राज कपूर ने मन्ना डे से ये रात गयी...में कहा कि दादा और तान खींचो...और मन्ना डे ने एक सांस में उस गीत को पूरा किया. राजकपूर गये और उन्होंने मन्ना डे के गालों को चूम लिया. मन्ना भी खुशी से झूम उठे थे. चूंकि वह जब संगीत से जुड़े. उस वक्त से वे पृथ्वीराज कपूर को जानते थे और उनकी इच्छा थी कि उन्हें उनके साथ काम करने का मौका मिले. मन्ना डे को हिंदी सिनेमा जगत में लोग प्यार से दादा ही बुलाते थे.मन्ना डे की खासियत रही कि वे हमेशा आत्मीयता से लोगों से बातें करते. उन्हें जो बातें अच्छी नहीं लगती. उस पर भी उन्होंने कड़क आवाज में विरोध नहीं जताया. उन्होंने आशा भोंसले के साथ सबसे अधिक गीत गाये. आशा भोंसले बताती हैं कि उन्होंने कभी भी यह नहीं सोचा था कि छोटा सा दिखने वाले लड़क की आवाज इतनी परिपक्व होगी. आशा भोंसले का मानना है कि लता मंगेशकर, रफी साहब, मुकेश और मन्ना डे जैसे लोगों का जन्म हजार सालों में एक बार होता है. मन्ना डे हिंदी फिल्मों के अतिरिक्त क्षेत्रीय भाषाओं के गीत संगीत में भी दिलचस्पी रखते थे. मन्ना डे के गीत सदाबहार रहे. मन्ना डे साहब की खासियत रही कि वे लंबे अरसे तक बीमार रहने के बावजूद काफी सक्रिय रहे. उनके परिवार में हमेशा गाना बजाना होता रहता था. बचपन से ही उनके कानों में सुर गूंजने लगे थे.वे अपने चाचाजी से काफी प्रभावित हुए. एक दिन बादल खां साहब से चाचाजी से सीख रहे थे. खां साहब ने तान लिया और फिर मन्ना डे साहब ने उसे दोहराया और खां साहब ने उसी वक्त ऐलान कर दिया था कि मन्ना साहब बड़ा नाम करेंगे. और वाकई मन्ना डे साहब ने हिंदी सिनेमा जगत में एक इतिहास बनाया. मन्ना डे साहब जैसे फनकार हमेशा याद किये जायेंगे. वाकई वे प्यार का सागर थे और उनकी आवाज की गहराई हमेशा उनके चाहने वालों के दिलों तक पहुंचती रहेगी.
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20131114
तू प्यार का सागर है.
राज कपूर ने मन्ना डे से ये रात गयी...में कहा कि दादा और तान खींचो...और मन्ना डे ने एक सांस में उस गीत को पूरा किया. राजकपूर गये और उन्होंने मन्ना डे के गालों को चूम लिया. मन्ना भी खुशी से झूम उठे थे. चूंकि वह जब संगीत से जुड़े. उस वक्त से वे पृथ्वीराज कपूर को जानते थे और उनकी इच्छा थी कि उन्हें उनके साथ काम करने का मौका मिले. मन्ना डे को हिंदी सिनेमा जगत में लोग प्यार से दादा ही बुलाते थे.मन्ना डे की खासियत रही कि वे हमेशा आत्मीयता से लोगों से बातें करते. उन्हें जो बातें अच्छी नहीं लगती. उस पर भी उन्होंने कड़क आवाज में विरोध नहीं जताया. उन्होंने आशा भोंसले के साथ सबसे अधिक गीत गाये. आशा भोंसले बताती हैं कि उन्होंने कभी भी यह नहीं सोचा था कि छोटा सा दिखने वाले लड़क की आवाज इतनी परिपक्व होगी. आशा भोंसले का मानना है कि लता मंगेशकर, रफी साहब, मुकेश और मन्ना डे जैसे लोगों का जन्म हजार सालों में एक बार होता है. मन्ना डे हिंदी फिल्मों के अतिरिक्त क्षेत्रीय भाषाओं के गीत संगीत में भी दिलचस्पी रखते थे. मन्ना डे के गीत सदाबहार रहे. मन्ना डे साहब की खासियत रही कि वे लंबे अरसे तक बीमार रहने के बावजूद काफी सक्रिय रहे. उनके परिवार में हमेशा गाना बजाना होता रहता था. बचपन से ही उनके कानों में सुर गूंजने लगे थे.वे अपने चाचाजी से काफी प्रभावित हुए. एक दिन बादल खां साहब से चाचाजी से सीख रहे थे. खां साहब ने तान लिया और फिर मन्ना डे साहब ने उसे दोहराया और खां साहब ने उसी वक्त ऐलान कर दिया था कि मन्ना साहब बड़ा नाम करेंगे. और वाकई मन्ना डे साहब ने हिंदी सिनेमा जगत में एक इतिहास बनाया. मन्ना डे साहब जैसे फनकार हमेशा याद किये जायेंगे. वाकई वे प्यार का सागर थे और उनकी आवाज की गहराई हमेशा उनके चाहने वालों के दिलों तक पहुंचती रहेगी.
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