हाल ही में शाहिद कपूर से फिल्म हैदर के संदर्भ में बातचीत हुई. उनसे जब श्रद्धा कपूर के अभिनय शैली के बारे में पूछा गया तो शाहिद का कहना था कि हमने जब शुरुआत की थी. हम इतनी तैयारी से नहीं आते थे. यह अच्छी बात है कि वर्तमान में नवोदित अभिनेत्रियां अपनी पहली फिल्म में ही सार्थक अभिनय करती हैं और खुद को साबित कर देती हैं. श्रद्धा को देख कर यही लगता है कि वह पूरी तैयारी से आयी हैं. दरअसल, यही हकीकत भी है कि पहले की अपेक्षा अब कलाकार अपनी पहली फिल्म में ही पूरी तैयारी से आते हैं. वह खुद को साबित करने का कोई मौका नहीं छोड़ना चाहते. चूंकि वह इस बात से अवगत होते हैं कि वर्तमान में आपको दूसरे मौके तब तक नहीं मिलते. जब तक आपकी पहली फिल्म कामयाब न हो जाये. आज वर्कशॉप्स होते हैं. और उसके बाद अभिनय की प्रक्रिया शुरू होती है. पहले अशोक कुमार, दिलीप कुमार, देव आनंद जैसे कलाकारों ने यूं ही शुरुआत की थी. उन्होंने काम करते हुए काम सीखा. शायद यही वजह है कि अपनी पहली फिल्म में जिस तरह पहले कलाकार मासूम नजर आते थे. अब वह मासूमियत गायब है. अब कलाकार पहली फिल्म में ही नृत्य, अपनी फिटनेस, अपने अंदाज में इस तरह आत्मविश्वास दर्शाते हैं कि वह दर्शकों को अपील कर ही जाते हैं. हेमा मालिनी बताती हैं कि जब शाहरुख फिल्मों में आये थे. उन्होंने शुरुआती दौर में एक्टिंग करके उन्हें दिखाया और फिर शॉट लिया करती थीं. जबकि शाहरुख थियेटर से जुड़े रहे थ.े लेकिन फिल्मों में कैमरे के सामने अभिनय करने का हुनर अलग होता है. खुद हेमा मालिनी को राज कपूर ने अभिनय करने के गुर सिखाएं. आलिया भट्ट, परिणीति चोपड़ा, सिद्धार्थ मल्होत्रा, वरुण धवन, अर्जुन कपूर जैसे कलाकारों में वह आत्मविश्वास उनकी पहली फिल्म से ही नजर आने लगा था.
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20140910
तैयारी के साथ अभिनय
हाल ही में शाहिद कपूर से फिल्म हैदर के संदर्भ में बातचीत हुई. उनसे जब श्रद्धा कपूर के अभिनय शैली के बारे में पूछा गया तो शाहिद का कहना था कि हमने जब शुरुआत की थी. हम इतनी तैयारी से नहीं आते थे. यह अच्छी बात है कि वर्तमान में नवोदित अभिनेत्रियां अपनी पहली फिल्म में ही सार्थक अभिनय करती हैं और खुद को साबित कर देती हैं. श्रद्धा को देख कर यही लगता है कि वह पूरी तैयारी से आयी हैं. दरअसल, यही हकीकत भी है कि पहले की अपेक्षा अब कलाकार अपनी पहली फिल्म में ही पूरी तैयारी से आते हैं. वह खुद को साबित करने का कोई मौका नहीं छोड़ना चाहते. चूंकि वह इस बात से अवगत होते हैं कि वर्तमान में आपको दूसरे मौके तब तक नहीं मिलते. जब तक आपकी पहली फिल्म कामयाब न हो जाये. आज वर्कशॉप्स होते हैं. और उसके बाद अभिनय की प्रक्रिया शुरू होती है. पहले अशोक कुमार, दिलीप कुमार, देव आनंद जैसे कलाकारों ने यूं ही शुरुआत की थी. उन्होंने काम करते हुए काम सीखा. शायद यही वजह है कि अपनी पहली फिल्म में जिस तरह पहले कलाकार मासूम नजर आते थे. अब वह मासूमियत गायब है. अब कलाकार पहली फिल्म में ही नृत्य, अपनी फिटनेस, अपने अंदाज में इस तरह आत्मविश्वास दर्शाते हैं कि वह दर्शकों को अपील कर ही जाते हैं. हेमा मालिनी बताती हैं कि जब शाहरुख फिल्मों में आये थे. उन्होंने शुरुआती दौर में एक्टिंग करके उन्हें दिखाया और फिर शॉट लिया करती थीं. जबकि शाहरुख थियेटर से जुड़े रहे थ.े लेकिन फिल्मों में कैमरे के सामने अभिनय करने का हुनर अलग होता है. खुद हेमा मालिनी को राज कपूर ने अभिनय करने के गुर सिखाएं. आलिया भट्ट, परिणीति चोपड़ा, सिद्धार्थ मल्होत्रा, वरुण धवन, अर्जुन कपूर जैसे कलाकारों में वह आत्मविश्वास उनकी पहली फिल्म से ही नजर आने लगा था.
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