जिंदगी चैनल पर बहुत जल्द वक्त ने किया क्या हसीं सितम नामक शो की शुरुआत हो रही है. पाकिस्तान में यह शो दास्तान नाम से प्रसारित किया गया था.यह धारावाहिक बानो उपन्यास पर आधारित है. इस धाराराहिक की खासियत यह है कि इसमें 1947 से 1956 के दौर को दर्शाया गया है. किस तरह विभाजन से पहले दो परिवार साथ साथ रह रहे थे और किस तरह विभाजन के बाद परिवार के परिवार खत्म होते गये. बानो और हसन की प्रेम कहानी पर किस तरह इसका असर हुआ. यह धारावाहिक उस दौर के राजनैतिक माहौल को बखूबी दर्शाती है. इस धारावाहिक का नायक हसन आॅल इंडिया मुसलीम लीग का समर्थक है. जबकि सुरैया का पति सलीम इंडियन नेशनल कांग्रेस का. और उसकी यह सच है कि पाकिस्तान के बनने से मुसलिमों का भला नहीं होगा, बल्कि मुसलीम को भारत में रह कर ही अपना अस्तित्व बनाये रखना होगा.दरअसल, यह उस दौर के मुद्दे को लेकर एक गंभीर धारावाहिक है, जिसे हसन और बानो की प्रेम कहानी के बैकड्रॉप पर गढ़ा गया है. उस दौर में जैसे हालात रहे थे. कितने परिवार उजड़ गये थे. कितनी जिंदगी तबाह हो गयी थी. इसकी गाथा गढ़ी गयी है. निश्चित तौर पर जिस बड़े व भव्य पैमाने पर यह पीरियड ड्रामा तैयार किया गया है. भारत में ऐसे विषयों पर धारावाहिक तो क्या फिल्में बनाने का रिस्क भी शायद ही लिया जाता है. चूंकि यहां फिल्म मेकर्स व सीरियल मेकर्स यह हवाला देते हैं कि उन्हें यहां पर्याप्त संसाधन उपलब्ध नहीं, जिससे कि वे ऐसे शोज तैयार कर पायें. हालांकि यह भी एक बड़ा प्रश्न चिन्ह है कि इस धारावाहिक को भारत में किस तरीके से स्वीकारा जाता है. चूंकि ऐसे कई संवाद व दृश्य हैं, जो दिल दहलाने वाले भी हैं. लेकिन इस सोच की सराहना होनी चाहिए कि ऐसे विषयों का चुनाव किया जा रहा है.
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20150420
बानो उर्फ दास्तां
जिंदगी चैनल पर बहुत जल्द वक्त ने किया क्या हसीं सितम नामक शो की शुरुआत हो रही है. पाकिस्तान में यह शो दास्तान नाम से प्रसारित किया गया था.यह धारावाहिक बानो उपन्यास पर आधारित है. इस धाराराहिक की खासियत यह है कि इसमें 1947 से 1956 के दौर को दर्शाया गया है. किस तरह विभाजन से पहले दो परिवार साथ साथ रह रहे थे और किस तरह विभाजन के बाद परिवार के परिवार खत्म होते गये. बानो और हसन की प्रेम कहानी पर किस तरह इसका असर हुआ. यह धारावाहिक उस दौर के राजनैतिक माहौल को बखूबी दर्शाती है. इस धारावाहिक का नायक हसन आॅल इंडिया मुसलीम लीग का समर्थक है. जबकि सुरैया का पति सलीम इंडियन नेशनल कांग्रेस का. और उसकी यह सच है कि पाकिस्तान के बनने से मुसलिमों का भला नहीं होगा, बल्कि मुसलीम को भारत में रह कर ही अपना अस्तित्व बनाये रखना होगा.दरअसल, यह उस दौर के मुद्दे को लेकर एक गंभीर धारावाहिक है, जिसे हसन और बानो की प्रेम कहानी के बैकड्रॉप पर गढ़ा गया है. उस दौर में जैसे हालात रहे थे. कितने परिवार उजड़ गये थे. कितनी जिंदगी तबाह हो गयी थी. इसकी गाथा गढ़ी गयी है. निश्चित तौर पर जिस बड़े व भव्य पैमाने पर यह पीरियड ड्रामा तैयार किया गया है. भारत में ऐसे विषयों पर धारावाहिक तो क्या फिल्में बनाने का रिस्क भी शायद ही लिया जाता है. चूंकि यहां फिल्म मेकर्स व सीरियल मेकर्स यह हवाला देते हैं कि उन्हें यहां पर्याप्त संसाधन उपलब्ध नहीं, जिससे कि वे ऐसे शोज तैयार कर पायें. हालांकि यह भी एक बड़ा प्रश्न चिन्ह है कि इस धारावाहिक को भारत में किस तरीके से स्वीकारा जाता है. चूंकि ऐसे कई संवाद व दृश्य हैं, जो दिल दहलाने वाले भी हैं. लेकिन इस सोच की सराहना होनी चाहिए कि ऐसे विषयों का चुनाव किया जा रहा है.
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