दुनिया में 201 मुल्क हैं. तो टाइगर को क्या केवल पाकिस्तान की ही लड़की मिली थी. इश्क फरमाने के लिए. हाल ही में रिलीज हुई फिल्म टाइगर में टाइगर के ऑफिसर अपनी भड़ास निकालते हुए यह संवाद कहते हैं.दरअसल, कई वर्षो से प्राय: हिंदुस्तान व पाकिस्तान के लड़के व लड़की के बीच प्रेम कहानियां दिखाई जाती रही हैं. दो देशों की दुश्मनी के बीच अचानक दो युवा प्रेमियों को प्रेम हो जाता है और फिर नफरत की आग में जलते दो मुल्क के दुश्मन इनके प्यार के भी दुश्मन बन जाते हैं. कई फिल्मों में मुसलिम व हिंदू प्रेम को दर्शाया जाता रहा है और ऐसी कई फिल्में बनती रही हैं. लगभग यह सारी फिल्में लोगों ने पसंद भी की है. फिर चाहे वह वीर जारा की कहानी हो. वीर हिंदूस्तान का लड़का है. जारा पाकिस्तान की. गदर एक प्रेम कथा का भी नायक ंिहंदूस्तान का था. नायिका पाकिस्तान की.फिल्म बांबे में नायक हिंदू था. नायिका मुसलिम. फिल्म रिफ्यूजी में भी अभिषेक का किरदार एक हिंदू का दिखाया है और करीना के किरदार को मुसलिम.रिफ्यूजी के अलावा लगभग इस विषय पर बनी सभी प्रेम कहानियां दर्शकों ने पसंद की है. चूंकि इन प्रेम कहानियों में प्राय: निर्देशक प्रेम कहानी के साथ साथ दो देशों की परेशानियां, उनकी सोच व राजनीतिक माहौल को भी दर्शा जाता है. लेकिन इन सभी फिल्मों को बनाने के दौरान क्यों हर फिल्मकार के जेहन में अपने नायक को हिंदू और नायिका को मुसलिम ही बनाने का ख्याल आता है. क्या किसी हिंदू लड़की को किसी मुसलिम लड़के से प्यार नहीं हो सकता. क्या वास्तविकता में ऐसी प्रेम कहानियां नहीं हैं.आखिर क्या वजह है कि वे अपने नायक को ही हमेशा हिंदू दर्शाते हैं. यह शोध की विषय हो सकता है.फिल्मों को भी अपने किरदार को चुनने में धर्म निरपेक्ष होना चाहिए ताकि किसी भी चीज का दर्शक र्सि एकतरफा पहलू न देखें.
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20120822
सरहदों में बंटा प्रेम
दुनिया में 201 मुल्क हैं. तो टाइगर को क्या केवल पाकिस्तान की ही लड़की मिली थी. इश्क फरमाने के लिए. हाल ही में रिलीज हुई फिल्म टाइगर में टाइगर के ऑफिसर अपनी भड़ास निकालते हुए यह संवाद कहते हैं.दरअसल, कई वर्षो से प्राय: हिंदुस्तान व पाकिस्तान के लड़के व लड़की के बीच प्रेम कहानियां दिखाई जाती रही हैं. दो देशों की दुश्मनी के बीच अचानक दो युवा प्रेमियों को प्रेम हो जाता है और फिर नफरत की आग में जलते दो मुल्क के दुश्मन इनके प्यार के भी दुश्मन बन जाते हैं. कई फिल्मों में मुसलिम व हिंदू प्रेम को दर्शाया जाता रहा है और ऐसी कई फिल्में बनती रही हैं. लगभग यह सारी फिल्में लोगों ने पसंद भी की है. फिर चाहे वह वीर जारा की कहानी हो. वीर हिंदूस्तान का लड़का है. जारा पाकिस्तान की. गदर एक प्रेम कथा का भी नायक ंिहंदूस्तान का था. नायिका पाकिस्तान की.फिल्म बांबे में नायक हिंदू था. नायिका मुसलिम. फिल्म रिफ्यूजी में भी अभिषेक का किरदार एक हिंदू का दिखाया है और करीना के किरदार को मुसलिम.रिफ्यूजी के अलावा लगभग इस विषय पर बनी सभी प्रेम कहानियां दर्शकों ने पसंद की है. चूंकि इन प्रेम कहानियों में प्राय: निर्देशक प्रेम कहानी के साथ साथ दो देशों की परेशानियां, उनकी सोच व राजनीतिक माहौल को भी दर्शा जाता है. लेकिन इन सभी फिल्मों को बनाने के दौरान क्यों हर फिल्मकार के जेहन में अपने नायक को हिंदू और नायिका को मुसलिम ही बनाने का ख्याल आता है. क्या किसी हिंदू लड़की को किसी मुसलिम लड़के से प्यार नहीं हो सकता. क्या वास्तविकता में ऐसी प्रेम कहानियां नहीं हैं.आखिर क्या वजह है कि वे अपने नायक को ही हमेशा हिंदू दर्शाते हैं. यह शोध की विषय हो सकता है.फिल्मों को भी अपने किरदार को चुनने में धर्म निरपेक्ष होना चाहिए ताकि किसी भी चीज का दर्शक र्सि एकतरफा पहलू न देखें.
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