इन दिनों मर्दानी शब्द सुनते ही जेहन में रानी मुखर्जी का ही नाम आता है. रानी मुखर्जी ने मर्दानी में जो भूमिका निभाई है. दर्शकों को वह बेहद पसंद आ रही है. उनके लिए मर्दानी क्यों रही खास?
फिल्म मर्दानी चुनने की वजह क्या रही?
मुझे लगता है कि ऐसी फिल्मों की आज बॉलीवुड में जरूरत है. मैं इसलिए नहीं कह रही क्योंकि यह मेरी फिल्म है.मैं इसलिए कह रही कि ऐसी फिल्में महिलाओं का मनोबल बढ़ाती है. मेरा मानना है कि हर औरत में एक मर्द है. लेकिन वह खुद को दबी कुचली सी महसूस करती है. हम जब भी किसी पुलिस आॅफिसर के बारे में सोचते हैं तो हमारे जेहन में पुरुष पुलिस आॅफिसर की ही इमेज आती है. लेकिन इस फिल्म के दौरान जब महिला पुलिस अफसरों से मिली और देखा उनके काम को तो लगा कि महिलाएं बहुत कठोर काम करती हैं. मैं एक पुलिस आॅफिसर से मिलीं. उन्होंने जिस तरह तमाचा लगाया था. डेमो के लिए ही कि मेरे क्रू मेंबर भी हिल गये थे. तो, मैं बस इस माध्यम से ये कहना चाहती हूं कि महिलाओं को कमजोर न समझें. दूसरी बात है कि हम सुरक्षा को लेकर हमेशा बातें करते हैं. मैं मानती हूं कि हर लड़की को मार्शल आर्ट आना ही चाहिए. मैंने इस फिल्म के दौरान क्राव मागा( मार्शल आर्ट का ही हिस्सा) सीखा और यह हर स्कूल में कंप्लसरी कर देना चाहिए. ताकि लड़कियां बचपन से ही यह सबकुछ सीख जायें. मुझे लगता है कि यह फिल्म महिलाओं में आत्मविश्वास जगायेगी कि लड़कियां खुद को कैसे कभी कमजोर न समझें. यह न सोचें कि हम जिस कद के हैं. हम यह नहीं कर सकते. वह नहीं कर सकते. यह सोचना चाहिए कि हम सब कर लेंगे.
आपका नाम रानी है. आप झांसी से हैं. क्या यह वजह रही कि आप भी स्वभाव से हमेशा बोल्ड रही हैं?
हां, यह वजह है और इसी कारण मेरा नाम रानी भी रखा गया था. मैं बचपन से बहुत निर्भिक और निडर रही हूं. मेरे लिए बोल्ड का मतलब वही है कि आपकी बातों और स्वभाव में बोल्डनेस हो. कोई आपके साथ बदतमीजी करे तो उसे ऐसा सबक सिखाओ कि वह चुप हो जाये. हाल ही में झांसी गयी थी. वहां मुझे एक लड़की के बारे में बताया गया कि किस तरह वह गुंडों से अकेली ही लड़ गयी थी.ऐसी लड़कियों की जरूरत है भारत को. इस फिल्म के दौरान एक आॅफिसर से मिली, जो रात में भी डयूटी करती हैं और वह महिला हैं कि पुरुष कोई नहीं देखता. वह काम पर जाती हैं और लोगों का वार सहती हैं. वह मेरी समझ से बोल्ड लेडी हैं. उसे मैं बोल्डनेस कहंूगी.
आप मानती हैं कि इन दिनों बॉलीवुड में वीमेन सेंट्रिक फिल्मों को महत्व दिया जा रहा है?
मुझे इस शब्द से प्रॉब्लम है. वीमेन सेंट्रिक़. क्या हम पुरुष प्रधान फिल्मों को मेल सेंट्रिक बोलते हैं. नहीं न तो हमें फिर माइनॉयोरिटी जैसे क्यों दिखाया जा सकता है. मेरा मानना है कि ऐसे हर मुद्दों पर फिल्म बने, जिससे महिला हो या पुरुष वह बतौर अभिनेता निखर कर सामने आयें.
फिल्म के काम करने के दौरान कभी महसूस हुआ कि काश मैं पुलिस आॅफिसर होती नहीं?
नहीं नहीं, मुझमें इतनी हिम्मत भी नहीं. वह जिस तरह से सैक्ररीफाइसेस करते हैं. मैं नहीं कर सकती. मैं परिवार के बिना नहीं रह सकती. मैं जब एक पुलिस आॅफिसर से मिली. मैंने उनसे कहा कि आपको इतनी धमकियां मिलती हैं. आपके बीवी हैं. बच्चे हैं. आपको डर नहीं लगता. उन्होंने कहा कि हम पहले देश के लिए जीते हैं. वह जज्बा मुझमें नहीं है. हम तो एक्ट करते हैं. लेकिन रियल हीरो तो वे लोग हैं. मुझे देख कर उनसे प्रेरणा मिली. लेकिन मैं हमेशा से एक्टिंग ही कर सकती थी. यह पता था मुझे.
खबर है कि आप फैन में शाहरुख के साथ काम कर रही हैं?
इस बारे में फिलहाल कुछ नहीं कह सकतीं.
शादी के बाद क्या बतौर निर्माता आदित्य ने कुछ बंदिशें लगाई हैं?
नहीं आदि ने कोई भी बंदिश नहीं लगायी है. उन्होंने मुझे मैं ही रहना दिया है. उन्हें मेरे इंटिमेट सीन से भी कोई परेशानी नहीं. चूंकि वह निर्माता हैं और मॉर्डन निर्माता हैं. वे जानते हैं कि काम काम होता है. आप उसे काम की तरह ही लें. तो उन्होंने मुझ पर छोड़ रखा है कि जो करना है मैं करूं. वे जानते हैं कि कहानी की मांग है तो है. शादी के बाद मेरी जिंदगी में बस इतने ही बदलाव आये हैं कि मैं अब अपने मां पापा की बजाय आदि के साथ और पामेला आंटी के साथ रह रही हूं.
क्या वजह है कि आदित्य मीडिया से इतनी दूरी बना कर रखते हैं?
ऐसा नहीं हैं कि उन्हें मीडिया से कोई चिढ़ है. लेकिन उन्हें अपने काम से प्यार है. वह हर फिल्म थियेटर में जाकर भीड़ में देखते हैं. बचपन से ही वह ऐसा ही कर रहे हैं. वह आम रहना चाहते हैं. वह तो कहते हैं कि चूंकि मेरी एक्ट्रेस बीवी बन चुकी है. तो मेरी तसवीरें छपती रहेंगी. लेकिन आदि को अपने परिवार से प्यार है और अपने काम से. आदि तो मेरे साथ दुनिया भर के रेस्टोरेंट घूमने में दिलचस्पी लेते हैं. लेकिन मीडिया से कोई बात करने में नहीं और वह कभी नहीं बदलेंगे. मैं बजलना भी नहीं चाहूंगी.
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