20120113

डर्टी प्रोफ़ेशन नहीं आइटम करना




फिल्म ‘डर्टी पिक्चर्स’ के एक दृश्य में सूर्यकांत नामक सुपरस्टार का किरदार निभा रहे नसीरुद्दीन शाह आइटम गर्ल सिल्क से दुश्मनी निकालने के लिए अपने भाई रामाकांत को आदेश देते हैं कि वे अपनी फ़िल्म में सिल्क से कोई भी आइटम सॉन्ग नहीं करवायेंगे. वे सिल्क की जगह फ़िल्म की हीरोइन से ही आइटम सॉन्ग करवायें.
इस पर रामाकांत ऐतराज करते हैं और कहते हैं कि फ़िल्मों में आइटम सॉन्ग पर काम तो आइटम गर्ल ही करती हैं. सूर्यकांत कहते हैं कि इसमें क्या है. हम ट्रेंड बदल देंगे. अब से हीरोइन ही फ़िल्मों में आइटम सॉन्ग कर लिया करेंगी. दरअसल, ‘डर्टी पिक्चर्स’ का यह दृश्य आइटम गर्ल की फ़िल्म इंडस्ट्री में हकीकत बयां कर रहा है. सूर्यकांत का यह संवाद कि हम जो कर देंगे, वही ट्रेंड बन जायेगा, वर्तमान फ़िल्म जगत की वास्तविकता है. किसी दौर में तमिल सिनेमा जगत में आइटम गानों का प्रचलन था. यही प्रचलन कई अभिनेत्रियों के लिए जीविका का माध्यम बना.
इस प्रचलन ने कई लड़कियों को इंडस्ट्री में लोकप्रियता भी दिलायी, जिसके लिए वह तरसती थीं. भले ही उन्हें वह इज्जत नहीं मिलती थी, जो अभिनेत्रियों को मिलती थी. इसके बावजूद उनकी डिमांड कम नहीं थी, क्योंकि निर्माता जानते थे कि फ़िल्मों में पैसों की खेती के लिए इनका उत्पादन करते रहना जरी है. धीरे-धीरे मुख्यधारा की अभिनेत्रियों ने इस पर अपना अधिकार जताना शुरू कर दिया. अब खूबसूरत दिखने वाली अभिनेत्री ही आइटम सॉन्ग करने लगी. यही वजह थी कि सिल्क, विजयलक्ष्मी व कई अन्य आइटम गर्ल ने मुफ़लिसी की वजह से आत्महत्या कर ली.
धीरे-धीरे यह ट्रेंड अब बॉलीवुड में शुरू हो चुका है. अब फ़िल्मों के आइटम सॉन्ग भी अभिनेत्रियां करने लगी हैं. चूंकि निर्माता आइटम सॉन्ग में भी कैटरीना की तरह ही गुड़िया तलाशने लगे हैं. इसलिए, दीपिका, करीना, कैटरीना, प्रियंका ही छम्मक छल्लो, चिकनी चमेली और शीला बन रही हैं. ऐसे में राखी सावंत, संभावना सेठ, कश्मीरा शाह जैसी आइटम गर्ल के लिए रास्ते कठिन होते जा रहे हैं. ऐसा नहीं है कि ऐसे लोगों ने शु से ही आइटम गर्ल का रास्ता अपनाया.
जब इन लोगों ने समझ लिया कि इन्हें मुख्य धारा में मौके नहीं मिलेंगे, तो इन्होंने खुद को आइटम गर्ल के प में ही ढाला और उसी में खुद को संतुष्ट कर लिया. जब सुपरस्टार अभिनेत्रियां आइटम सॉन्ग करती हैं, तो हम उनकी तारीफ़ों के पुल बांधते हैं, लेकिन वही काम जब एक टैग लगी आइटम गर्ल करती हैं, तो हम उसे दूसरी नजरों से देखते हैं.
ऐसे में अगर राखी सावंत अपना आक्रोश wyakt करती हैं, तो हमें इसे बड़बोलापन कहने की बजाय उसकी भावनाओं को समझना चाहिए. यह राखी के नहीं, बल्कि उन तमाम लड़कियों के शब्द होते हैं, जो अभिनेत्रियों की वजह से मुफ़लिसी की मार ङोलती हैं. ऐसे में टेलीविजन इनके कमाने का एक बेहतर माध्यम बना. कभी हमें इनकी मनोदशा को भी महसूस करनी चाहिए, क्योंकि उनके लिए भी बाकी कामों की तरह ही यह एक प्रोफ़ेशन है और डांस करना उनके पेशे का अहम हिस्सा.

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