राजकुमार हिरानी की फ़िल्म साला खड़ूस के साथ अपने निर्माण कंपनी की शुरुआत कर रहे हैं। उनका मानना है कि ऐसी फिल्मों को मौके मिलने ही चाहिए। उन्होंने बताया कि वे संजय दत्त पर बायोपिक इस लिहाज़ से नहीं बना रहे, क्योंकि संजय उनके मित्र हैं। उन्होंने तो पहले फ़िल्म न बनाने का मन बना लिया था।लेकिन फिर जब उन्होंने पूरी कहानी सुनी तो यह महसूस किया कि इस कहानी में वैसी कई बातें हैं जिनकी वजह से मैंने हां कहा। राजकुमार मानते हैं कि उनकी कहानी लोगों तक इसलिए पहुंचनी चाहिए क्योंकि उनकी जिंदगी के ऐसे कई पहलू हैं जो दर्शकों से रूबरू नहीं हैं।और उनके बारे में दर्शकों को जरूर जानना चाहिए। राजकुमार हिरानी यह भी मानते हैं कि दर्शकों के सामने ऐसी कहानी पहुंचनी इसलिए भी जरुरी है क्योंकि ऐसे लोगों को मौके मिलने चाहिए।दरअसल इस तरह के फ़िल्म मेकर का ऐसी फिल्मों से जुड़ना इसलिए भी जरुरी है ताकि दर्शक फिल्मों से जुड़ें। ज्यादा से ज्यादा दर्शकों का जुड़ना ही ऐसी फिल्मों के फिल्ममेकर को हिम्मत देती है। राजकुमार खुद मानते हैं कि पिछले लम्बे समय ताल एक दौर में स्पोर्ट्स की फिल्में नहीं आ पाती थी। लेकिन अब अज़हर, एमएस धोनी पर आधारित फिल्में बन रही हैं और अब इन फिल्मों की संख्या भी बढ़ी है और यह एक बेहतर संकेत हैं। इस फ़िल्म के माध्यम से नए निर्देशक को मौके मिल रहे हैं। साथ ही राजू को जिस तरह मेंटर मिले विधु के रूप में। वे भी मेंटर के रूप में नई प्रतिभाओं को मौके दे रहे हैं।यह एक अच्छे दौर की शुरुआत है।
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20160118
राजकुमार व नयी पीढ़ी
राजकुमार हिरानी की फ़िल्म साला खड़ूस के साथ अपने निर्माण कंपनी की शुरुआत कर रहे हैं। उनका मानना है कि ऐसी फिल्मों को मौके मिलने ही चाहिए। उन्होंने बताया कि वे संजय दत्त पर बायोपिक इस लिहाज़ से नहीं बना रहे, क्योंकि संजय उनके मित्र हैं। उन्होंने तो पहले फ़िल्म न बनाने का मन बना लिया था।लेकिन फिर जब उन्होंने पूरी कहानी सुनी तो यह महसूस किया कि इस कहानी में वैसी कई बातें हैं जिनकी वजह से मैंने हां कहा। राजकुमार मानते हैं कि उनकी कहानी लोगों तक इसलिए पहुंचनी चाहिए क्योंकि उनकी जिंदगी के ऐसे कई पहलू हैं जो दर्शकों से रूबरू नहीं हैं।और उनके बारे में दर्शकों को जरूर जानना चाहिए। राजकुमार हिरानी यह भी मानते हैं कि दर्शकों के सामने ऐसी कहानी पहुंचनी इसलिए भी जरुरी है क्योंकि ऐसे लोगों को मौके मिलने चाहिए।दरअसल इस तरह के फ़िल्म मेकर का ऐसी फिल्मों से जुड़ना इसलिए भी जरुरी है ताकि दर्शक फिल्मों से जुड़ें। ज्यादा से ज्यादा दर्शकों का जुड़ना ही ऐसी फिल्मों के फिल्ममेकर को हिम्मत देती है। राजकुमार खुद मानते हैं कि पिछले लम्बे समय ताल एक दौर में स्पोर्ट्स की फिल्में नहीं आ पाती थी। लेकिन अब अज़हर, एमएस धोनी पर आधारित फिल्में बन रही हैं और अब इन फिल्मों की संख्या भी बढ़ी है और यह एक बेहतर संकेत हैं। इस फ़िल्म के माध्यम से नए निर्देशक को मौके मिल रहे हैं। साथ ही राजू को जिस तरह मेंटर मिले विधु के रूप में। वे भी मेंटर के रूप में नई प्रतिभाओं को मौके दे रहे हैं।यह एक अच्छे दौर की शुरुआत है।
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