फिल्मों में जब भी पंजाब का संदर्भ आता है. सरसो के लहलहाते खेत, पंजाबी भांगड़ा, शादी व्याह का माहौल और मौज मस्ती के दृश्य ही जेहन में आते हैं. चूंकि पंजाब को लेकर अब तक फिल्मकारों ने कुछ ऐसी ही छवि प्रस्तुत की है. खुद अजय देवगन सन ऑफ सरदार लेकर आ रहे हैं जिनमें एक संवाद भी है कि अगर सरदार न होते तो जोक्स नहीं होते दुनिया में.लेकिन अब तक जो पंजाब दर्शाया जाता रहा है. पंजाब की वास्तविकता बस उतनी ही नहीं है. हाल ही में एक फिल्म रिलीज हुई है अन्ने घोड़े दा दान. फिल्म का निर्देशन गुरविंदर ने किया है. भारतीय स्वतंत्रता दिवस के मौके पर एक तरफ जहां एक था टाइगर जैसी एंटरटेनिंग फिल्म रिलीज हो रही है. वही दूसरी तरफ अन्ने घोड़े दा दान भी महत्वपूर्ण फिल्म में से एक है. यह फिल्म पंजाब की वास्तविकता, वहां के लोगों के दर्द को समझने के लिए जरूर देखा जाना चाहिए. हम स्वाधीनता दिवस का जश्न मना रहे हैं और हम यह भूल नहीं सकते कि भारत को स्वाधीनता दिलाने में पंजाब का व वहां के लोगों का महत्वपूर्ण योगदान रहा है. लेकिन आज भी यहां के लोग कई परेशानियों से जूझ रहे हैं. लेकिन भारत में सिनेमा के व्यवसायिकरण की वजह से यह विडंबना है कि यह फिल्म पंजाब में ही अब तक रिलीज नहीं हो पायी है. चूंकि इस फिल्म के कॉर्मिशियल वैल्यू बेहद कम हैं. लेकिन ऐसी फिल्मों को प्रोत्साहन मिलना ही चाहिए. तभी फिल्में बन पायेंगी. वैसे एनएफडीसी ने इस साल अपने बैनर तले कई ऐसी फिल्मों को प्रमोट किया है. इस फिल्म की एक खासियत यह भी है कि फिल्म में पंजाब के कलाकारों को व पंजाबी लोक गीत व वहां के स्थानीय लोगों को भी शामिल किया गया है. गुरविंदर की इस फिल्म को भारत में जहां भी रिलीज किया गया है. उन्हें सराहना मिल रही है.
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20120816
अन्ने घोड़े दा दान में पंजाब
फिल्मों में जब भी पंजाब का संदर्भ आता है. सरसो के लहलहाते खेत, पंजाबी भांगड़ा, शादी व्याह का माहौल और मौज मस्ती के दृश्य ही जेहन में आते हैं. चूंकि पंजाब को लेकर अब तक फिल्मकारों ने कुछ ऐसी ही छवि प्रस्तुत की है. खुद अजय देवगन सन ऑफ सरदार लेकर आ रहे हैं जिनमें एक संवाद भी है कि अगर सरदार न होते तो जोक्स नहीं होते दुनिया में.लेकिन अब तक जो पंजाब दर्शाया जाता रहा है. पंजाब की वास्तविकता बस उतनी ही नहीं है. हाल ही में एक फिल्म रिलीज हुई है अन्ने घोड़े दा दान. फिल्म का निर्देशन गुरविंदर ने किया है. भारतीय स्वतंत्रता दिवस के मौके पर एक तरफ जहां एक था टाइगर जैसी एंटरटेनिंग फिल्म रिलीज हो रही है. वही दूसरी तरफ अन्ने घोड़े दा दान भी महत्वपूर्ण फिल्म में से एक है. यह फिल्म पंजाब की वास्तविकता, वहां के लोगों के दर्द को समझने के लिए जरूर देखा जाना चाहिए. हम स्वाधीनता दिवस का जश्न मना रहे हैं और हम यह भूल नहीं सकते कि भारत को स्वाधीनता दिलाने में पंजाब का व वहां के लोगों का महत्वपूर्ण योगदान रहा है. लेकिन आज भी यहां के लोग कई परेशानियों से जूझ रहे हैं. लेकिन भारत में सिनेमा के व्यवसायिकरण की वजह से यह विडंबना है कि यह फिल्म पंजाब में ही अब तक रिलीज नहीं हो पायी है. चूंकि इस फिल्म के कॉर्मिशियल वैल्यू बेहद कम हैं. लेकिन ऐसी फिल्मों को प्रोत्साहन मिलना ही चाहिए. तभी फिल्में बन पायेंगी. वैसे एनएफडीसी ने इस साल अपने बैनर तले कई ऐसी फिल्मों को प्रमोट किया है. इस फिल्म की एक खासियत यह भी है कि फिल्म में पंजाब के कलाकारों को व पंजाबी लोक गीत व वहां के स्थानीय लोगों को भी शामिल किया गया है. गुरविंदर की इस फिल्म को भारत में जहां भी रिलीज किया गया है. उन्हें सराहना मिल रही है.
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