20120206

हर व्यक्ति पहले एक कॉमन मैन है ः अक्षय खन्ना



अक्षय खन्ना काफी दिनों के बाद फिल्म गली गली शोर है से वापसी कर रहे हैं. पेश है उनकी बातचीत के मुख्य अंश
अक्षय खन्ना को दर्शक मुख्यतः फिल्म ताल व रेस के लिए बहुत याद करते हैं.गली गली शोर हैं में वह पहली बार आम आदमी का किरदार निभा रहे हैं.
एक स्टार होने के बावजूद किसी कलाकार के लिए आम आदमी का किरदार निभाना कितना मुश्किल होता है?
मेरे अनुसार हर व्यक्ति आम इंसान ही है. कानून भी. भले वह देश का प्रधानमंत्री हो या रास्ते का भिखारी. देश का हर आदमी इससे प्रभावित होता है कि देश में क्या हो रहा है. वह चाहे बड़ा हो या छोटा.
गली गली शोर की कहंानी के बारे में बताएं?
गली गली शोर है. सिस्टम व कानून की कहानी है. हर व्यक्ति की कहानी है. हर आम इंसान की कहानी है. सिस्टम में हो रहे भ्रष्टाचार की कहानी है. फिल्म में दिखाया गया है कि जब एक आदमी कानून से लड़ता है अपने हक के लिए तो क्या होता है. फिल्म की कहानी हर भारतीय को पसंद आयेगी. हर व्यक्ति तुरंत खुद को फिल्म से कनेक्ट कर लेगा. फिल्म का अंदाज हास्य रखा गया है.
क्या वाकई एक आदमी समाज को जागरूक कर सकता है.
हां, हां, क्यों नहीं. अंग्रेजी में कहावत है कि कभी भी आपको अपने अंदर की शक्ति को हतोत्साहित नहीं करना चाहिए. लेकिन हमारी कहानी किसी कैरेक्टर की सिस्टम के साथ संघर्ष की कहानी नहीं हैं, बल्कि पूरे समाज की कहानी है. हम यही दिखाने की कोशिश करेंगे कि कैसे कोई आम व्यक्ति चाहे तो सच्ची चीजें दर्शा सकता है.
मनोज कुमार ने मिस्टर भारत की उपाधि हासिल की थी. आप भी फिल्म में भारत बने हुए हैं. क्या अलग होगा.
मनोज कुमार सर से कोई तुलना नहीं है. बस इतना जानता हूं कि यह भारत आम आदमी के बीच का ही एक व्यक्ति है. उसका प्रतिनिधि है.
हमने सुना, अन्ना हजारे ने फिल्म की बेहद तारीफ की है.
सही सुना है आपने. हमने उनके लिए फिल्म की स्क्रीनिंग रखी थी. उन्हें फिल्म बेहद पसंद आयी है.
गली गली शोर में काम करने का संयोग कैसे बना
रुमी मेरे दोस्त हैं. नीतिन मेरे भाई की तरह है. दोनों ने मुझे स्क्रिप्ट सुनायी. और मुझे लगा कि मुझे इस फिल्म में काम करना चाहिए, मुझे नहीं पता फिल्म कैसी चलेगी. लेकिन अच्छी कहानी कहने की कोशिश की गयी है.
फिल्म को जान बूझ कर तो अन्ना हजारे से जोड़ने की कोशिश नहीं की गयी है.
जी नहीं, फिल्म की कहानी भ्रष्टाचार पर है और अन्ना हजारे भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ रहे हैं तो हम चाहते थे कि अन्ना जी इसे देखें. इसमें बुराई क्या है अगर अच्छी फिल्में बनाई जा रही हैं तो.
स्वाधीनता व क्रांति पर आधारित विषयों पर बननेवाली फिल्मों में काम करना पसंद है आपको?
हां, चूंकि मैं खुद को देश का नागरिक मानता हूं. मुझे ऐसी फिल्में करना बहुत पसंद है. मैं मानता हूं कि फिल्मों में मैसेज होना चाहिए. लेक्चर नहीं.
आप अब्बास की प्लेयर्स में नजर नहीं आये.
इस सवाल का जवाब आपको अब्बास मस्तान ही बेहतर दे पायेंगे.

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