20120827

कलम चलाते कमाल दिखाते



फिल्म हो, टीवी प्रोग्राम या विज्ञापन. तीनों ही माध्यम विजुअल वर्ल्ड में विशेष रूप से लेखन पर आधारित हैं. लेखन ही दरअसल, किसी भी विजुअल को भाषा देता है. यही वजह है कि लेखकों को विजनरी और क्रिएटिव व्यक्ति की उपाधि मिलती है. झारखंड और बिहार से संबंध रखने वाले कई निर्देशकों ने बड़े परदे पर अपनी पहचान स्थापित की है.
अब बारी कल्पनाशील लेखकों की है. इन दिनों झारखंड- बिहार से कई ऐसे कल्पनाशील टैलेंट निखर कर सामने आ रहे हैं, जो टीवी, विज्ञापन व फिल्मों की दुनिया में अपनी कलम की ताकत पर पहचान स्थापित कर रहे हैं. कुछ ऐसे ही नये टैलेंट व चेहरे पर

अनुप्रिया अनंत की रिपोर्ट

काश झा, राजकुमार गुप्ता, इम्तियाज अली, संजीवन लाल जैसे बेहतरीन निर्देशकों के बाद अब झारखंड-बिहार से नये लेखकों की फौज तैयार हो रही है. ये लेखक हिंदी सिनेमा व टेलीविजन जगत में अपनी अलग पहचान बना रहे हैं. साथ ही विज्ञापन के क्षेत्र में भी झारखंड-बिहार के कल्पनाशील लेखक बेहतरीन काम कर रहे हैं.
नीरज शुक्ला
लाखों में एक, स्टार प्लस
अभी हाल ही में स्टार प्लस पर रविवार को नये शो ‘लाखों में एक’ की शुरुआत की गयी है. सच्ची घटनाओं से प्रेरित यह धारावाहिक उन वास्तविक लोगों की बहादुरी एवं साहस को दर्शाता है, जिन्होंने अपने से इतर दूसरों के बारे में सोचा है. रांची के नीरज शुक्ला ने इस शो के पहले एपिसोड की स्क्रिप्ट लिखी. साथ ही निर्देशक राहुल ढोलकिया के साथ उन्होंने विजुअलाइजेशन में भी मदद की. बकौल नीरज उन्हें किसी माध्यम से पता चला कि बिग सिनर्जी कोई ऐसा शो बना रही है.
चूंकि वह खुद रांची से हैं, और हुस्न बानो की कहानी से पूरी तरह से वाकिफ थे. इसलिए, उन्होंने थीम बिग सिनर्जी गुप्र को सुनायी. उन्हें कहानी पसंद आयी और फिर इस पर नीरज ने रिसर्च करना शुरू किया. लगभग फरवरी से जून तक वे इस विषय के रिसर्च से जुड़े रहे. फिर इसका नाट्य़ रूपांतर तय करने में उन्होंने राहुल के साथ काम किया. नीरज ने मास कम्युनिकेशन की पढ़ाई की है और हमेशा से उनकी लेखन में दिलचस्पी रही है. बकौल नीरज यह उनका पहला प्रोजेक्ट है.
उन्हें खुशी है कि लोगों ने उनके काम को सराहा. नीरज बताते हैं कि उनके लिए पहला अनुभव बेहद खास रहा. उन्होंने बड़े स्तर पर जाना कि किस तरह लिखी गयी चीज को परदे पर उतारा जाता है. नीरज ने धारावाहिक की पटकथा लिखते वक्त इस बात का खास ख्याल रखा था कि भाषा सरल हो और रांची के लोगों को रास आये. फिलवक्त नीरज इसी शो के अगले एपिसोड की तैयारी में जुटे हैं. भविष्य में उनकी इच्छा फिल्म लेखन और निर्देशन की है.
राजीव कुमार
विज्ञापन में कलम का कमाल
विज्ञापन की दुनिया एक ऐसी दुनिया है, जहां चंद मिनटों में ही बेहतरीन कहानियां कह दी जाती हैं. लेकिन हम उसे रचने वाले के बारे में अकसर जान नहीं पाते. बोकारो स्टील सिटी से संबंध रखने वाले राजीव कुमार इसी दुनिया में कलम का कमाल दिखाते हैं. वे पिछले कई वर्षो से विज्ञापन के क्षेत्र में सक्रिय हैं. उन्होंने वर्ल्ड ऑफ टाइटन के लिए पहला विज्ञापन लिखा था. उसके बाद वे लगातार विज्ञापनों की परिकल्पना कर रहे हैं और लिख रहे हैं.
वर्तमान में टीवी पर प्रसारित हो रहे एक्ट 2 पॉपकॉर्न और वेरिटो कार के विज्ञापन के रचयिता राजीव ही हैं. उन्होंने अब तक हिमालया शैंपू, अन्नपूर्णा नमक, ब्रुकबांड चाय, बजाज फैन समेत कई उत्पादों के लिए स्क्रिप्ट लिखी है. बकौल राजीव एक शैंपू के विज्ञापन के लिए उन्हें पहली बार विदेश जाने का मौका मिला था. ऑस्ट्रेलिया के निर्देशक व लंदन के डीओपी के साथ काम करने का मौका मिला. मॉडल क्रोआटिया के साथ काम करने का मौका मिला.
पहली बार उस वक्त उन्होंने पोरस्की कार व हार्ले डेविडसन की सवारी की थी. राजीव बताते हैं कि विज्ञापन का क्षेत्र इतना आसान नहीं है. एक विज्ञापन के लिए लगभग 100 से भी ज्यादा आइडिया लिखे और रिजेक्ट किये जाते हैं. उनका मानना है कि विज्ञापन के क्षेत्र में एक लेखक को हर दिन नयी चुनौती का सामना करना पड़ता है.
सौरभ कुमार
हैंडओवर, फीचर फिल्म
सौरभ कुमार बिहार से संबंध रखते हैं और उन्होंने हाल ही में मगही-हिंदी भाषा में एक बेहतरीन फिल्म बनायी है. कुछ साल पहले उन्होंने एक लेख पढ़ा था. जिसे पढ़ कर उन्होंने एक फीचर फिल्म की योजना बनायी. हैंडओवर नामक उनकी यह फिल्म 73 मिनट की है. फिल्म की कहानी एक गरीब दलित परिवार पर आधारित है. एक ऐसे दलित परिवार पर जिसमें मां बाप अपनी बेटी को तंगहाली की वजह से बेच देते हैं और फिर यह मुद्दा पूरे भारत में बड़ा मुद्दा बन जाता है.
एक दलित परिवार किस तरह इससे जूझता है, यह कहानी इस पर आधारित है. सौरभ ने खुद इस कहानी का लेखन भी किया है और निर्देशन भी. यह फिल्म कई फिल्मोत्सव में सराही जा चुकी है. सौरभ कुमार ने फिल्मकार ईशान त्रिवेद्वी के साथ निर्देशन के गुर सीखे. सौरभ का कहना है कि वे अपने राज्य की भाषा व वहां की सच्चाइयों को परदे पर दर्शाते रहना चाहते हैं.

जीशान कादरी
गैंग्स ऑफ वासेपुर, फिल्म
धनबाद के जीशान कादरी ने गैंग्स ऑफ वासेपुर की पटकथा लिखी है. जीशान द्वारा लिखी गयी फिल्म की कहानी की वजह से यह फिल्म बेहद चर्चा में है. इस फिल्म पर नकारात्मक व सकारात्मक दोनों तरह की प्रतिक्रियाएं आयीं. लेकिन यह जीशान के लिए बड़ा और अहम ब्रेक है. फिल्म में उन्होंने कुछ बेहतरीन संवाद लिखे हैं जो याद रह जाते हैं.
आने वाले समय में वह दो फिल्में लिख रहे हैं. जीशान बेफिक्र होकर कहते हैं कि बतौर लेखक उन्होंने गैंग्स के माध्यम से एक अच्छी कहानी कहने की कोशिश की है. आगे भी वह क्राइम पर आधारित कहानियां लिखना पसंद करेंगे. बतौर लेखक जीशान की फिल्म की इंडस्ट्री के लोगों ने तारीफ की है.

विकास मिश्र
चौरंगा, फीचर फिल्म
विकास मिश्र जल्द ही फिल्म चौरंगा लेकर आ रहे हैं. यह फिल्म झारखंड-बिहार पर आधारित है. विकास ने फिल्म की स्क्रिप्ट लिखी है. विकास कई वर्षो से डियरसिनेमा डॉट कॉम के माध्यम से फिल्मों पर अपनी दो टूक व ईमानदार लेखनी के लिए जाने जाते रहे हैं. उनकी फिल्मों को कई अंतरराष्ट्रीय फिल्मों में सराहा जाता रहा है. विकास एक उभरते निर्देशक के साथ अच्छे लेखक भी हैं. विकास मिश्र हजारीबाग से संबंध रखते हैं. उनकी डॉक्यूमेंट्री फिल्म नाच गणोशा को भी काफी सराहना मिली है

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