20120806

सितारें जमीं पर


मुंबई के ब्रांदा स्थित बैंड स्टैंड पर कुछ महीनों पहले ही हिंदी सिनेमा के कुछ शख्सियत के हाथों के छाप व जो गुजर चुके हैं वैसे लीजेंड के हस्ताक्षर को जमीन पर स्थापित किया गया है. साथ ही राज कपूर साहब व शम्मी कपूर के स्टैचू को भी स्थापित किया गया है. यूटीवी स्टार्स की तरफ से भले ही यह हिंदी सिनेमा की शख्सियतों के सम्मान में एक पहल हो. लेकिन वास्तविकता यह है कि उन्हें वह सम्मान मिल नहीं पा रहा. चूंकि हाथों के छाप के जो पत्थर से बने टाइल्स जमीन पर स्थापित किये गये हैं. उन्हें किसी भी तरह से घेरा नहीं गया है. बैंड स्टैंड आनेवाले सभी लोग बेपरवाह उन लीजेंड के हस्ताक्षरों पर पैर रख कर चलते बनते हैं. उन्हें इस बात का एहसास नहीं कि दरअसल, वह इनका अनादर कर रहे हैं. दरअसल, हकीकत यही है कि भारत में आज भी सिनेमा सिर्फ और सिर्फ मनोरंजन का माध्यम है. और इससे जुड़ी तमाम चीजों को सम्मान के साथ सहेजने के प्रति न तो गंभीरता है और न ही कद्र. फिल्मों के सितारें लंद फंद देवानंद, बोल बच्चन अमिताभ बच्चन जैसे मजाकिया जुमले तक ही सीमित रह गये हैं. गॉसिप, सुपरसितारों के साथ फोटोग्राफ्स खिंचवाना जानने में ही हमारी रुचि है. सच्चाई यह है कि हम कलाकार को नहीं उसके ग्लैमर को सम्मान देते हैं. क्या हम कभी भारत के राष्ट्रपति के हस्ताक्षरों को यूं जमीन पर अपमान होने के लिए छोड़ेंगे या किसी राजनीति से जुड़े लोगों को. उनकी तो बड़ी विशालकाय मूर्तियां बनती हैं.  लेकिन हमारी कोशिश नहीं होती कि हम सिनेमा के धरोहरों को सम्मान दें. राजेश खन्ना की इच्छा थी कि उनका घर आशीर्वाद संग्रहालय बने. यह पहल तो सरकार को करनी चाहिए थी और आनेवाले समय में करना ही चाहिए. हाल में शम्मी कपूर व कई शख्सियतों से जुड़ी चीजों की निलामी हुई है. जबकि उसे संग्रहालय में रखना चाहिए था.

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