20120822



पूरे भारत में बसे उत्तर पूर्व के लोग लगातार मुंबई, बंग्लुरु जैसे राज्यों से नौकरी छोड़ कर वापस अपने राज्य जा रहे हैं. चूंकि उन्हें लगातार धमकियों से डराया जा रहा है. डीओटी ( डायरेक्टर ऑफ टेलीकम्यूनिकेशन ) ने हालांकि एक सराहनीय पहल की है कि उन्होंने बल्क संदेशों पर रोक लगा दिया है. यह पहली बार नहीं हो रहा जब उत्तर पूर्वी राज्यों के लोगों के साथ बदसलूकी की जा रही है. आज भी ऐसे कई लोग हैं जो इन्हें किसी अन्य देश का समझते हैं और उन पर फब्तियां कसते हैं. लेकिन हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि तमाम परेशानियों, प्राकृतिक आपदाओं व रोजगार की कम से कम विकल्प होने के बावजूद इन्हीं राज्यों ने मैरी कॉम जैसी महान खिलाड़ी दिखाया है. अगर सिने जगत की बात करें तो गुजरे जमाने से लेकर अब तक उन बेहतरीन कलाकारों की लंबी फेहरिस्त बन जायेगी. डैनी डिन्गजोप्पा जैसे बेहतरीन कलाकार इन्हीं राज्यों की देन है. सभी जानते हैं कि कम संसाधनों के बावजूद मणिपुर में एक बेहतरीन फिल्म इंडस्ट्री तैयार हो रही है और वहां अच्छी फिल्में भी बन रही हैं. हाल में वहां फिल्म फेस्टिवल भी आयोजित किये गये. ओनिम गौतम जैसे फिल्मकार लगातार वहां फिल्म जगत स्थापित करने की कोशिश में जुटे हैं. मैंने गांधी को नहीं मारा जैसी फिल्मों के निर्देशक जहानू बरुआ असम से ही हैं. लेकिन उनकी पहचान संवेदनशील हिंदी फिल्मों के निर्देशकों में भी होती है. हिंदी सिनेमा में अब भी परदे के पीछे कई फीसदी उत्तर पूर्वी राज्यों के लोग काम कर रहे हैं.ऐसे में जरूरी है कि हम उन्हें बेगानों की नजर से देखना बंद करें. दीपनिता शर्मा, श्रूति अग्रवाल हाल ही मे डीआडी की टॉप फाइव में रही प्रतिभागी भी वही से थी. वे भी प्रतिभावान हैं और औरों की तरह उन्हें भी अपने सपनों को पर लगाने का पूरा हक है और आजादी से जीने का भी

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