है और यहां हर वर्ष भारी संख्या में भारतीय टूरिस्ट आते हैं. चूंकि वे यहां अपने कलाकारों की मूर्ति देख कर खुश होते हैं. यह भी वजह है कि अपने देश की ही टूरिज्म को बढ़ावा देने के लिए वे भारतीय कलाकारों को अहमियत दे रहे हैं. ( वहां अब भी सुपरस्टार रजनीकांत की मूर्ति स्थापित नहीं है. कहते हैं कि इसका कारण यह है कि वे किसी विदेशी प्रोडक्ट के एंडॉरसमेंट से नहीं जुड़े हैं और न ही विदेशों में लोकप्रिय हैं ).
दरअसल, जब मैडम तुषाद ने इस म्यूजियम को स्थापित किया था, तो उनकी यही सोच थी कि वे यहां उन लोगों की प्रतिमा स्थापित करेंगी, जिनके योगदान से विश्व समुदाय को लाभ हुआ हो, लेकिन धीरे-धीरे इसने भी ग्लैमर की चादर ओढ़ ली. वरना, भारत के बॉलीवुड हस्तियों के अलावा इस म्यूजियम का ध्यान भारत की अन्य क्षेत्र की हस्तियों पर भी जाता, जिन्होंने देश कल्याण में सहयोग किया.
डीप फ़ोकस
तुषाद ने मोम की मूर्तियां बनाने की कला डॉ फ़िलिप से सीखी थी. तुषाद की मां डॉ फ़िलिप की नौकरानी थी. वह भी मां के साथ उनके घर जाती थी

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