20160110

अच्छा सिनेमा वही जो जड़ से जुड़ा हो : विकास मिश्रा

झारखंड के हजारीबाग के विकास मिश्रा की फिल्म है चौरंगा
दलित विषय पर आधारित है फिल्म की कहानी
बमुश्किल मिले हैं रांची के थियेटरों में दो शो


इस शुक्रवार रिलीज हुई फिल्म चौरंगा कई मायनों में झारखंड बिहार के लिए महत्वपूर्ण है. इसकी सबसे बड़ी और खास वजह यह है कि इस फिल्म के निर्देशक विकास रंजन मिश्रा झारखंड के हजारीबाग इलाके से संबंध रखते हैं. और फिल्म की कहानी में उन्होंने दलित समाज की विडंबना को दर्शाने की कोशिश की है. उनका बचपन गांव में ही बीता है और उन्होंने अपने आस पास जात-पात के आधार पर हो रहे भेदभाव को महसूस किया है. इसी दास्तां को उन्होंने चौरंगा में दर्शाने की कोशिश की है. चौरंगा बनाने और उसे सिनेमाघरों तक पहुंचाने तक का सफर आसान नहीं रहा है. लेकिन विकास ने इस बार ठान लिया था कि वे अपने राज्य के लोगों तक इस कहानी को जरूर पहुंचायेंगे. यह हकीकत है कि ऐसी कई फिल्में हैं जो झारखंड के फिल्मकारों ने झारखंड की पृष्ठभूमि पर बनाई है. लेकिन वहां के सिनेमाघरों में वे फिल्में रिलीज ही नहीं हो पायी हैं. ये फिल्में वहां तक पहुंच ही नहीं पाती. चूंकि वहां के डिस्ट्रीब्यूटर्स का मानना है कि ऐसी फिल्मों के दर्शक नहीं होते. सो, विकास ने इस बात मशक्कत कर इस फिल्म को रांची के ग्लिज्ड सिनेमा थियेटर तक पहुंचाने की कोशिश की. और वे सफल हुए हैं. विकास बताते हैं कि उनकी हमेशा से यह इच्छा रही थी कि उनकी फिल्म उनके अपने गांव के लोग देखें. उनके माता पिता ने यह फिल्म हजारीबाग से आकर रांची में देखी है. विकास का मानना है कि प्राय: यह चर्चा होती रहती है कि मराठी सिनेमा ने अपने सिनेमा को कहां से कहां ुपहुंचा दिया. क्षेत्रीय सिनेमा में अभी मराठी सिनेमा का स्तर काफी उठ चुका है. इसकी बड़ी वजह यह है कि ये सारी फिल्में महाराष्टÑ में बनती हैं. यहां की कहानी होती है और यहां के लोग होते हैं. उन्हें कहीं और नहीं जाना पड़ता. उन्हें राज्य सरकार से मदद मिलती है. तो वे कामयाब हो पा रहे हैं. सो, यह बेहद जरूरी है कि आप जहां से हैं, वहां के गांव-घर की कहानी दिखायें. अपने जड़ की कहानी दिखायें. अच्छा सिनेमा वही होती हा जो जड़ से जुड़ा होता है. बकौल विकास मुझे दुख है कि मैं जब अपनी इस फिल्म के लिए पटना के डिस्ट्रीब्यूटर से बात कर रहा था. वह फिल्म लगाने के लिए अंत तक तैयार नहीं हुए. जबकि यह कहानी बिहार झारखंड के लोगों को कनेक्ट करेगी. उनका स्पष्टीकरण है कि ऐसी फिल्मों के दर्शक यहां नहीं. इस बात का विकास को बहुत अफसोस है. विकास को चौरंगा बनाने के लिए प्रेरणा अपने आस पास की जिंदगी और उनके बचपन की यादें और परवरिश से मिली है. वर्ष 2010 में उन्होंने इस फिल्म का निर्माण शुरू किया था. एनएफडीसी के स्क्रीन लैब में उनकी स्क्रिप्ट चयनित हुई थी. बाद में जब वे ओनिर और संजय सुरी जिन्होंने फिल्म में जमींदार की भूमिका भी निभाई है. उनसे मिले तो उन्होंने स्क्रिप्ट सुनते ही फिल्म बनाने के लिए हाथ मिला लिया था. इस फिल्म की कहानी का शीर्षक चौरंगा इसलिए हैं. चूंकि हमारे समाज में चार वर्गों में जाति को बांटा गया है. विकास मानते हैं कि वे पहले निर्देशक नहीं हैं, जिन्होंने इस विषय पर फिल्म बनाई है. कई सालों से इस विषय पर फिल्में बन रही हैं और तब तक फिल्में बनती रहेंगी जब तक मुद्दा ज्यों का त्यों रहेगा. सबसे पहले हिमांशु राय ने अछूत कन्या बनाई थी. फिर श्याम बेनेगल की फिल्म आक्रोश व कई फिल्में बनती रही हैं. लेकिन आज भी यह मुद्दा समकालीन ही है. प्रासंगिक ही है. यह कहानी सच्ची घटनाओं पर ही आधारित है, जहां जात पात के नाम पर दलितों पर कई तरह से अत्याचार किये जाते रहे हैं. कई बच्चों की जात पात के नाम पर हत्याएं होती रही हैं, चूंकि उन्होंने मंदिर में प्रवेश किया है. विकास अपनी फिल्म से उन्हीं हकीकत को बयां करने की कोशिश कर रहे हैं. साथ ही उन्होंने फिल्म का अंत एक सकारात्मक संकेत के साथ इसलिए छोड़ना उचित समझा क्योंकि वे मानते हैं कि एक दिन में कुछ नहीं बदलता, धीरे धीरे कोशिशें हो तो बदलाव आ सकते हैं. उनका मानना है कि ऐसी फिल्मों को अगर राज्य सरकार की तरफ से सपोर्ट मिले तो अन्य लोग भी ऐसी फिल्में बनाने की हिम्मत जुटायेंगे. कम से कम एंटरटेनमेंट टैक्स से मुक्ति मिलनी ही चाहिए. साथ ही ऐसी फिल्मों को उनके मूल स्थान जहां से फिल्म संबंधित है, वहां थियेटर में जगह जरूर मिलनी चाहिए. तभी दर्शकों तक वह बात पहुंचेगी. विकास ने चौरंगा के माध्यम से एक गंभीर फिल्म बनाई है, जो कई सवाल खड़े करता है. इसलिए बेहद जरूरी है कि ऐसी फिल्मों को सहयोग मिले. गौरतलब है कि विकास की फिल्म को मुंबई में रिलीज के बाद फिल्म समीक्षकों से बहुत अच्छी प्रतिक्रिया मिली है. कई विश्व स्तरीय फिल्म महोत्सव में भी चौरंगा ने खुद को स्थापित किया है. रांची के सिनेमाघर ग्ल्जिड में फिल्म का प्रदर्शन किया जा रहा है. 

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