लाइफ ओके पर एक नये शो की शुरुआत हुई है. ड्रीम गर्ल. इस शो में एक छोटे शहर की लड़की लक्ष्मी माथुर मुंबई आकर एक सुपरस्टार बनना चाहती है. वह आयशा सुपरस्टार की हर बात फॉलो करती है. यहां तक कि उसने कपड़े भी आयशा की तरह भाड़े पर लिये. लेकिन उसका प्राइस टैग हटाना भूल गयी, जिस पर आयशा उस पर फब्तियां कसते हुए कहती हैं कि छोटे शहर की लड़कियों की वश की बात नहीं है यह एक्टिंग और ग्लैमर की दुनिया. दरअसल, लक्ष्मी उन तमाम छोटे शहरों की लड़कियों का प्रतिनिधित्व कर रही हैं, या उन तमाम युवाओं का, जो फिल्मी दुनिया व ग्लैमर की दुनिया में किसी को फॉलो करते हुए आते हैं और अपनी पहचान बनाना चाहते हैं. जबकि वे भी मेहनती और कम प्रतिभाशाली नहीं. छोटे शहर का टैग उन पर से कभी नहीं हट पाता. वे ग्लैमर की दुनिया में हमेशा दोहरी नजर से ही देखे जाते. दरअसल, यह इसलिए होता कि सपने देखने में बुराई नहीं, लेकिन किसी दूसरे की अंध भक्ति गलत है. हम किसी को भी अपना आदर्श मान बैठते हैं और फिर शाहरुख, सलमान, ऐश, माधुरी बनने की कोशिश करते हैं. जबकि इतिहास गवाह है जिन्होंने खुद को अपने दमखम पर साबित किया है वे कामयाब रहे हैं. जिन्होंने किसी की नकल नहीं की. हां, एक दौर था. जब आप अपने आदर्श शख्सियत की नकल कर भी पहचान स्थापित कर सकते थे. लेकिन अब दौर इरफान खान और नवाजुद्दीन जैसे शुद्ध कलाकारों का है. ड्रीम गर्ल में फिल्मी दुनिया के परिवारवाद की भी कहानी दिखाई जा रही है. साथ ही किस तरह एक स्थापित कलाकार दूसरे कलाकार के आने के संकेत मात्र से भयभीत हो जाता है. वह किस तरह अंधविश्वासी सलाहकारों व चाटुकारों से जुड़ा रहता है. ऐसे कई महत्वपूर्ण पहलुओ ं को भी दर्शा रहा. आगे के एपिसोड दिलचस्प होंगे. उम्मीद है.य
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20150420
ड्रीम गर्ल के सपने
लाइफ ओके पर एक नये शो की शुरुआत हुई है. ड्रीम गर्ल. इस शो में एक छोटे शहर की लड़की लक्ष्मी माथुर मुंबई आकर एक सुपरस्टार बनना चाहती है. वह आयशा सुपरस्टार की हर बात फॉलो करती है. यहां तक कि उसने कपड़े भी आयशा की तरह भाड़े पर लिये. लेकिन उसका प्राइस टैग हटाना भूल गयी, जिस पर आयशा उस पर फब्तियां कसते हुए कहती हैं कि छोटे शहर की लड़कियों की वश की बात नहीं है यह एक्टिंग और ग्लैमर की दुनिया. दरअसल, लक्ष्मी उन तमाम छोटे शहरों की लड़कियों का प्रतिनिधित्व कर रही हैं, या उन तमाम युवाओं का, जो फिल्मी दुनिया व ग्लैमर की दुनिया में किसी को फॉलो करते हुए आते हैं और अपनी पहचान बनाना चाहते हैं. जबकि वे भी मेहनती और कम प्रतिभाशाली नहीं. छोटे शहर का टैग उन पर से कभी नहीं हट पाता. वे ग्लैमर की दुनिया में हमेशा दोहरी नजर से ही देखे जाते. दरअसल, यह इसलिए होता कि सपने देखने में बुराई नहीं, लेकिन किसी दूसरे की अंध भक्ति गलत है. हम किसी को भी अपना आदर्श मान बैठते हैं और फिर शाहरुख, सलमान, ऐश, माधुरी बनने की कोशिश करते हैं. जबकि इतिहास गवाह है जिन्होंने खुद को अपने दमखम पर साबित किया है वे कामयाब रहे हैं. जिन्होंने किसी की नकल नहीं की. हां, एक दौर था. जब आप अपने आदर्श शख्सियत की नकल कर भी पहचान स्थापित कर सकते थे. लेकिन अब दौर इरफान खान और नवाजुद्दीन जैसे शुद्ध कलाकारों का है. ड्रीम गर्ल में फिल्मी दुनिया के परिवारवाद की भी कहानी दिखाई जा रही है. साथ ही किस तरह एक स्थापित कलाकार दूसरे कलाकार के आने के संकेत मात्र से भयभीत हो जाता है. वह किस तरह अंधविश्वासी सलाहकारों व चाटुकारों से जुड़ा रहता है. ऐसे कई महत्वपूर्ण पहलुओ ं को भी दर्शा रहा. आगे के एपिसोड दिलचस्प होंगे. उम्मीद है.य
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