पूनम ढिल्लन सोनी टीवी के शो में दोबारा वापसी कर रही हैं. यह शो फिल्म इंगलिश विंगलिश पर आधारित है. पूनम इस फिल्म में जो किरदार निभाने जा रही हैं. वह किरदार श्रीदेवी ने बखूबी परदे पर दर्शाया. निश्चित तौर पर अगर सोनी टीवी ने इसे धारावाहिक का रूप दिया है तो उन्होंने सर्वेक्षण किया होगा. रिसर्च किया होगा और उन्होंने महसूस किया होगा कि इस तरह की कहानियां धारावाहिक के माध्यम से कही जानी चाहिए. हिंदी टेलीविजन ने महिलाओं को हमेशा एक बड़ी पहचान दी है. हिंदी सिनेमा में फिल्मों के सीक्वल बनाने का प्रचलन रहा है और इस तर्ज पर अब धारावाहिक भी हैं. लेकिन सोनी टीवी के इस सीक्वल की प्रशंसा की जानी चाहिए, क्योंकि उन्होंने एक अच्छा और आवश्यक विषय चुना है. चूंकि यह हकीकत है कि अब भी हमारे आस पास ऐसी कई महिलाएं ही नहीं पुुरुष भी हंै, जिन्हें सिर्फ इस बात से समाज के बीच उपहास का कारण बनना पड़ता है, चूंकि उन्हें अंगरेजी नहीं आती. अंगरेजी न जाने कैसे हिंदी सिनेमा की दुनिया में इस तरह हावी हो चुकी है कि अब तो फिल्मों के पोस्टर्स केवल अंगरेजी में ही नजर आते हैं. फिल्मी पार्टियां भी अंगरेजी में ही रखी जाती है और अंगेरजीदां लोगों के लिए ही रखी जाती है. ऐसे में वे महिलाएं जो बिल्कुल अंगरेजी नहीं जानती, वे कई बार खुद को अकेला महसूस करती हैं. मैंने कई बार देखा है. जो अंगरेजी साहित्य के लेखक हैं या शख्सियत वे हिंदी भाषी साहित्य के लेखकों से अच्छी तरह से बात नहीं करते. कई हिंदी भाषी साहित्य लिखने वाले भी केवल लेखनी में भले हिंदी भाषी हों. वे सार्वजनिक रूप से किसी समारोह में शामिल होने पर अंगरेजी में ही बातें करते हैं. ऐसे में धारावाहिक के रूप में और भी कई पहलुएं नजर आयेंगी. टीवी की पहुंच फिल्मों से अधिक है तो निश्चिततौर पर इसका असर भी व्यापक होगा.
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20131127
इंगलिश विंगलिश दोबारा
पूनम ढिल्लन सोनी टीवी के शो में दोबारा वापसी कर रही हैं. यह शो फिल्म इंगलिश विंगलिश पर आधारित है. पूनम इस फिल्म में जो किरदार निभाने जा रही हैं. वह किरदार श्रीदेवी ने बखूबी परदे पर दर्शाया. निश्चित तौर पर अगर सोनी टीवी ने इसे धारावाहिक का रूप दिया है तो उन्होंने सर्वेक्षण किया होगा. रिसर्च किया होगा और उन्होंने महसूस किया होगा कि इस तरह की कहानियां धारावाहिक के माध्यम से कही जानी चाहिए. हिंदी टेलीविजन ने महिलाओं को हमेशा एक बड़ी पहचान दी है. हिंदी सिनेमा में फिल्मों के सीक्वल बनाने का प्रचलन रहा है और इस तर्ज पर अब धारावाहिक भी हैं. लेकिन सोनी टीवी के इस सीक्वल की प्रशंसा की जानी चाहिए, क्योंकि उन्होंने एक अच्छा और आवश्यक विषय चुना है. चूंकि यह हकीकत है कि अब भी हमारे आस पास ऐसी कई महिलाएं ही नहीं पुुरुष भी हंै, जिन्हें सिर्फ इस बात से समाज के बीच उपहास का कारण बनना पड़ता है, चूंकि उन्हें अंगरेजी नहीं आती. अंगरेजी न जाने कैसे हिंदी सिनेमा की दुनिया में इस तरह हावी हो चुकी है कि अब तो फिल्मों के पोस्टर्स केवल अंगरेजी में ही नजर आते हैं. फिल्मी पार्टियां भी अंगरेजी में ही रखी जाती है और अंगेरजीदां लोगों के लिए ही रखी जाती है. ऐसे में वे महिलाएं जो बिल्कुल अंगरेजी नहीं जानती, वे कई बार खुद को अकेला महसूस करती हैं. मैंने कई बार देखा है. जो अंगरेजी साहित्य के लेखक हैं या शख्सियत वे हिंदी भाषी साहित्य के लेखकों से अच्छी तरह से बात नहीं करते. कई हिंदी भाषी साहित्य लिखने वाले भी केवल लेखनी में भले हिंदी भाषी हों. वे सार्वजनिक रूप से किसी समारोह में शामिल होने पर अंगरेजी में ही बातें करते हैं. ऐसे में धारावाहिक के रूप में और भी कई पहलुएं नजर आयेंगी. टीवी की पहुंच फिल्मों से अधिक है तो निश्चिततौर पर इसका असर भी व्यापक होगा.
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