20120802

छोड़ जायेंगे ये जहां तन्हा


सुप्रसिद्ध अभिनेत्री मीना कुमारी का जन्मदिवस 1 अगस्त को मनाया गया. हिंदी सिनेमा में ऐसी अभिनेत्रियों की संख्या कम हैं. जिन्हें उनके चले जाने के बाद भी लोग शिद्दत से याद करते हैं. कायदे से मीना कुमारी पर 1 अगस्त को उनके जन्मदिन के अवसर पर लिखा जाना चाहिए था. लेकिन मैंने आज का दिन इसलिए चुना, क्योंकि मैं मीना कुमारी की वर्तमान में उनके जन्मदिन और उनकी प्रासंगिकता को देख कर इस पर विचार व्यक्त करना चाहती थी. और उम्मीद के अनुसार मुङो मीना कुमारी की प्रासंगिकता और आज भी बरकरार उनकी लोकप्रियता का प्रमाण मिला. मुंबई के सांताक्रूज स्टेशन से बिल्कुल नजदीक में मीना कुमारी के प्रशंसकों ने मीना कुमारी का शानदार तरीके से जन्मदिन मनाया. इस मौके पर मीना कुमारी द्वारा लिखे गये गजल को सुनाया गया. विशेष कर चांद तन्हा है आसमां तन्हा गजल को श्रोताओं ने बेहद पसंद किया. दरअसल, इस गजल में मीना कुमारी की पूरी जिंदगी का हाले बयां सुनाई देता है. एक एक शब्द उनकी जिंदगी की परतें खोलते हैं. हर पंक्ति में उन्होंने तन्हा तन्हा शब्द का इस्तेमाल किया है.ठीक अपनी जिंदगी की तरह. यह सच है कि मीना कुमारी ने कम जिंदगी जी और वाकई सिमटा सिमटा सा उनका मुकाम भी रहा. लेकिन मीना ने अपनी जिंदगी में कई लोगों की मदद की. इनमें अभिनेत्री नरगिस भी हैं. नरगिस जब शूटिंग पर जाती थीं तो वे अपने बच्चों को मीना की देख रेख में ही छोड़ जाती थीं. वहीदा बताती हैं कि किस तरह मीना ने उन्हें अभिनय में गाइड किया. बलराज साहनी ने अपनी आत्मकथा में जिक्र किया है कि एकमात्र मीना कुमारी ही अभिनेत्री थीं, उस दौर में जिन्होंने बलराज से आकर उनके कान में कहा था कि वे बेहतरीन अभिनेता बन सकते हैं. दरअसल, मीना इस दुनिया में दूसरों को खुशियां देने आयी थी. और इस दुनिया से तन्हा जाने के लिए ही.

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