20120229

खुली फ़िजाएं, पर लगाने की करें तैयारी




सिनेमा ke सबसे प्रतिष्ठित सम्मान ऑस्कर अवॉर्ड से सम्मानित होने के बाद पाकिस्तानी मूल की महिला फ़िल्मकार शरमीन ओबेड चिन्नॉय ने पूरे मूल्क के लोगों को धन्यवाद देते हुए कहा कि यह अवॉर्ड पाकिस्तान की तमाम महिलाओं के नाम है. पाकिस्तान की सभी महिलाएं बदलाव के लिए आगे कदम बढ़ायें. अपने सपनों को साकार करें.
उनके इन्हीं शब्दों पर पूरा हॉल गूंज उठता है. दरअसल, यह कामयाबी केवल शरमीन की नहीं, बल्कि उस मूल्क की तमाम वैसी महिलाओं के लिए है, जो कई वर्षो से खास बंदिश की वजह से अपने पर नहीं फ़ैला पायीं. यह संकेत है कि उन्हें अब फ़िजाएं मिल रही हैं. जरूरी है कि वह अपने पर फ़ैलाएं. आठ मार्च यानी अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस है. इस अवसर पर किसी देश के लिए इससे अधिक फ़क्र करने का मौका और क्या होगा, जब उनके देश को पहली बार ऑस्कर दिलाने का जरिया एक महिला बनी हों.
शरमीन ने अपनी डॉक्यूमेंट्री फ़िल्म सेविंग फ़ेस के जरिये उन तमाम महिलाओं के जीवन की आपबीती को दर्शाया है, जो ऐसड हमले की शिकार हुईं और उनकी जिंदगी तबाह हो गयी. शरमीन ने डॉ मोहम्मद जावद की मदद से उन महिलाओं की सर्जरी व उनकी वर्तमान परिस्थिति का सजीव चित्रण किया है. इस फ़िल्म के ट्रेलर को अगर ध्यान से देखें, तो यह पाकिस्तान की दो महत्वपूर्ण सकारात्मक छवि प्रस्तुत करती है.
एक तो यह कि कैसे पाकिस्तानी मूल्क के होनहार लोग अपने देश की सेवा के लिए लौट रहे हैं. साथ ही फ़िल्म की वजह से पाकिस्तान को संसद में ऐसड वॉयलेंस के खिलाफ़ बिल पास करना ही पड़ा. दरअसल, शरमीन ने अपनी फ़िल्म के जरिये ही उन सभी महिलाओं को न्याय दिलाया है. किसी ऐसे मूल्क में रह कर जहां अधिकतर महिलाएं परदे में रहना ही मुनासिब समझती हैं.
यहां फ़िल्म का निर्माण करना और मुद्दे के रूप में ऐसे ज्वलंत मुद्दे उठाना, किसी जोखिम से कम नहीं था. दरअसल, वैसे मूल्कों को जहां आज भी महिलाएं लिहाज या डर की वजह से परदे के पीछे ही सिमटी रहती हैं, को ऐसी हिम्मती व जुनूनी शरमीन की जरूरत है, ताकि बदलाव आ सके और महिलाएं खुल कर सांस ले सकें

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