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20120220
बंदिनी तू, सुजाता भी तू
orginally published in prabhat khabar
21feb2012
वह बिमल रॉय की बंदिनी थी. तो ॅषिकेश दा की अनाड़ी की चुलबुली गुड़िया भी. वह सुजाता की सुजाता थी व दिल्ली की ठग की एमएएडी मैड माने पागल भी.हिंदी सिनेमा ने नूतन के रूप में वह हीरा हासिल किया था, जैसा तराशो वह आकार ले ले. लेकिन उसकी मौलिकता-खूबसूरती उसी तरह बरकरार रहे.
छोटी उम्र से फ़िल्मों में कदम रखनेवाली नूतन ने 1991 में आज के दिन दुनिया को अलविदा कहा था. अंतिम समय तक उन्होंने फ़िल्मफ़ेयर अवार्ड का सम्मान हासिल किया. दरअसल, नूतन वह अभिनेत्री थीं, जिन्होंने औरत के वास्तविक रूप को सिनेमाई चेहरा प्रदान किया. कभी कर्मा की देशभक्त मां बनीं, तो कभी मैं तूलसी तेरे आंगन की में नेक दिल औरत. कभी अनाड़ी की बदमाश, मस्तमौला लड़की. तो बंदिनी में पति को परमेश्वर माननेवाली कल्याणी.
उनकी फ़िल्में देख कर यह अनुमान लगाना असंभव था कि असल जिंदगी में उनका कौन-सा किरदार उनसे मेल खाता है. नूतन की जिंदगी में यूटर्न तब आया, जब वह मां शोभना के कहने पर विदेश गयीं. और लौटीं. निर्देशकों ने उनमें रुचि लेना शुरू किया. उनकी फ़िल्म सीमा हिट रही. नूतन ने जहां एक तरफ़ औरत की ममता, खूबसूरती, चंचलता का चित्रण अपने किरदारों से किया. वहीं फ़िल्म दिल्ली का ठग में स्विमिंग सूट पहनने से भी गुरेज नहीं किया.
फ़िल्म सुजाता में जाति के आधार पर होनेवाले भेदभाव पर आधारित किरदार को भी बखूबी निभाया है. नूतन की खास बात थी कि वे औरत की तरह शर्माना, खिलखिलाना जानती थीं. लेकिन कभी श्रृंगार को गहना नहीं माना. नूतन की जिंदगी का 1959 सबसे अहम वर्ष रहा. चूंकि इसी वर्ष उनकी फ़िल्म सुजाता सुपरहिट रही.उन्हें फ़िल्मफेयर अवार्ड मिला. ऋषिकेश दा की फ़िल्म अनाड़ी में वे राज कपूर के साथ आयीं.
फ़िल्म को अपार सफ़लता मिली. वर्ष 1959 में ही उन्होंने अपनी जिंदगी का अहम फ़ैसला भी लिया और कमांडर रजनीश बहल के साथ सगाई की. वर्ष 1986 में वह पहली बार दिलीप कुमार के साथ फ़िल्म कर्मा में नजर आयीं. और यह फ़िल्म भी कामयाब रही. वे गाने की शौकीन रही थीं. बाद के सालों में उन्होंने श्रीलंका में कई कांसर्ट किये और गीत गाये.
डीप फ़ोकस
नूतन ने व्यस्क होने से पहले ही व्यस्क फ़िल्म नगिना में काम किया था. वह यह फ़िल्म देखने थियेटर पहुंची तो चौकीदार ने हंगामा मचा दिया था.
-अनुप्रिया अनंत-
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