हाल ही में अमिताभ बच्चन ने अपने सोशल नेटवर्किंग साइट पर एक तसवीर शेयर की. तसवीर उनकी आगामी फिल्म शमिताभ की है, जिसमें अमिताभ को जमीन को देखते हुए दिखाया गया है. अमिताभ ने खुद तसवीर की कैप् शन में यह बात लिखी है कि कभी कभी व्यक्ति को झूक कर भी चलना चाहिए. दरअसल, अमिताभ की यह बात हर उस कामयाब व्यक्ति के लिए है, जिसने जमीन से ही चलना शुरू किया. लेकिन जूतों की हाइ हिल्स ने जिंदगी इस कदर बदल दी कि वे हाइ हिल्स व्यक्ति को कभी मौका ही नहीं देते, कि उसके पैर जमीन पर आयें. वे हमेशा हाइ हिल्स के कवच में ही जिंदगी गुजार देते हैं. जबकि हकीकत यही है कि वाकई कभी झूक कर भी देखना चाहिए. बचपन से हम सुनते आ रहे हैं कि झूके हुए पेड़ ज्यादा बलवान होते हैं. लेकिन जिंदगी में हम कभी झूकना नहीं चाहते और कोई जमीन को देखना नहीं चाहते. एक विज्ञापन इन दिनों काफी लोकप्रिय है. जमीन से पैर उठाते हैं...तो पंख खुद ब खुद लग जाते हैं. सच्चाई यही हैं कि पंख उर्फ पर लगने के बाद कोई जमीन पर नहीं आना चाहता. लेकिन आसमान की ऊंचाईयों पर उड़नेवाली चिड़िया को जब भूख लगती है तो दाना चुगने तो वह धरती पर ही आती है. हिंदी फिल्म इंडस्ट्री में अगर झूके वृक्ष की बात करें तो खुद अमिताभ इसके बड़े उदाहरण हैं, कि वे आज भी इस कदर काम के प्रति प्रतिबध हैं कि अपने जुनियर और युवा पीढ़ी के सामने वह नतमस्तक हो जाते हैं. रणबीर कपूर कपूर परिवार से हैं. लेकिन वे जब भी अपने चाहनेवालों से या मीडिया से मिलते हैं. वे अपने से बुजुर्गों का अभिनंदन एक छोटे से बच्चे की तरह करते हैं. विद्या बालन को इस बात से कोई शर्म नहीं किवे बड़े उम्र के जर्नलिस्ट को पैर छूकर प्रणाम कर लेती हंै. ये झूके हुए वृक्षों की ही शाखाएं हैं, जो उन्हें ऊंचाईयों तक जिंदा रखती हैं.
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20140910
जमीन को देखना
हाल ही में अमिताभ बच्चन ने अपने सोशल नेटवर्किंग साइट पर एक तसवीर शेयर की. तसवीर उनकी आगामी फिल्म शमिताभ की है, जिसमें अमिताभ को जमीन को देखते हुए दिखाया गया है. अमिताभ ने खुद तसवीर की कैप् शन में यह बात लिखी है कि कभी कभी व्यक्ति को झूक कर भी चलना चाहिए. दरअसल, अमिताभ की यह बात हर उस कामयाब व्यक्ति के लिए है, जिसने जमीन से ही चलना शुरू किया. लेकिन जूतों की हाइ हिल्स ने जिंदगी इस कदर बदल दी कि वे हाइ हिल्स व्यक्ति को कभी मौका ही नहीं देते, कि उसके पैर जमीन पर आयें. वे हमेशा हाइ हिल्स के कवच में ही जिंदगी गुजार देते हैं. जबकि हकीकत यही है कि वाकई कभी झूक कर भी देखना चाहिए. बचपन से हम सुनते आ रहे हैं कि झूके हुए पेड़ ज्यादा बलवान होते हैं. लेकिन जिंदगी में हम कभी झूकना नहीं चाहते और कोई जमीन को देखना नहीं चाहते. एक विज्ञापन इन दिनों काफी लोकप्रिय है. जमीन से पैर उठाते हैं...तो पंख खुद ब खुद लग जाते हैं. सच्चाई यही हैं कि पंख उर्फ पर लगने के बाद कोई जमीन पर नहीं आना चाहता. लेकिन आसमान की ऊंचाईयों पर उड़नेवाली चिड़िया को जब भूख लगती है तो दाना चुगने तो वह धरती पर ही आती है. हिंदी फिल्म इंडस्ट्री में अगर झूके वृक्ष की बात करें तो खुद अमिताभ इसके बड़े उदाहरण हैं, कि वे आज भी इस कदर काम के प्रति प्रतिबध हैं कि अपने जुनियर और युवा पीढ़ी के सामने वह नतमस्तक हो जाते हैं. रणबीर कपूर कपूर परिवार से हैं. लेकिन वे जब भी अपने चाहनेवालों से या मीडिया से मिलते हैं. वे अपने से बुजुर्गों का अभिनंदन एक छोटे से बच्चे की तरह करते हैं. विद्या बालन को इस बात से कोई शर्म नहीं किवे बड़े उम्र के जर्नलिस्ट को पैर छूकर प्रणाम कर लेती हंै. ये झूके हुए वृक्षों की ही शाखाएं हैं, जो उन्हें ऊंचाईयों तक जिंदा रखती हैं.
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