20120816

उधार की आवाज, आवाज ही पहचान




कई लोगों का मानना है कि फिल्म पत्रकारिता या फिल्म पर गंभीरता से या विषयपरक केवल मुंबई में रह कर ही लिखा जा सकता है. पुख्ता जानकारियां केवल मुंबई में रहनेवाले लोग ही दे सकते हैं. लेकिन वास्तविकता यह है कि ऐसे कई सिने प्रेमी भी हैं जो मुंबई मेन न रहते हुए भी मुंबई की मायानगरी पर विशेष जानकारी रखते हैं. कुछ ऐसी ही शख्सियत है जयपुर में रहनेवाले पवन झा की. पवन झा संगीत की न सिर्फ समझ रखते हैं, बल्कि उनके पास हिंदी सिनेमा के संगीत से जुड़ी दिलचस्प व अद्वितीय जानकारियों का भंडार है. उनका फेसबुक प्रोफाइल दरअसल, संगीत पर लिख रहे लोगों के लिए इनसाइक्लोपिडिया है. इसी क्रम में उन्होंने हाल ही में एक वीडियो अपलोड किया है. यह वीडियो कई मायनों से उल्लेखनीय है. इस वीडियो में पवन झा और उनके सहयोगियों ने कुछ ऐसे गायकों की फेहरिस्त शामिल की है. जिन्होंने गायक होते हुए भी कभी परदे पर दूसरे गायक की आवाज उधार ली हो. और उन गायकों को भी शामिल किया है, जो परदे पर नजर आये. जानकर आश्चर्य हो कि फिल्म भागमभाग, रागिनी व कई फिल्मों में किशोर कुमार को मोहम्मद रफी ने आवाज दी है. अमीरबाई कर्नाटकी ने सुधा मल्होत्र की आवाज ली है. मन्ना डे भी किशोर की आवाज बन चुके हैं.दूसरी तरफ फिल्म आह में मुकेश परदे पर नजर आये हैं तो रफी फिल्म जुगनू में परदे पर नजर आते हैं.तलत महमूद सोने की चिड़िया में. दरअसल, यह वीडियो केवल प्रोफाइल वीडियो नहीं है. बल्कि हिंदी सिने जगत की एक वास्तविकता को भी दर्शाता है और उस दौर की आत्मीयता को भी दर्शाता है कि उस दौर में लोग पटकथा के मुताबिक दूसरे गायकों की आवाज लेने में भी अपने इगो को बीच में नहीं लाते थे और पूरी तरह से सहयोग करते थे. शायद वर्तमान में ऐसे प्रयोग करना या सोचना संगीतकारों के लिए कठिन हो

1 comment:

  1. आवाज़ चरित्रों का श्रृंगार करती है...इसलिए चरित्रों को परिभाषित करने के लिए पार्श्व गायक भी परदे पर ऐसे प्रयोग से बच न सके...वैसे संक्षेप में पवन झा का प्रयास सराहनीय है.

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