हम आपके हैं कौन के २० साल पूरे हुए। यह महज केवल फिल्म के २० साल पूरे नहीं हुए। बल्कि उन तमाम हिंदी दर्शक वर्ग , जिन्हे शादी, परिवार और परिवार के जश्न में विश्वास है , उनकी भी भावना के २० साल पूरे होने की तरह है. मेरी उम्र के लगभग हर दर्शक के दिलों में हम आपके हैं कौन की खास जगह होगी और खास यादें होंगी। मुझे याद है ये फिल्म बोकारो के देवी थिएटर में मैंने अपने पूरे मोहल्ले के लोगों के साथ देखी थी। हम शायद २० लोग रहे होंगे। बालकनी में हमें जगह नहीं मिली थी। लेकिन कोई भी वापस जाने को राजी न था। हमने स्टाल में बैठ कर फिल्म देखी। लेकिन यह फिल्म की कहानी का ही कमाल था कि हम यह भूल गए कि हम कहाँ बैठ कर फिल्म देख रहे हैं। रेणुका सहाणे की मौत पे हॉल में बैठे लोगों की सिसकियाँ साफ़ सुनाई दे रही थी और दीदी तेरा देवर दीवाना पर सीटियों की आवाज़. सच कहूँ तो फिल्म देखने के बाद अपनी बड़ी बहनों से कहने लगी थी जल्दी शादी करो। कोई पूछता तो कहती दीदी के देवर से ही शादी करुँगी। बहरहाल , आज २० साल पुरानी होने के बावजूद यह फिल्म कई अंदाज़ में जवां हैं। जूता चुराने का रिवाज़ इसी फिल्म से शुरू हुआ और आज ये शादियों का महत्वपूर्ण हिस्सा है। कई फिल्म क्रिटिक ने माना कि इस फिल्म ने शादियों में खर्च को बढ़ावा दिया। जबकि सच्चाई यह कि शादी की रश्मों को जितनी सार्थकता इस फिल्म ने प्रदान की है. किसी फिल्म ने नहीं की। कल्पना किजीये तीन घंटे किसी फिल्म में केवल हंसी मजाक , एक परिवार दिखा कर कोई निर्देशक दर्शकों को हंसा रहा है। रुला रहा है। आज भी टीवी पर जब भी यह फिल्म प्रसारित होती है ,मैं दावें से कह सकती रिमोट पर उँगलियाँ ठहर जाती हैं सब्की. सब दोबारा उसी फ्रेशनेस के साथ उसे देखते हैं। कई प्रेमी युगलों का यह सपना आज भी है कि काश उनकी प्रेम कहानी निशा और प्रेम सी हो। अब थीम शादियां हो रही। जहाँ वीडियो बनाने वाले तय करते हैं कि दुल्हन को कितने ऐंगल में और कब हंसना है। जहाँ सब कुछ तय है। ऐसे दौर में भी अगर हम आपके हैं कौन सर्श्रेस्ट रहेगी। हिंदी सिनेमा की पवित्र फिल्मों में से एक रहेगी
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