फिल्म कृष 3 में जैसे ही रोहित दर्शकों के सामने आते हैं. वे बॉनबिटा पीते नहीं खाते नजर आते हैं और फिर दो मिनट के लिए ही सही वे बॉनबिटा के गुण बताते हैं. इसके बाद फिल्म के दृश्यों में एसआइएस, शॉपर्स स्टॉप व कई ब्रांड का जम कर प्रोमोशन किया गया है. जहां जरूरत नहीं वहां भी फिल्म में कई प्रोडक्ट्स के प्रोमोशन नजर आये हैं. फिल्म का मीडिया पार्टनर एक न्यूज चैनल है. सो, जहां फिल्म में जरूरत नहीं है. वहां भी वह चैनल व उसके लोगो नजर आये हैं. फिल्म के एक दृश्य में तो प्रोमोशन की हदें पार हैं. जब काल सारे टीवी चैनल के कैमरे को हवा में उड़ाता है. उसमें एक ही नेटवर्क के सारे सिस्टर्स चैनल के लोगो नजर आते हैं. तो क्या इसका मतलब यह है कि बाकी चैनल वहां पहुंचते ही नहीं थे. दरअसल, हकीकत यह है कि इन दिनों फिल्मों की कहानियों पर भी प्रोडक्ट्स इस कदर हावी हो गये हैं कि वे बेफिजूल तरीके से फिल्मों में नजर आते हैं. वजह यह है कि फिल्म के निर्माता की कोशिश यही होती है कि वह ज्यादा से ज्यादा ब्रांड एंडॉरशमेंट करें ताकि फिल्म के बजट की लागत फिल्म की रिलीज से पहले ही उनकी जेब में आ जाये. इसकी बड़ी वजह यह भी है कि फिल्म का बजट काफी होता है. और इन दिनों यह भी तय है कि फिल्म अच्छी न हो तो दर्शक उन्हें नामंजूर कर देते हैं और बॉक्स आॅफिस पर उन्हें सफलता नहीं मिल पाती. यही वजह है कि वे ब्रांड एंडॉरशमेंट से ही अपना मुनाफा कमा लेना चाहते हैं. बॉलीवुड की बड़े बजट की फिल्मों के साथ विशेष कर यह फंडे अपनाये जाते हैं. फिल्म रा.वन में शाहरुख खान ने सारी हदें पार कर दी थी. फिल्म चेन्नई एक्सप्रेस में भी वे मोबाइल ब्रांड का प्रचार करते नजर आये. कभी कभी निर्देशक इस कदर ब्रांड को फिल्म में शामिल कर लेता है कि उसे कहानी में उसकी वजह से आये अटपटेपन से भी कोई फर्क नहीं पड़ता.
My Blog List
20131114
फिल्मों में ब्रांड प्रोमोशन
फिल्म कृष 3 में जैसे ही रोहित दर्शकों के सामने आते हैं. वे बॉनबिटा पीते नहीं खाते नजर आते हैं और फिर दो मिनट के लिए ही सही वे बॉनबिटा के गुण बताते हैं. इसके बाद फिल्म के दृश्यों में एसआइएस, शॉपर्स स्टॉप व कई ब्रांड का जम कर प्रोमोशन किया गया है. जहां जरूरत नहीं वहां भी फिल्म में कई प्रोडक्ट्स के प्रोमोशन नजर आये हैं. फिल्म का मीडिया पार्टनर एक न्यूज चैनल है. सो, जहां फिल्म में जरूरत नहीं है. वहां भी वह चैनल व उसके लोगो नजर आये हैं. फिल्म के एक दृश्य में तो प्रोमोशन की हदें पार हैं. जब काल सारे टीवी चैनल के कैमरे को हवा में उड़ाता है. उसमें एक ही नेटवर्क के सारे सिस्टर्स चैनल के लोगो नजर आते हैं. तो क्या इसका मतलब यह है कि बाकी चैनल वहां पहुंचते ही नहीं थे. दरअसल, हकीकत यह है कि इन दिनों फिल्मों की कहानियों पर भी प्रोडक्ट्स इस कदर हावी हो गये हैं कि वे बेफिजूल तरीके से फिल्मों में नजर आते हैं. वजह यह है कि फिल्म के निर्माता की कोशिश यही होती है कि वह ज्यादा से ज्यादा ब्रांड एंडॉरशमेंट करें ताकि फिल्म के बजट की लागत फिल्म की रिलीज से पहले ही उनकी जेब में आ जाये. इसकी बड़ी वजह यह भी है कि फिल्म का बजट काफी होता है. और इन दिनों यह भी तय है कि फिल्म अच्छी न हो तो दर्शक उन्हें नामंजूर कर देते हैं और बॉक्स आॅफिस पर उन्हें सफलता नहीं मिल पाती. यही वजह है कि वे ब्रांड एंडॉरशमेंट से ही अपना मुनाफा कमा लेना चाहते हैं. बॉलीवुड की बड़े बजट की फिल्मों के साथ विशेष कर यह फंडे अपनाये जाते हैं. फिल्म रा.वन में शाहरुख खान ने सारी हदें पार कर दी थी. फिल्म चेन्नई एक्सप्रेस में भी वे मोबाइल ब्रांड का प्रचार करते नजर आये. कभी कभी निर्देशक इस कदर ब्रांड को फिल्म में शामिल कर लेता है कि उसे कहानी में उसकी वजह से आये अटपटेपन से भी कोई फर्क नहीं पड़ता.
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment